सामाजिक अध्ययन एवं सामाजिक विज्ञान(Differences between Social Studies and Social Sciences)
धारणा यह है कि सामाजिक अध्ययन तथा सामाजिक विज्ञानों का एक ही अर्थ है। यह अन्तर बाह्य रूप से नहीं दिखाई देता है क्योंकि दोनों ही मानवीय संबंधों का अध्ययन करते है। इसमें जो अन्तर पाया जाता है, वह गहनता, स्तर एवं प्रयोजन के दृष्टिकोण से है। सामाजिक विज्ञान मानवीय संबंधों का उच्चतर एवं विद्वतापूर्ण अध्ययन है जिसमें अनुसंधान, खोज तथा प्रयोग के लिए स्थान है। परन्तु सामाजिक अध्ययन विद्यालय पाठ्यक्रम का वह अंग है जिसमें विज्ञान के तत्त्वों, विधियों तथा शोधों को सरलतम रूप में शिक्षण की सुविधानुसार रखा जाता है। ‘सामाजिक अध्ययन’ तथा ‘सामाजिक विज्ञान’ में केवल गहनता तथा प्रयोजन क्रम का अन्तर है अन्यथा दोनों की विषय-वस्तु एक समान है। सामाजिक विज्ञान मानवीय संबंधों का व्यवस्थित तथा प्रमाणिक लेखा-जोखा है जो आधुनिक विश्व की सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश भी डालता है तथा उनका हल भी प्रस्तुत करता है। इनमें इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, न्यायशास्त्र, दण्डविज्ञान आदि विज्ञानों तथा सामाजिक विषयों का संगठन होता है।
इनमे अन्तर संक्षेप में निम्न प्रकार से हैं –
सामाजिक विज्ञान ( Social Science) | सामाजिक अध्ययन (Social Study ) |
(1) सामाजिक विज्ञान वयस्को के लिए है। | (1) सामाजिक अध्ययन विद्यालय के बालकों के लिए हैं। |
(2) विषय वस्तु का बौद्धिक स्तर उच्च होता है। | (2) विषय-वस्तु का बौद्धिक स्तर सामाजिक विज्ञानों की अपेक्षा निम्न होता है। |
(3) सामाजिक विज्ञान का अध्ययन करना ऐच्छिक है। | (3) सामाजिक अध्ययन करना अनिवार्य विषय है। |
(4) सामाजिक विज्ञान सैद्धान्तिक अधिक सामाजिक है। | (4) सामाजिक अध्ययन अध्ययन अधिक व्यावहारिक है। |
(5) सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र विस्तृत होता है। | (5) सामाजिक अध्ययन का क्षेत्र सामाजिक विज्ञान की अपेक्षा संकुचित है। |
(6) सामाजिक विज्ञान का मुख्य तत्त्व विद्वता एवं सामाजिक उपयोगिता है। | (6) सामाजिक अध्ययन का मुख्य तत्त्व निर्देशात्मक उपयोगिता ( Instructional Utility) है। |
वेस्ले ने इन दोनों के अन्तर को स्पष्ट करते हुए लिखा है- “सामाजिक विज्ञान तथा सामाजिक अध्ययन दोनों मानवीय संबंधों की विवेचना करते हैं, लेकिन प्रथम (सामाजिक विज्ञान) प्रौढ़ावस्था पर तथा दूसरा (सामाजिक अध्ययन) बालकों के स्तर पर अतः स्पष्ट है कि सामाजिक अध्ययन मूलत: सामाजिक विज्ञानों से ही अपनी विषय वस्तु ग्रहण करता है। सामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञान है जिसको निर्देशात्मक अभिप्रायों के लिए सरलीकृत एवं पुनः संगठित किया गया है। अतः सामाजिक विज्ञानों तथा सामाजिक अध्ययन में दार्शनिक या सैद्धान्तिक अन्तर नहीं है बल्कि केवल व्यावहारिक एवं सुविधा के दृष्टिकोण में अन्तर है।”
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