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निदान से क्या आशय है? भूगोल में अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ

निदान से क्या आशय है? भूगोल में अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ
निदान से क्या आशय है? भूगोल में अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ

निदान से क्या आशय है? भूगोल में अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ कौनसी हो सकती हैं जिनका निदान आवश्यक है?

निदान ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्रों की समस्याओं तथा कठिनाइयों का पता लगाकर उनको दूर करने के लिए उपचार विधि का प्रयोग किया है। शिक्षा में यह ठीक उसी प्रकार से जैसे चिकित्सक मरीज की बीमारी का निदान करके उसको ठीक करने के लिए उपचार करता है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक ही चिकित्सक के रूप में कार्य करता है। छात्रों को विद्यालय में अनेक प्रकार की कठिनाई अनुभव हो सकती हैं जिनमें अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ अधिक महत्वपूर्ण है।

यदि अधिगम सम्बन्धी कठिनाई का समय पर निदान नहीं हुआ तो यह कठिनाई भावी अधिगम को कठिन बना सकती है। निदान के लिए विद्वानों ने निदानात्मक परीक्षणों का निर्माण भी किया है। निदानात्मक परीक्षण के बारे में योकम और सिम्पसन ने लिखा है निदानात्मक परीक्षण ऐसा साधन है जो विद्वानों द्वारा छात्रों की कठिनाइयों को ज्ञात करने और उन कठिनाइयों के कारणों को व्यक्त करने के लिए निर्मित किया गया है।’ इसी प्रकार को और क्रो के अनुसार ‘निदानात्मक परीक्षणों का निर्माण छात्रों की अधिगम सम्बन्धी विशिष्ट कठिनाइयों का निदान करने के लिए किया जाता है।’ शिक्षक को इन निदानात्मक परीक्षणों का ज्ञान होना चाहिये ताकि वह छात्रों की अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों को समय पर ज्ञात करके उनकों दूर करने के उपाय कर सकें और अपने शिक्षण में सुधार कर सकें।

भूगोल में अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयाँ

(i) अवधारणा सम्बन्धी कठिनाई:- अनेक भौगोलिक संम्प्रत्यय ठीक प्रकार से स्पष्ट न होने पर छात्रों को उनकी अवधारणा सम्बन्धी कठिनाई होती है। प्रायः अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में छोटी कक्षाओं में छात्रो को पर्वत, पठार, मैदान नदी की परिभाषाएँ रटा दी जाती हैं लेकिन इन भौगोलिक तथ्यों की अवधारणा स्पष्ट न होने से उस बालक को पर्वत, पठार, मैदान के मध्य खड़ा करके पूछा जाय तो वह उनको पृथक से पहिचानने में कठिनाई अनुभव करेगा। इसीलिए आवश्यक है कि सम्प्रत्यय प्रारम्भ में ही स्पष्ट कर दिये जाये।

(ii) भौगोलिक सिद्धान्तों का स्पष्टीकरण न होना:- भूगोल में पृथ्वी की उत्पत्ति, पर्वतों का निर्माण, महासागर और महाद्वीपों का निर्माण, ज्वार-भाटा की उत्पत्ति आदि के सम्बन्ध में विद्वानों में अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। कभी-कभी छात्र यदि किसी सिद्धान्त को समझ नहीं पाता है तो वह उस घटना की व्याख्या करने में असमर्थ रहता है।

(iii) सही चित्र स्पष्ट न होना:- उदाहरण के लिए शिक्षक छात्र को पृथ्वी की गतियों में दैनिक गति के बारे में सिखाता है कि पृथ्वी लगभग 24 घण्टे में अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा कर लेती है। छात्र आश्चर्य करता है कि पृथ्वी के साथ हमारा घर क्यों नही घूमता है।

(iv) सही अर्थ स्पष्ट न होना:- किन्ही शब्दों का सही अर्थ स्पष्ट न होने से भी अधिगम सम्बन्धी कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए छात्र प्रायः अक्षांश और देशान्तर में अन्तर करने में भूल करते हैं।

(v) कौशल के अभाव के कारण अधिगम में कठिनाई:- सर्वेक्षण तथा मानचित्र कला के कौशल के अभाव में छात्र अनेक कठिनाइयों का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए मापक का स्पष्ट ज्ञान नहीं होने से मानचित्र गलत बनाना। मानचित्र के संकेतों का ज्ञान न होने से धरातल पत्रक को न पढ़ पाना। तापमापी, वायुदाब यंत्र या वर्षामापी यंत्रों को ठीक प्रकार से न पढ़ पाना। इसके लिए शिक्षक द्वारा अधिक अभ्यास करवाना चाहिये।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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