कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

आर्थिक और अनार्थिक क्रिया में अंतर | Aarthik Aur Anarthik Kriya Mein Antar

आर्थिक तथा अनार्थिक क्रियाओं में भेद
आर्थिक तथा अनार्थिक क्रियाओं में भेद

आर्थिक और अनार्थिक क्रिया में अंतर या भेद बताइये|

प्रो० मार्शल (Marshall) ने मनुष्य की क्रियाओं को दो भागों में बाँटा है- (1) आर्थिक क्रियाएँ तथा (ii) अनार्थिक क्रियाएँ। अर्थशास्त्र में मनुष्य की केवल आर्थिक क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है।

आर्थिक क्रियाएँ (Economic Activities)- मनुष्य की ये सभी क्रियाएँ जो धन कमाने तथा उसके व्यय से सम्पनियत होती है ‘आर्थिक क्रियाएँ’ कहलाती है। उदाहरणार्थ, धन कमाने के लिए किसान खेत में हल चलाता है, मजदूर कारखाने में उत्पादन करता है, बढ़ई फर्नीचर तैयार करता है, दर्जी कपड़े सीता है, वकील मुकदमे की पैरवी करता है, डॉक्टर मरीज देखता है अध्यापक स्कूल कॉलेज में पढ़ाता है इत्यादि। इन सब क्रियाओं का उद्देश्य धन कमाना है। संक्षेप में, मनुष्य की वे सभी क्रियाएँ जो धन प्राप्त करने तथा उसके प्रयोग से सम्बन्धित होती हैं ‘आर्थिक क्रियाएँ’ कहलाती हैं। इस दृष्टि से धन के उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा वितरण से सम्बन्धित क्रियाएँ आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है।

मार्शल के विचार में, “मनुष्य के वे व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्य आर्थिक क्रिया कहलाते हैं जिनका माननीय भौतिक सुख के साधनों की प्राप्ति तथा उनके प्रयोग से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।”

अनार्थिक क्रियाएँ (Non-economic Activities)-मनुष्य की जिन कियाओं का उद्देश्य धन प्राप्त करना नहीं होता ये सब अनार्थिक क्रियाएँ कहलाती है। उदाहरणार्थ, मनोरंजन, परोपकार, देश-प्रेम, सेवा-भाव, धर्म आदि भावनाओं से प्रेरित होकर की गई क्रियाएँ अनार्थिक होती हैं क्योंकि वे धनोपार्जन के उद्देश्य से नहीं की जाती सिनेमा देखना, घूमना, व्यायाम करना, मनोरंजन हेतु खेलना, ईश्वर की पूजा करना आदि अनार्थिक क्रियाए हैं।

अर्थशास्त्र की विषय सामग्री सम्बन्धी कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण बातें –

अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री सम्बन्धी उक्त विश्लेषण से निम्न बातों का संकेत मिलता है-

(1) मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन-जर्वशास्त्र में केवल मनुष्यों की धनोपार्जन सम्बन्धी किवाओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, जानवर आदि की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता।

(2) सामाजिक मनुष्य का अध्ययन-अर्थशास्त्र समाज में रहने वाले व्यक्तियों को आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता| इस दृष्टि से अर्थशास्त्र में पहाड़ों तथा गुफाओं में रहने वाले साधु-सन्तों की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता। है।

(3) वास्तविक मनुष्य का अध्ययन-वास्तविक मनुष्य’ (Real Man) से अभिप्राय उन व्यक्तियों से है जो हाड़-मांस तथा रक्त के बने होते हैं और जो प्रेम, दया, परोपकार, स्वार्थ आदि भावनाओं से प्रेरित होकर व्यवहार करते हैं। इस दृष्टि से अर्थशास्त्र में दानव, भूत-प्रेत आदि काल्पनिक मनुष्यों की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता।

(4) सामान्य मनुष्य का अध्ययन-अर्थशास्त्र में ऐसे व्यक्तियों की क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जो सामान्य बुद्धि वाले व्यक्तियों की भाँति व्यवहार करते हैं। इस दृष्टि से चोर, पागल, शराबी, कंजूस आदि असामान्य व्यक्तियों की क्रियाओं को अध्ययन अर्थशास्त्र में नहीं किया जाता।

संक्षेप में, अर्थशास्त्र में सामाजिक, वास्तविक तथा सामान्य व्यक्ति की कानूनी दायरे में सम्पन्न की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

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Anjali Yadav

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