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लागत लेखांकन का क्या अर्थ है? इसके उद्देश्य एवं लाभ

लागत लेखांकन का क्या अर्थ है? इसके उद्देश्य एवं लाभ
लागत लेखांकन का क्या अर्थ है? इसके उद्देश्य एवं लाभ
लागत लेखांकन का क्या अर्थ है? इसके उद्देश्य एवं लाभ की विवेचना कीजिए।

लागत लेखांकन का अर्थ- कुल तथा प्रति इकाई लागत ज्ञात करने एवं लागत पर नियन्त्रण रखने के उद्देश्य से व्ययों का लेखा करने को ही लागत लेखांकन कहते हैं।

परिभाषाएँ – लागत लेखांकन की विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी प्रमुख परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं-

वाल्टर डब्ल्यू. बिग के अनुसार, “लागत लेखाकन व्ययों का ऐसा विश्लेषण और वर्गीकरण है जिससे उत्पादन की किसी विशेष इकाई की कुल लागत शुद्धतापूर्वक ज्ञात हो सके और साथ ही यह ज्ञात हो सके कि यह कुल लागत किस प्रकार प्राप्त हुई है।”

हैराल्ड जेम्स के अनुसार- “लागत लेखा विधि उत्पादन व्ययों का इस प्रकार उचित ढंग से वितरण करती है जिससे उचित लागत का ज्ञान हो जाय और उसे ऐसे उचित ढंग से प्रस्तुत करती है कि जिससे उसके मार्ग दर्शन द्वारा अपने व्यापार पर नियन्त्रण कर सके।”

निष्कर्षः इस प्रकार स्पष्ट है कि लागत लेखांकन की एक विशिष्ट शाखा है, जिसका प्रयोग संस्था द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल तथा प्रति इकाई लागत ज्ञात करने में किया जाता है। यह प्रणाली लागत को नियन्त्रित कर लाभार्जन क्षमता में वृद्धि करने, भावी नीतियों को निर्धारित करने तथा नियोजन करने में प्रबन्धकों का मार्ग दर्शन करती है।

लागत लेखांकन के उद्देश्य

लागत लेखांकन का उद्देश्य एक निर्माता या ठेकेदार को प्रत्येक ऐसी वस्तु की लागत का ज्ञान कराना है, जिसे वह बनाता है तथा प्रत्येक ऐसी अनुबंध की कीमत बताना है जिसे वह पूरा करने का ठेका लेता है। यह भी कहा जाता है कि लागत लेखा दूरदर्शिता की पद्धति है या हानियों को लाभों में परिवर्तित करता है, कार्य-कलापों को गतिशील बनाता है और क्षयों (Waste) को दूर करता है, अतः इसके निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं-

1. कुल लागत एवं प्रति इकाई लागत ज्ञात करना- लागत लेखांकन का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल लागत व प्रति इकाई लागत ज्ञात करना होता है। लागत लेखे के द्वारा न केवल उत्पादन कार्य के समाप्त होने पर वरन् उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर कुल लागत एवं प्रति इकाई लागत ज्ञात की जा सकती है।

2. व्ययों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण- लागत लेखे का उद्देश्य व्ययों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण करना होता है ताकि प्रत्येक विभाग पर लागत व्यय का समान वितरण किया जा सके।

3. लागत पर नियंत्रण रखना-लागत लेखांकन का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य उत्पादन की विभिन्न क्रियाओं पर इस प्रकार नियंत्रण करना है कि न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करके अधिकाधिक लाभ अर्जित किया जा सके।

4. टेण्डर मूल्य या विक्रय मूल्य का निर्धारण-लागत लेखे का उद्देश्य उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का विक्रय मूल्य ज्ञात करना भी है।

5. व्यावसायिक नीति के लिए आधार प्रदान करना – लागत लेखे रखने का उद्देश्य प्रबन्धकों को लागत सम्बन्धी उन सभी सूचनाओं को प्रदान करना भी है, जिनके आधार पर भावी व्यावसायिक नीति का निर्धारण किया जा सके।

6. लागत के विश्वस्त समंक की जानकारी- लागत लेखांकन का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य, लागत सम्बन्धी विश्वस्त समकों की जानकारी प्राप्त करना है जिससे कि व्यावसायिक कार्यों को नियंत्रित किया जा सके, लागत को नियंत्रित किया जा सके तथा अप्रचलित एवं बेकार यंत्रों को प्रयोग से हटाने तथा प्रतिस्पर्द्धा करने में सफलता प्राप्त की जा सके।

