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आपरेटिंग सिस्टम से आप क्या समझते है? आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

आपरेटिंग सिस्टम से आप क्या समझते है? आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
आपरेटिंग सिस्टम से आप क्या समझते है? आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

आपरेटिंग सिस्टम से आप क्या समझते है? 

आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)- यह प्रोग्रामों का वह समूह है जो कंप्यूटर सिस्टम तथा उसके विभिन्न संसाधनों के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा हार्डवेयर, अप्लिकेशन साफ्टवेयर तथा उपयोगकर्ता के बीच संबंध स्थापित करता है। यह विभिन्न अप्लिकेशन प्रोग्राम के बीच समन्वय भी स्थापित करता है।

आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

(i) बैच प्रोसेसिंग आपरेटिंग सिस्टम- इसमें एक ही प्रकृति के कार्यों को एक बैच के रूप में संगठित कर समूह में क्रियान्वित किया जाता है। इसके लिए बैच मॉनीटर साफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है। इस सिस्टम का लाभ यह है कि प्रोग्राम के क्रियान्वयन के लिए कंप्यूटर के सभी संसाधन उपलब्ध रहते हैं, अतः समय प्रबंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस सिस्टम में, उपयोगकर्ता तथा प्रोग्राम के बीच क्रियान्वयन के दौरान कोई अंतर्संबंध नहीं रहता तथा परिणाम प्राप्त करने में समय अधिक लगता है। मध्यवर्ती परिणामों पर उपयोगकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं रहता।

उपयोग – इस सिस्टम का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जाता है जिसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। जैसे- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis), बिलप्रिंट करना, पेरोल (Payroll) बनाना आदि ।

(ii) मल्टी प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्टम- इस प्रकार के आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई कार्यों को सम्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी एक प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद जब उसका प्रिंट लिया जा रहा होता है तो प्रोसेसर खाली बैठने के स्थान पर दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन आरंभ कर देता है जिसमें प्रिंटर की आवश्यकता नहीं होती। इससे क्रियान्वयन में लगने वाला कुल समय कम हो जाता है तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है।

इसके लिए विशेष हार्डवेयर व साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इसमें कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी का आकार बड़ा होना चाहिए ताकि मुख्य मेमोरी का कुछ हिस्सा प्रत्येक प्रोग्राम के लिए आवंटित किया जा सके। इसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन का क्रम तथा वरीयता निर्धारित करने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

(iii) टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम- इस आपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई उपयोगकर्ता जिन्हें टर्मिनल (Terminal) भी कहते हैं; इंटरएक्टिव मोड में कार्य करते हैं जिसमें प्रोग्राम के क्रियान्वयन के बाद प्राप्त परिणाम को तुरंत दर्शाया जाता है। प्रत्येक उपयोगकर्ता को संसाधनों के साझा उपयोग के लिए कुछ समय दिया जाता है जिसे टाइम स्लाइस (Time Slice) या क्वांटम कहते हैं।

इनपुट देने और आउटपुट प्राप्त करने के बीच के समय को टर्न अराउंड समय (Turn Around Time) कहा जाता है। इस समय का उपयोग कंप्यूटर द्वारा अन्य उपयोगकर्ता के प्रोग्रामों के क्रियान्वयन में किया जाता है।

अगर किसी प्रोग्राम में टाइम स्लाइस से अधिक का समय लगता है तो उसे रोक कर अन्य प्रोग्राम का क्रियान्वयन किया जाता है। अधूरा रोके गये प्रोग्राम को अपने अगले बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

इस आपरेटिंग सिस्टम में मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है क्योंकि कई प्रोग्राम एक साथ मुख्य मेमोरी में उपस्थित होते हैं। इस व्यवस्था में पूरे प्रोग्रामों को मुख्य मेमोरी में न रखकर प्रोग्राम क्रियान्वयन के लिए आवश्यक हिस्सा ही मुख्य मेमोरी में लाया जाता है। इस प्रक्रिया को स्वैपिंग (Swapping) कहते हैं-

(iv) रीयल टाइम सिस्टम- इस आपरेटिंग सिस्टम में निर्धारित समय सीमा में परिणाम देने को महत्त्व दिया जाता हैं। इसमें एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डाटा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। पहले प्रोग्राम के क्रियान्वयन में देरी से दूसरे प्रोग्राम का क्रियान्वयन और परिणाम रुक सकता है। अतः इस व्यवस्था में प्रोग्राम के क्रियान्वयन समय (Response time) को तीव्र रखा जाता है।

इस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग उपग्रहों के संचालन, हवाई जहाज के नियंत्रण, परमाणु भट्टियों, वैज्ञानिक अनुसंधान, रक्षा, चित्सिा, रेलवे आरक्षण आदि में किया जाता है।

