मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान से आप क्या समझते हैं ? यदि आपकी कक्षा में किसी बालक को रोग का भय हो गया है तो उसे किस प्रकार ठीक करने का प्रयास करेंगे ?
इस शताब्दी में मनोविज्ञान तथा मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि मानसिक अस्वस्थता में दैवी प्रकोप का कोई हाथ नहीं रहता। मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों की तरह होता है। किसी भी कारणवश जो अपना मानसिक सन्तुलन खो देते हैं, ऐसे व्यक्तियों को अधिक सहानुभूति की आवश्यकता है। इस आन्दोलन को किसी कारण से गति मिली तो ‘कमेटी फार मेन्टल हैल्थ’ की स्थापना हुई। इसके पश्चात् विश्व भर में मानसिक चिकित्सालयों की स्थापना होने लगी।
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मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान : अर्थ एवं परिभाषा
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की परिभाषा अनेक महत्वपूर्ण विचारों का संकलन है। ये सभी विचार मानव को सभी रूपों में स्वस्थ रखते हैं। यहाँ पर कुछ परिभाषाएँ प्रस्तुत की जा रही हैं-
1. क्रो एवं क्रो- “मानसिक स्वास्थ्य वह विज्ञान है, जो मानव का कल्याण करता है और मानव सम्बन्धों की सीमा तक उसका क्षेत्र है। इसके तीन उद्देश्य हैं— (1) सम्पूर्ण व्यक्तित्व तथा जीवन के अनुभवों के द्वारा मानसिक असंतुलन को व्यवस्थित करना, (2) व्यक्ति तथा समूह का मानसिक स्वास्थ्य बनाना, (3) मानसिक रोगों का उपचार करना।”
2. ए० जे० रोजानफ– “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान व्यक्ति की कठिनाइयों को दूर करने में सहायता देता है तथा कठिनाइयों के समाधान के लिए साधन प्रस्तुत करता है।”
3. एस० के० दानी- “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य के सिद्धान्तों का विज्ञान है।”
4. कॉलसनिक— “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान नियमों का समूह है, जो व्यक्ति को स्वयं तथा दूसरों के साथ शांति से रहने के योग्य बनाता है।”
5. एल० एफ० शेफर- “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान सब व्यक्तियों पर लागू होता है। विस्तृत अर्थ में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य व्यक्ति को पूर्ण सम्पन्न तथा सुसंगत और अधिक प्रभावशाली जीवन प्राप्त कराना है।”
इन परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान एक साधन है, जिसकी सहायता से व्यक्ति को उसके वातावरण में उचित ढंग से समायोजित करने का प्रयत्न किया जाता है, जिससे उसकी शारीरिक तथा मानसिक योग्यताओं का विकास हो सके। इसके द्वारा मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है और मानसिक बीमारियों की रोकथाम की जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान आवश्यकता
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान मनुष्य को सदैव लाभ पहुँचाता है। विद्यालय में इसका सम्बन्ध पाठ्यक्रम तथा वातावरण से है, तो जीवन में धर्म, विवाह, परिवार तथा सामाजिक संस्थानों से है। उद्योगों में भी इसकी आवश्यकता होती है। संक्षेप में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता इस प्रकार है-
1. सामाजिक जटिलताओं में संतुलन- समाज का ढाँचा बहुत जटिल बनता जा रहा है। व्यक्ति की आवश्यकताएँ पूर्ण नहीं हो पाती हैं, जिसके कारण जीवन में द्वन्द्व और विफलताएँ बढ़ती जा रही हैं। ये मानसिक सन्तुलन पर बुरा प्रभाव डालती हैं। यदि हम चाहते हैं कि आज के मानव का मानसिक सन्तुलन बना रहे और वह अपना जीवन ठीक प्रकार से व्यतीत करे, तो यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य के साधारण नियमों का ज्ञान हो ।
2. समायोजन दोष तथा मानसिक बीमारियों का समझना- जो व्यक्ति मानसिक दृष्टि से अस्वस्थ या बीमार होते हैं, वे अपनी शारीरिक व मानसिक योग्यताओं का उचित विकास व प्रयोग नहीं कर पाते हैं तथा दूसरों पर भार स्वरूप रहते हैं। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के द्वारा ऐसे व्यक्ति का अध्ययन और उपचार किया जा सकता है, जिससे राष्ट्र की मानव शक्ति (Man power) का उचित प्रयोग हो सकता है।
3. मानसिक रोगों की तीव्र गति- भारत में अभी तक कोई ऐसा देशव्यापी सर्वेक्षण (Survey) नहीं हुआ है, जिसके द्वारा मानसिक रोगों की प्रतिशत का पता लगाया जा सके, किन्तु अमेरिका में कुछ वर्ष पूर्व एक सर्वेक्षण किया गया था, में जिससे मालूम हुआ कि प्रत्येक सोलह व्यक्तियों में से एक और प्रत्येक अठारह बच्चों में से एक मानसिक दृष्टि से अस्वस्थ है। अमेरिका के चिकित्सालयों में लगभग 50% व्यक्ति रोगी हैं। भारत में भी मानसिक रोग बढ़ते जा रहे हैं और उनकी रोकथाम के लिए यह ज्ञान आवश्यक है।
4. अन्तर्राष्ट्रीय आवश्यकता – यूनेस्को प्रीएम्बल (Preamble) में कहा गया है कि युद्ध मानव के मस्तिष्क में होता है। अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को दूर करने के लिए आवश्यक है कि विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक तनाव से बचाया जाए।
5. अभिभावकों के लिए आवश्यकता – अभिभावकों तथा माता-पिता को यदि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का ज्ञान है तो वे बालकों को समायोजित करने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। वे बालकों को मानसिक रोगी होने से बचा सकते हैं। वे बच्चों के विकास के साथ-साथ अन्य अभिभावकों की दृष्टि को भी विकसित करते हैं।
