अधिगम की क्रिया के विश्लेषण पर एक टिप्पणी लिखो।
किसी भी क्रिया को सीखने का अर्थ है कुछ क्रियाओं को एक साथ सम्पन्न करके सम्पूर्ण रूप से किसी अनुभव को प्राप्त करना । सम्पूर्ण अनुभव अनेक क्रियाओं उपक्रियाओं से प्राप्त अनुभवों से बनता है। अधिगम के सम्पूर्ण रूप का विश्लेषण इस प्रकार है-
1. उद्देश्य– किसी कार्य को सौखने का कोई न कोई उद्देश्य होता है। मनुष्य का भी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार किसी भी क्रिया को सीखने का कोई न कोई उद्देश्य होता है। मनुष्य उस क्रिया को नहीं सीखना चाहता, जो उसके उद्देश्य की पूर्ति न करती हो ।
2. अभिप्रेरणा- वह हर कार्य जिसे मनुष्य करना चाहता है, किसी न किसी अभिप्रेरणा से संचालित होता है। छात्र इसलिए पढ़ते हैं कि परीक्षा में पास होकर अच्छी नौकरी या व्यवसाय करें। अभिप्रेरणा ही उद्देश्य की ओर ले जाने का कार्य करती है। मानव जो भी कार्य करता है, उसके मूल में किसी न किसी प्रकार की अभिप्रेरणा निहित रहती ही है।
3. उत्तेजना- अभिप्रेरणा के पश्चात् उत्तेजना क्रिया के सम्पादन में सहायक होती है। किसी भी कार्य को करने की उत्तेजना देने में बाह्य वातावरण, साधन, तथ्य आदि कार्य करने की उत्तेजना उत्पन्न करते हैं। उत्तेजना, अभिप्रेरणा से अनुप्रमाणित होती है और उद्देश्य प्राप्ति की ओर ले जाती है।
4. प्रतिबोधन (Perception) – किसी क्रिया से सम्बन्धित सभी उपक्रियायें तथा अन्य पहलू प्रत्यक्षीकरण के अन्तर्गत आते हैं। क्रिया की समानता के लिये प्रत्यक्ष ज्ञान का अभाव बहुत बड़ी बाधा है। अवबोध, ज्ञान आदि के द्वारा क्रिया आगे बढ़ती है।
5. पुनर्बलन (Re-inforcement) – पुनर्बलन के अन्तर्गत वे सभी क्रियायें तथा तथ्य आ जाते हैं, जिनसे विवश होकर छात्र को क्रियायें करनी पड़ती हैं। अध्यापक का आदेश, स्वयं की इच्छा, बड़ों के सम्मान तथा सामाजिक मर्यादा से प्रभावित होकर जो कार्य किये जाते हैं, वे सभी पुनर्बलन के अन्तर्गत आते हैं।
6. संगठन (Integration) – अधिगम की क्रिया के विभिन्न अंगों का संगठन नवीन ज्ञान को पूर्व ज्ञान से जोड़ने के लिए किया जाता है। जब तक पूर्व ज्ञान एवं नवीन ज्ञान को जोड़ा नहीं जाता, तब तक क्रिया पूर्णता प्राप्त नहीं करती।
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