मल्टी प्रोग्रामिंग सिस्टम में प्रोग्रामों के वरीयता क्रम का चयन कर भी इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।

(v) एकल आपरेटिंग सिस्टम- पर्सनल कंप्यूटर के विकास के साथ एकल आपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता महसूस की गई जिसमें प्रोग्राम क्रियान्वयन की समय सीमा या संसाधनों के बेहतर उपयोग को वरीयता न देकर प्रोग्राम की सरलता तथा उपयोगकर्ता को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया।

मल्टी टास्किंग सिस्टम – इस प्रकार के सिस्टम में प्रोसेसर द्वारा एक साथ कई कार्य संपादित किए जाते हैं। इसमें प्रोसेसर अपना कुछ समय सभी चालू प्रोग्राम को देता है तथा सभी प्रोग्राम साथ-साथ संपादित होते हैं।

मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम – इसमें एक साथ दो या अधिक प्रोसेसर को आपस में जोड़कर उनका उपयोग किया जाता है। इससे कार्य संपादित करने की गति में वृद्धि होती है। इसमें एक साथ दो अलग-अलग प्रोग्राम या एक ही प्रोग्राम के भाग क्रियान्वित किया जा सकता है।

कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम

(a) एमएसडॉस (MS-DOS- Microsoft Disk Operating System)- यह 1981 में माइक्रोसाफ्ट व आईबीएम द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया एकल आपरेटिंग सिस्टम (Single Operating System) है। यह कमाण्ड प्राम्प्ट पर आधारित आपरेटिंग सिस्टम है। इसके प्राम्ट में चालूडिस्क का नाम, स्लैश (Slash) तथा खुले हुए डायरेक्टरी का नाम रहता है। जैसे C:\KUNOTES>

वर्तमान में इस आपरेटिंग सिस्टम का प्रचलन कम हो गया है क्योंकि इसके कमाण्ड को याद रखना पड़ता है तथा इसमें चित्र और ग्राफ नहीं बनाये जा सकते।

(b) माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (Microsoft Windows) – माइक्रोसाफ्ट कम्पनी ने एमएस डॉस की कमियों को दूर करने के लिए 1990 में विण्डोज 3.0 जारी किया। बाद में इसके कुछ अन्य रूप जैसे विण्डोज-95, विण्डोज 98, विण्डोज एक्सपी, विण्डोज एम-ई, faugiafarer (Windows-95, Windows-98, Windows-XP, Windows ME, Windows- Vista) आदि जारी किये गये हैं।

विण्डोज आपरेटिंग सिस्टम की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

(i) यह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) पर आधारित है, अतः इसे सीखना और इस पर कार्य करना आसान है।

(ii) इसमें चित्र, ग्राफ तथा अक्षर के कार्य किये जा सकते हैं।

(iii) विण्डोज पर आधारित सभी प्रोग्राम की कार्य पद्धति लगभग समान होती है। इससे एक प्रोग्राम का ज्ञान दूसरे प्रोग्राम में भी उपयोगी होता है।

(iv) यह मल्टी टास्किंग एकल (Multi Tasking Single User ) आपरेटिंग सिस्टम है। इसमें है एक साथ कई कार्यक्रमों को चलाया और उस पर कार्य किया जा सकता है।

(v) यह एक Object Oriented साफ्टवेयर है।

(c) माइक्रोसाफ्ट विण्डोज एनटी (Microsoft Windows NT) – यह कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग के लिए बनाया गया बहुउपयोगकर्ता (Multiuser) तथा टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम है। इस तरह के आपरेटिंग सिस्टम को नेटवर्क आपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है। यह विण्डोज की तरह ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का प्रयोग करता है, पर इसमें नेटवर्क, संचार तथा डाटा सुरक्षा की अनेक विशेषताएं पायी जाती है।

(d) यूनिक्स (UNIX) – यह एक बहुउपयोगकर्ता टाइम शेयरिंग आपरेटिंग साफ्टवेयर है। इसका विकास 1970 में बेल लैबोरेटरीज (Bell Laboratories) के केन थाम्पसन तथा डेनिस रीची (Ken Thompson and Dennis Ritchie ) द्वारा किया गया। यह नेटवर्क तथा संचार के लिए बनाया गया पहला साफ्टवेयर था। नेटवर्क तथा डाटा की सुरक्षा इस नेटवर्क की विशेषता रही है।

(e) लाइनक्स (LINUX) – यह पीसी के लिए बनाया गया मल्टीटास्किंग (Multi Tasking) तथा मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) साफ्टवेयर है जिसका विकास नेटवर्क प्रयोग के लिए किया गया। यह वर्तमान में सर्वाधिक लोकप्रिय व प्रयोग में आने वाला साफ्टवेयर है।

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Anjali Yadav

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