एक अच्छी शिक्षण विधि की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
एक अच्छी शिक्षण विधि की विशेषताएँ – शिक्षण के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली एक अच्छी शिक्षण विधि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-
(1) मनोवैज्ञानिकता और सामाजिकता पर आधारित – माध्यमिक शिक्षा आयोग – (1952-53) के शब्दों में, “अच्छी शिक्षण विधियाँ मनोवैज्ञानिकता तथा सामाजिकता पर आधारित होती हैं, जिसके फलस्वरूप वे छात्रों के जीवन की गुणवत्ता को उन्नत बनाती है।” अच्छी शिक्षण विधियों में छात्रों की आवश्यकताओं, रुचियों, योग्यताओं, मूल प्रवृत्तियों तथा स्थानीय संस्कृति व विशेषताओं का पूरा ध्यान रखा जाता है। इससे छात्रों को सीखने के प्रति उत्सुकता तथा रुचि उत्पन्न होती है।
( 2 ) उद्देश्यनिष्ठता – एक अच्छी शिक्षण विधि में उद्देश्यनिष्ठता का गुण विद्यमान होता है। शिक्षा के उद्देश्यों के अनुकूल एक शिक्षण विधि में व्यवहार के तीनों पक्षों ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक में वांछित परिवर्तनों को उपलब्ध कराने की क्षमता का होना आवश्यक है। शिक्षण के सभी उद्देश्यों- ज्ञानात्मक, अवबोध, ज्ञानोपयोग तथा कौशल की उपलब्धि हेतु शिक्षण विधि अपनाई जानी चाहिए।
( 3 ) स्वक्रिया द्वारा अधिगम- माध्यमिक शिक्षा आयोग ने विद्यार्थियों को स्वक्रिया द्वारा अधिगम करने में सहायक शिक्षण विधि को उत्तम माना है। शिक्षण विधि में यह विशेषता होनी चाहिए कि शिक्षक छात्रों में कार्य के प्रति प्रेम का विकास कर सकें तथा छात्र उस कार्य को अधिकाधिक कार्यकुशलता में सम्पन्न कर सकें।
(4) स्पष्ट चिन्तन की क्षमताएँ – अच्छी शिक्षण विधि की एक अन्य विशेषता यह है कि उसका उद्देश्य विद्यार्थियों में स्पष्ट चिन्तन की क्षमता का विकास करना हो । विद्यार्थियों में इस क्षमता का विकास किया जाना उन्हें एक कुशल नागरिक बनाने में सहायक होता है।
(5) स्वस्थ अभिरुचियों का विकास – एक अच्छी शिक्षण विधि विद्यार्थियों में स्वस्थ अभिरुचियों का विकास कर उन्हें सुसंस्कृत नागरिक बनाने में सहायक होती है। ये अभिरुचियाँ रुचि-कार्य और रचनात्मक कार्य दोनों प्रकार की हो सकती हैं। शिक्षण की अच्छी विधियाँ विद्यार्थियों में विभिन्न क्रिया-कलापों, प्रयोजनाओं एवं सामुदायिक विकास कार्यों के माध्यम से इन अभिरुचियों का विकास कर सकती हैं।
( 6 ) व्यक्तिगत एवं वर्गगत कार्य का सन्तुलन – अच्छी शिक्षण विधियों में योग्य शिक्षक के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों के व्यक्तिगत एवं वर्गगत कार्य में सन्तुलन रखा जा सकता है। इससे विद्यार्थियों को अच्छे नागरिक की वांछित योग्यताओं, विशेषताओं का प्रशिक्षण प्राप्त हो जाता है।
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