रेडियो क्या है? इसका शैक्षिक महत्व व क्रियाविधि बताइये। अथवा रेडियों द्वारा शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं? इससे होने वाले लाभों का वर्णन करते हुए यह भी बतलाइए रेडियों-शिक्षण में क्या कठिनाइयाँ होती हैं?
Contents
रेडियो का अर्थ
रेडियो एक ऐसा बहुआयामी जनसंचार साधन है जो समय से जनमानस के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना हुआ है। समय की गति ने टेलीविजन के द्वारा रेडियो के अस्तित्व को एक बार करारा झटका अवश्य दिया था। किन्तु इसकी कुछ अनूठी विशेषताओं के कारण आज भी इसकी लोकप्रियता और उपयोगिता में कमी नहीं आई है। आधुनिक युग में यह एफ. एम रेडियो के रूप में सफलता की नई ऊँचाइयां छू रहा है।
रेडियों शिक्षा के उद्देश्य:-
रेडियों द्वारा शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य है-
1. कक्षा कार्य की पूर्ति का उद्देश्य- अधिकांश विद्यार्थी शिक्षक के शिक्षण एवं पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं पाठ्यपुस्तकें जो भी ज्ञान देती हैं वह पूरा जीवन से सम्बन्धित नहीं होता है। पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान को जीवन से सम्बन्धित करने के लिए रेडियों के कार्यक्रम की सहायता ली जानी चाहिए। सभी नवीन अविष्कारों एवं समस्याओं की जानकारी रेडियों के द्वारा संचालित कार्यक्रमों द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं समाचार पत्रों में नवीन समाचार ज्ञान दिलंब से आता है। परन्तु रेडियों द्वारा उन महत्त्वपूर्ण समाचार एवं ज्ञान की शीघ्रतापूर्वक प्राप्त किया जाना सम्भव है।
रेडियों द्वारा पुस्तकीय ज्ञान का विश्लेषण एवं संश्लेषण साहित्य, कला, विज्ञान, इतिहास, भूगोल एवं नागरिकता के विषयों का सुनियोजित ज्ञान भली प्रकार किया जा सकता है। इनसें संबंधित विशिष्ट ज्ञान ख्याति प्राप्त लेखकों, कवियों, संगीतज्ञों, आलोचकों, वक्ताओं, नाटककारों, अभिनेताओं आदि के भाषणों तथा कार्यक्रमों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है वास्तव में ये केन्द्रीय स्तर परकक्षोपयोगी दृष्टि से आकाशवाणी द्वारा संचालित एवं प्रसारित होते है जिससे छात्रों का अपूर्ण ज्ञान पूर्ण हो सकता हैं।
2. निर्णय शक्ति के विकास का उद्देश्य छात्र- छात्रायें रेडियों कार्यक्रमों की उपयोगिता अथवा अनुपयोगिता, वांछित तथा अवांछित, सोद्देश्य अथवा निरूद्देश्य, हितकर अथवा अहितकार आदि इन बातों का निर्णय स्वयं ही किया करते है। इस प्रकार रेडियों के प्रसारित कार्यक्रमों के द्वारा छात्र-छात्राओं में निर्णय शक्ति का विकास किया जा सकता हैं।
3. अवकाश के समय का सदुपयोग करने का उद्देश्य- विद्यालयों में रेडियों द्वारा वांछित एवं उपयोग कार्यक्रमों का प्रसार करके जहाँ मनोरंजन के अवसर उठाये जाते हैं वहाँ उनकी रूचि के अनुसार व्यावसायिक एवं शैक्षिक ज्ञान प्राप्ति के अवसर भी उठाये जा सकते हैं। इन अवकाश के अवसरों का उपयोग इस बात द्वारा भली प्रकार किया जा सकता हैं कि उन्हें वह ज्ञान एवं जानकारी रेडियों द्वारा दी जाय जो उनकी रूचि के अनुकूल पाठ्यविषयों की सीमा के अतिरिक्त हो। छात्रों में उनकी व्यक्तिगत रूचियों का परिष्कार करके वांछित कार्यक्रमों में प्रसारार्थ रेडियों केन्द्रों का उपयोग किया जा सकता हैं। ऐसा करने से छात्र छात्राओं के अवकाश के समय को सदुपयोग में लाने का अवसर दिया जा सकता हैं।
रेडियों शिक्षण के लाभ
रेडियों द्वारा शिक्षा देने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-
1. रेडियो समूह शिक्षा पद्धति के लिए उपयोगी उपकरण हैं। सभी छात्र निर्दिष्ट स्थान एवं समय पर विषयान्तर्गत कार्यक्रम का शांतिपूर्वक सुन लेते हैं।
2. दूर स्थान के समाचार एवं घटनायें विश्व के किसी भी स्थान पर सुन जा सकते हैं। वे भाषणे, काव्य, संगीत आदि जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करना दुर्लभ है, रेडियो द्वारा सुने जा सकते हैं।
3. रेडियो श्रोताओं मे संवेग उत्पन्ना करने का अच्छा साधन हैं। यदि आकाशवाणी का उपयोग शैक्षिक दृष्टिकोण से किया जाय तो छात्रों में निःसंदेह मनोवांछित भाव उत्पन्ना किये जा सकते हैं और उनके व्यवहारों को सुधारा जा सकता हैं।