6. अध्यापकों के लिए आवश्यकता- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता अध्यापकों के लिए इसलिए है कि उन्हें छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी होनी चाहिए। इस ज्ञान के अभाव में उन्हें समायोजन के दोषों से बचाया नहीं जा सकता। साथ ही स्वयं को भी मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने में वे इस ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं।
7. सेना तथा उद्योग में आवश्यकता- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का क्षेत्र अत्यन्त विकसित है। आजकल इसका उपयोग सेना तथा विभिन्न उद्योगों में भी किया जाता है।
8. प्रबन्धकों के लिए आवश्यकता- प्रत्येक क्षेत्र में प्रबन्धकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता इसलिए है कि इसकी जानकारी से वे अपने कार्यकर्ताओं से सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान समय के साथ-साथ विकसित हो रहा है। अतः इसके तीन उद्देश्य मनोचिकित्सकों ने निर्धारित किए हैं-
1. मानसिक अस्वस्थता की रोकथाम (Prevention of mental ill-health) – मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य ऐसे साधनों को जुटाना है, जिनके द्वारा समायोजन दोषों तथा साधारण मानसिक बीमारियों को रोका जा सके और व्यक्ति तथा समाज के स्वास्थ्य का उचित दशा में विकास किया जा सके।
2. संरक्षण (Preservation) – सभी बच्चे मानसिक दृष्टि से अस्वस्थ नहीं होते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं, जो पूर्णतया – स्वस्थ होते हैं। ऐसी दशा में मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य उनके मानसिक स्वास्थ्य का जीवन भर संरक्षण करना है।
3. उपचार (Cure) – जो व्यक्ति समायोजन दोषों तथा मानसिक रोगों से पीड़ित हैं, उनका उचित उपचार करना आदि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य होता है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान जीवन को सुखी व समृद्ध बनाने के साधन प्रदान करता है।
मानसिक स्वास्थ्य क्या है ?
मानसिक स्वास्थ्य से अर्थ है मानव का अपने व्यवहार में सन्तुलन यह सन्तुलन प्रत्येक अवस्था में रहना चाहिए। इस दृष्टि से इन गुणों वाला व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ माना जाता है।
1. चिन्ता तथा संघर्ष से रहित व्यक्ति, 2. पूर्णतः समायोजित, 3. आत्मविश्वासी, 4. आत्म-नियंत्रित, 5. संवेगात्मक रूप स्थिर, सार्थक जीवन एवं उच्च नैतिकता से पूर्ण व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ समझा जाता है। इन गुणों वाला व्यक्ति प्रत्येक परिस्थिति में समायोजन कर लेता है। उसमें मानसिक तनाव, हताशा आदि को सहन करने की अदम्य शक्ति होती है। कुल्हन के अनुसार- “वह समायोजन अच्छा है, जो विफलताओं और मानसिक तनाव द्वारा उत्पन्न संघर्षो को कम करे एवं विफलता उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में परिवर्तन कर सके।”
मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा
शिक्षा के इतिहास में एक समय था, जबकि बच्चे की बुद्धि, रुचि व मानसिक स्थिति की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। शिक्षा पूर्णतया अध्यापक केन्द्रित थी और शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ‘थ्री आर्स’ का ज्ञान देना था, किन्तु अब शिक्षा का केन्द्र बालक बन गया है, उसकी मानसिक स्थिति, रुचि व अन्य योग्यताओं को आधार मानकर ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है और शिक्षा का उद्देश्य बालक का समविकास करना है। यदि बालक मानसिक दृष्टि से स्वस्थ नहीं होंगे तो उनकी रुचि पढ़ाई में नहीं हो सकती, जिनके कारण कक्षा की पढ़ाई में उनका ध्यान केन्द्रित नहीं हो सकता है और शिक्षा का लाभ नहीं उठा सकेंगे। प्रत्येक अध्यापक को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है, जिससे वह अपने और छात्रों के मानसिक दोषों से पीड़ित हों, उनकी सहायता कर सके। यह बात सर्वविदित है कि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान और शिक्षा दोनों को एक-दूसरे से भिन्न नहीं किया जा सकता है। प्रजातन्त्र देश में—(1) आत्मानुभूति, (2) मानव सम्बन्ध (3) आर्थिक कुशलता, (4) नागरिक उत्तरदायित्व उद्देश्यों की प्राप्ति तब ही हो सकती है, जब बच्चे मानसिक दृष्टि से स्वस्थ हों।
शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखना भी है, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य के बगैर बच्चों की योग्यताओं का उचित विकास सम्भव नहीं है और जिन बच्चों में भय, चिन्ता, निराशा तथा अन्य समायोजन दोषों का विकास हो जाता है, उनका मन पढ़ने में नहीं लगता और सीखने में उन्नति नहीं हो पाती। इसके अतिरिक्त समायोजन दोष वाले बालक स्कूलों में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न करते हैं, जिनको समझने और समाधान के लिए प्रत्येक अध्यापक को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का जानना आवश्यक है।
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