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अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ Definitions of Economics
एरिक रॉल के शब्दों में, “किसी विषय का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करने के लिए उसकी परिभाषा को जानना उतना हो आवश्यक है जितना की उस खेत की सीमाओं को जानना जिस पर कि खेती करनी है। अतः अर्थशास्त्र का भली-भांति अध्ययन करने के लिए हमें सर्वप्रथम इसकी परिभाषा को जानना चाहिए। किन्तु नपे-तुले तथा ठीक-ठीक शब्दों में अर्थशास्त्र की कोई सर्वमान्य परिभाषा देना अत्यन्त कठिन है, क्योंकि विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने मित्र-भिन्न समय पर अर्थशास्त्र की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ दी है। अर्थशास्त्र की अनगिनत परिभाषाओं को ध्यान में रखकर ही जे० एम० कीन्स (J.M. Keynes) ने कहा है, “अर्थशास्त्र में परिभाषाओं से अपना गला घोंट लिया है। इसी प्रकार का विचार बारबरा बूटन (Barbara Wootton) ने व्यक्त किया है, “जब कभी छः अर्थशास्त्री इकट्ठे होते हैं उनके सात मत होते हैं।
आरम्भ में एडम स्मिय, जे० बी० से मिल आदि विद्वानों ने अर्थशास्त्र को ‘पन का विज्ञान’ बतलाया। उनके इस विचार की कटु आलोचना की गई। तत्पश्चात् मार्शल, पीगू आदि विद्वानों ने अर्थशास्त्र को ‘भौतिक कल्याण का अध्यवन’ बतलाया। रॉबिन्स ने इस विचार की कटु आलोचना की और अर्थशास्त्र को दुलर्भता अथवा सीमित साधनों का अध्ययन माना अध्ययन की सुविधा के लिए हम अर्थशास्त्र की विभिन्न परिभाषाओं को चार वर्गों में बांटते हैं- (1) धन सम्बन्धी परिभाषाएँ, (2) भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषाएँ (3) दुर्लभता या चुनाव सम्बन्धी परिभाषाएँ तथा (4) विकास केन्द्रित परिभाषाएं या आधुनिक परिभाषाएँ।
(1) धन सम्बन्धी परिभाषाएँ (Wealth Definitions)
अर्थशास्त्र का जन्म सन् 1776 में प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री एडम स्मिथ की An Enquiry into the Nature and Causes of the Wealth of Nations’ नामक पुस्तक के प्रकाशन से हुआ जिस कारण एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है।
(1) एडम स्मिथ (Adam Smith) के शब्दों में, “अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। स्मिथ ने ‘Wealth of Nations नामक अपनी विश्वविख्यात पुस्तक में बताया, “अर्थशास्त्र में राष्ट्रों की सम्पत्ति के स्वरूप तथा इसके कारणों की जांच की जाती है।
(2) फ्रांसीसी अर्थशास्त्री जे० बी० से (J.B. Say) के अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन का विवेचन करता है।
(3) प्रो० सीनियर (Senior) के विचार में, “राजनीतिक अर्थशास्त्री की विषय-सामग्री सुख नहीं बल्कि धन है।”
(4) जे० एस० मिल (J.S. Mill) के अनुसार, “अर्थशास्त्र धन के स्वभाव तथा उसके वितरण और उत्पादन सम्बन्धी नियमों की खोज करता है।
(5) प्रो० वाकर (Walker) के मतानुसार, “अर्थशास्त्र ज्ञान की वह शाखा है जो धन से सम्बन्धित है।
विशेषताएँ (Characteristics)-
यन सम्बन्धी परिभाषाओं की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं.—-
(1) धन पर बल-एडम स्मिथ के अनुसार, अर्थशास्त्र में केवल धन का अध्ययन किया जाता है, अर्थात् अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री का केन्द्रविन्दु धन’ है।
(2) धन में केवल भौतिक वस्तुओं का समावेश-इन परिभाषाओं में ‘धन’ के अन्तर्गत केवल भौतिक वस्तुओं को शामिल किया गया है जिन्हें हम देख तथा छू सकते हैं।
(3) मुख का साधन-मानवीय सुख का एकमात्र साधन धन है।
(4) आर्थिक मनुष्य की कल्पना-इन परिभाषाओं में एक ऐसे आर्थिक मनुष्य की कल्पना की गयी है जो केवल स्वहित (self interest) से प्रेरित होकर आर्थिक क्रियाएँ करता है।
(5) व्यक्तिगत हित एवं सामाजिक हित- व्यक्तिगत हित तथा सामाजिक हित में परस्पर कोई विरोध नहीं है। व्यक्तिगत समृद्धि से राष्ट्रीय धन में वृद्धि होती है।
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