4. एक कक्षा में आकाशवाणी के माध्यम से किसी शिक्षाशास्त्री, विद्वान, विज्ञानवेत्ता और नेता के विचार लाये जा सकते हैं और ज्ञानवर्द्धन में योग दिया जा सकता हैं।
5. रेडियो संपूर्ण विश्व के लोगों में विचार-विनिमय करने का सर्वोत्तम साधन है। किसी विश्वव्यापी अथवा राष्ट्रव्यापी समस्या पर रेडियों के माध्यम द्वारा विचार जाने जा सकते हैं तथा आपना मार्ग प्रशस्त किया जा सकता हैं।
6. रेडियो द्वारा किसी भी समाचार को शीघ्रताशीघ्र सुना जा सकता हैं और उस समाचार के अनुकूल अपने को ढाला जा सकता हैं।
7. श्रोता रेडियो के माध्यम से सुनी घटना का अपने जीवन से सम्बन्धित करने में सफल होता हैं।
रेडियों-शिक्षण में कठिनाइयाँ
रेडियों का शिक्षा में पर्याप्त महत्त्व हैं परन्तु इसके उपयोग में अनेक कठिनाइयाँ भी हैं-
- निर्धनता के कारण हमारे देश के प्रत्येक विद्यालय में रेडियों नहीं रखा जा सकता, अतः सभी विद्यालयों के छात्र इसमें लाभान्वित नहीं हो पाते।
- रेडियों के विशिष्ट कार्यक्रम प्रातः काल, सायंकाल तथा रात्रि में आते है। विद्यालयों के समय से इसका कोई तालमेल नहीं होता इसलिए रेडियों कार्यक्रम का लाभ विद्यालय नही उठा सकते।
- रेडियों के सभी कार्यक्रम छात्रों को नहीं सुनाये जा सकते ।
- रेडियो के कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले श्रोताओं से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता। अतः कार्यक्रम के मध्य में उत्पन्न जिज्ञासा प्रस्तुतकर्ता द्वारा संतुष्ट की जा सकती हैं।
- छात्र-छात्राओं सुनते समय निष्क्रिय श्रोता ही बने रहते हैं। उनके मन में उत्पन्ना कोई सन्देह उसी बीच दूर नहीं किया जा सकता।
- रेडियों द्वारा वे बालक जो कम सुनते हैं अथवा अधिक बधिर हैं, कोई लाभ नहीं उठा सकते ।
- एकूमार्गी वार्ता का साधन होने के कारण इसका उपयोग तभी किया जा सकता हैं जब आकाशवाणी केन्द्र से कोई नियोजित से जिसमें सभी शंकाओं का समाधान हो, चलाया जाय।
रेडियो का शैक्षिक महत्व
शिक्षा में रेडियो एक महत्वपूर्ण सहायक सामग्री के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। यह एक ऐसा श्रव्य-साधन है, जो इतिहास, भूगोल, साहित्य, कला, विज्ञान आदि समस्त विषयों से संबंधित बहुमूल्य ज्ञान जन-जन तक पहुँचा सकता है। इसके निम्नलिखित शैक्षिक उपयोग बताये जा सकते हैं-
- किसी भी विषय से संबंधित ज्ञान, सूचनायें तथा समाचार आदि जन सामान्य तक संप्रेषित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
- सम-सामयिक विषयों, समाचार पत्रों तथा समारोहों आदि पर चर्चा परिचर्चा के द्वारा यह नवीन चेतना का संचार करता है ।
- सांस्कृतिक समारोहों, कवि-सम्मेलनों, खेल-कूद गतिविधियों आदि का सीधा प्रसारण भी रेडियो द्वारा किया जा सकता है।
- विभिन्न विषयों में शिक्षण के लिये भी यह बहुत उपयोगी है।
- इसके द्वारा पाठ्यक्रम संबंधी कार्यक्रमों का प्रसारण भी किया जा सकता है।
- यह शिक्षा को रोचक, सरस, सुलभ तथा आधुनिक बनाता है।
- इसके द्वारा किया गया प्रसारण दूर-दूर तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है, जिससे यह दूरस्थ शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा पत्राचार शिक्षा तथा मुक्त शिक्षा के लिये बहुत लाभदायक हो सकता है।
- रेडियो का एक रूप ट्रान्जिस्टर है, जो हल्का व छोटा होने के कारण कहीं भी ले जाया जा सकता है।
- मनोरंजन के साधन के रूप में इसकी उपयोगिता असन्दिग्ध है।
क्रियाविधि- रेडियो की क्रियाविधि ध्वनि तथा विद्युत आदि ऊर्जाओं के रूप में परिवर्तन के सिद्धांतों पर आधारित है। रेडियो नामक उपकरण वस्तुतः एक ग्राहक (Receiver) होता है, जो ध्वनि तरंगों को ग्रहण करता है। ध्वनि ऊर्जा विद्युत् के रूप में परिवर्तित होती है। यही विद्युत ऊर्जा पुनः ध्वनि के रूप में परिवर्तित होकर रेडियो के स्पीकर के माध्यम से हमारे कानों तक पहुँचती है। ध्वनि तरंगों का प्रसारण दूर स्थित ट्रान्समीटर के .द्वारा किया जाता है तथा ग्रहण की गई ध्वनि के रूप परिवर्तन की क्रिया रेडियो में स्थि वाल्ब अथवा ट्रान्जिस्ट आदि उपकरणों के द्वारा संपन्न की जाती है।
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