लागत लेखांकन के लाभ या महत्त्व

वर्तमान समय में लागत लेखांकन की उपयोगिता एवं महत्त्व में जिस गति से वृद्धि हो रही है, उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, लागत लेखांकन से उत्पादकों, प्रबन्धकों, कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, विनियोजकों तथा सरकार के सभी वर्ग लाभान्वित होते हैं, लागत लेखा के प्रमुख लाभ अग्रलिखित हैं-

(I). प्रबन्धकों एवं उत्पादकों को लाभ- लागत लेखांकन से उत्पादकों एवं प्रबन्धकों को उत्पादन, प्रशासन तथा विक्रय एवं वितरण के क्षेत्र में लाभ होते हैं—

1. उत्पादन के क्षेत्र में प्राप्त होने वाले लाभ- लागत लेखा रखने से उत्पादन के क्षेत्र में अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे-न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन सम्भव हो जाता है, सामग्री दुरुपयोग रुक जाता है, मशीनों की कार्यक्षमता को स्थिर रखा जा सकता है तथा उसमें वृद्धि की जा सकती है, मशीनों के प्रयोग में उचित नियन्त्रण रखा जा सकता है। इस प्रणाली में श्रमिकों पर हुए व्यय का लेखा रखा जाता है, कुशल तथा अकुशल श्रमिकों को दिये गये पारिश्रमिक के अनुसार, उनकी उत्पादन क्षमता का माप किया जाता है।

लागत लेखों में व्ययों का समुचित विश्लेषण होने से उत्पादित कार्य के दोषों, श्रमिकों व संयंत्रों के निरुद्योग रहने की अवधि तथा सब प्रकार के विलम्बों, हानियों तथा बर्बादियों का ज्ञान होता रहता, जिससे इनमें कमी करने के प्रयास किये जा सकते हैं। उत्पादन प्रक्रिया के दोषों का ज्ञान होते रहने से नये-नये आविष्कारों को प्रोत्साहन मिलता है। इससे उत्पादन प्रक्रिया में निरन्तर सुधार होता रहता है तथा कारखाने की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। लागत लेखे के द्वारा आदर्श लागत निश्चित किया जा सकता है।

2. प्रशासन के क्षेत्र में होने वाले लाभ- लागत लेखांकन से भिन्न-भिन्न विभागों एवं उपकार्यों की कार्यविधि के गुण-दोषों का ज्ञान होता रहता है, इस जानकारी के आधार पर एक कुशल प्रशासक हानिकारक उत्पादन प्रक्रिया या विभाग के दोषों का अन्त करने का प्रयास करता है तथा आवश्यक होने पर हानिकारक प्रक्रिया या विभाग को बन्द भी कर सकता है। इस प्रकार लागत लेखों की सहायता से एक प्रशासक उत्पादन कार्य का सफलतापूर्वक संचालन कर सकता है। लागत लेखांकन में वास्तविक लागत की प्रमाप लागत से तुलना की जाती है। यदि वास्तविक लागत प्रमाप लागत से अधिक है तो लागत लेखांकन उसे प्रमाप लागत तक लाने में सहायक होता है। व्यवसाय को संगठित करने की रूपरेखा बनाना, उचित मात्रा में पूँजी लगाना, कार्य-कुशल श्रमिकों की नियुक्ति करना और भविष्य के लिए नीति निर्धारित करने में लागत लेखे बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं।

3. विक्रय एवं वितरण के क्षेत्र में लाभ- किसी वस्तु का न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन जितना महत्त्वपूर्ण है उतना ही महत्त्वपूर्ण विक्रय एवं वितरण का कार्य है। लागत लेखांकन प्रणाली में अनेक प्रकार से विक्रय विभाग पर नियंत्रण रखकर बिक्री बढ़ाने के प्रयास किये जाते हैं। विक्रय वृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि वस्तु का उचित विक्रय मूल्य निर्धारित किया जाय और उचित विक्रय मूल्य उसी दशा में निर्धारित किया जा सकता है, जबकि हमें वस्तु की वास्तविक लागत का सही-सही ज्ञान हो। लागत लेखांकन सही उत्पादन लागत का ज्ञान कराने में सहायक होता है। लागत लेखा की सहायता से ही हम टेण्डर मूल्य भी भेज सकते हैं। टेण्डर मूल्य माल के उत्पादन के पूर्व ही देने पड़ते हैं, यह मूल्य होना चाहिए कि इससे उत्पादक को अपेक्षित लाभ प्राप्त हो सके, इसकी संभावना तभी है, जबकि माल के सभी तत्त्वों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण किया गया हो। यह कार्य लागत लेखांकन विक्रय मूल्य निर्धारित करने एवं टेण्डर मूल्य भेजने आदि में सहायता करता है।

