सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
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सांख्यिकी का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Statistics)
सांख्यिकी शब्द का अर्थ वचनों (Numbers) के आधार पर अलग-अलग होता है। जब सांख्यिकी शब्द का प्रयोग एक वचन में किया जाता है तब इसका तात्पर्य एक वैज्ञानिक पद्धति अथवा विज्ञान से होता है। जब सांख्यिकी शब्द का प्रयोग बहुवचन में होता है तब इसका अर्थ आँकड़ों से होता है और प्रायः इससे उनके संकलन, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण और विश्लेषण का बोध होता है।
प्रो० होरेस सेक्राइस्ट के अनुसार “सांख्यिकी से हमारा अभिप्राय तथ्यों के उन समूहों से है जो अगणित कारणों से पर्याप्त सीमा तक प्रभावित होते हैं, जो संख्याओं में व्यक्त किए जाते हैं, एक उचित मात्रा की शुद्धता के अनुसार गिने या अनुमानित किये जाते हैं, किसी पूर्व निश्चित उद्देश्य के लिए एक व्यवस्थित ढंग से एकत्र किए जाते हैं और जिन्हें एक दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। “
एक अन्य परिभाषा के अनुसार, “सांख्यिकी एक विज्ञान और कला है जो सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक व अन्य समस्याओं से सम्बन्धित समंको के संग्रहण, वर्गीकरण सम्बन्ध स्थापन, निर्वचन और पूर्वानुमान से सम्बन्ध रखती है ताकि निर्धारित उद्देश की पूर्ति हो सके।”
सांख्यिकी के प्रकार (Kinds of Statistics)
विषय सामग्री की दृष्टि से सांख्यिकी को पाँच भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1. सैद्धान्तिक सांख्यिकी (Theoretical Statistics) – इसका सम्बन्ध उन सूत्रों (Formulae) के निर्माण एवं विकास से है, जिनका उपयोग व्यावहारिक सांख्यिकी में किया जाता है। जैसे- कोटि अन्तर विधि (Rank difference method) द्वारा सह-सम्बन्ध के सूत्र का निर्माण, मानक त्रुटि (Standard Error) के लिए सूत्र का निर्माण आदि ।
2. वर्णनात्मक सांख्यिकी (Descriptive Statistics) – इस सांख्यिकी का उद्देश्य किसी एक विषय से सम्बन्धित प्रायः सामान्य तथ्यों के संकलन, संगठन, प्रस्तुतीकरण व परिकलन से होता है। मूल आँकड़ों को सार्थक व विवेचना योग्य बनाने के लिए व्यवस्थित करना तथा आरेखाओं एवं आलेख चित्रों द्वारा स्पष्ट करना, इसी सांख्यिकी का क्षेत्र है।
3. आनुमानिक सांख्यिकी (Inferential Statistics) – इस सांख्यिकी का उद्देश्य किसी एक समूह से सम्बन्धित प्राप्त आँकड़ों के आधार पर अथवा प्रतिदर्श द्वारा प्राप्त आँकड़ों के आधार पर सम्पूर्ण जनसंख्या अथवा समूह के सम्बन्ध में अनुमान लगना होता है इसके अन्तर्गत प्रसम्भाव्यता नियमों (Laws of probability), मध्यमान की मानक त्रुटि (Standard Error of Mean) आदि मापदण्डों के आधार पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सम्पूर्ण जनसंख्या के विषय में सरलता और शुद्धता से अनुमान (Inferences) लगाए जा सकते हैं।
4. व्यावहारिक सांख्यिकी (Applied Statistics) – इस सांख्यिकी का क्षेत्र ऐसे. आँकड़ों का संकलन है जिनका उपयोग प्रायः राजनैतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र में होता है। मतदाताओं की संख्या में परिवर्तन, उत्पादन के स्तर में परिवर्तन, जन्म-मरण का लेखा-जोखा आदि का अध्ययन इस क्षेत्र के अन्तर्गत किया जाता है जिसमें प्राय: सूचकांकों (Index Numbers) का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
5. भविष्य कथनात्मक सांख्यिकी (Predictive Statistics) – इस प्रकार की सांख्यिकी का उद्देश्य भविष्य की घटनाओं के विषय में पूर्व-कथन (Prediction) होता है। इसमें दो या दो से अधिक चरों में व्याप्त सह-सम्बन्ध गुणांक का पता लगाकर उसके आधार पर दो या अधिक चरों के विषय में भविष्यवाणी की जाती है।
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