(II). श्रमिकों को लाभ- लागत लेखा प्रणाली से केवल उत्पादकों एवं प्रबन्धकों को ही लाभ प्राप्त नहीं होते, बल्कि श्रमिकों को भी इस प्रणाली से लाभ होते हैं। कर्मचारियों एवं श्रमिकों को लागत लेखों से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

1. श्रमिकों को कुशल बनाने में सहायक- लागत लेखांकन श्रमिकों को कुशल बनाने में सहायक होता है। इसके द्वारा अकुशल श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर अधिक योग्य बनाने का प्रयास किया जाता है।

2. कार्यक्षमता में वृद्धि- लागत लेखे श्रमिकों को उनके उपयुक्त व उचित मजदूरी देकर उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि करते हैं।

3. मजदूरी का उचित वितरण – लागत लेखों द्वारा संगृहीत समंकों के आधार पर श्रमिकों की उचित मजदूरी निश्चित की जाती है तथा श्रमिकों का चुनाव भी पूरी योग्यताओं साथ किया जाता है। यह प्रयास किया जाता है कि उचित श्रमिकों को उचित कार्य मिले।

(III). विनियोक्ताओं को लाभ- कोई भी विनियोजक किसी उद्योग या व्यवसाय में अपनी पूँजी का विनियोजन तभी करेगा जब उसे उचित लाभ प्राप्त हो। जब उसे ज्ञात हो जाय कि कोई उद्योग या संस्था हानि पर चल रही है तो वह कभी भी अपना पैसा नहीं लगाना चाहेगा। विनियोगकर्त्ता उत्पादन के कार्य से कम्पनी गतिविधि का अनुमान लगा लेता है। लागत लेखे विनियोगकर्ताओं को किस प्रकार लाभ पहुँचाते हैं, ये लाभ निम्नलिखित हैं-

1. लेखों का सही ज्ञान- लागत लेखों द्वारा उन्हें वस्तु की सही लागत मालूम हो जाती है तथा उसी वस्तु का बाजार मूल्य करके यह अनुमान करके यह अनुमान लगा सकते हैं कि वस्तु पर कितना लाभ कमाया जा रहा है।

2. लाभार्जन शक्ति का पता लगाना- जब विनियोजक लागत लेखों का अध्ययन करते हैं तो उद्योग की लाभार्जन शक्ति का पता लग जाता है तथा वे सोच-समझकर अपना पैसा सही उद्योग में लगाता है। इस प्रकार विनियोजकों को लागत लेखों से लाभ प्राप्त होते हैं।

(IV). उपभोक्ताओं को लाभ- उपभोक्ताओं को लागत लेखे से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-

1. न्यूनतम लागत पर वस्तु की प्राप्ति- उपभोक्ता को लागत लेखों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन्हें सस्ती वस्तु उपलब्ध होती है। लागत लेखांकन से व्ययों पर पूरा नियंत्रण रहता है तथा वस्तु की कुल लागत कम होने उपभोक्ताओं को उत्तम मूल्य पर सस्ती वस्तुएँ मिल जाती हैं।

2. लाभार्जन शक्ति का पता लगाना- लागत लेखों की सूचनाओं से उपभोक्ता वर्ग को यह ज्ञान प्राप्त हो जाता है कि व्यवसायी अत्यधिक मूल्य तो नही ले रहे हैं।

3. मूल्यों में स्थिरता- व्यवसायियों के मध्य प्रतियोगिता के चक्कर में वस्तु के मूल्य अपने आप कम हो जाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को काफी समय तक सस्ती व उचित मूल्य पर वस्तुएँ उपलब्ध होती रहती हैं।

(V) राष्ट्र व समाज को लाभ- लागत लेखों से राष्ट्र व समाजों को भी लाभ प्राप्त होते हैं। जब देश की सरकार आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाती है। तो इन योजनाओं के लक्ष्य लागत लेखांकन के आधार पर ही निश्चित किये जाते हैं तथा उन्हें कार्यान्वित करते समय इन लेखों द्वारा ही व्ययों पर नियंत्रण रखा जाता है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि लेखों से उत्पादकों, प्रबन्धकों, कर्मचारियों व श्रमिकों, विनियोक्ताओं, उपभोक्ताओं व राष्ट्र तथा समाज प्रत्येक वर्ग को उचित लाभों की प्राप्ति होती है। कोई भी वर्ग इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहता है।

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Anjali Yadav

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