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उपलब्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इनके महत्व का वर्णन कीजिये।
उपलब्धि परीक्षाएँ वे परीक्षाएँ है जिनकी सहायता से विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विषयों और सिखाये गए कौशलों की उपलब्धि का पता लगाया जाता है। इस प्रकार उपलब्धि परीक्षण विद्यार्थी की सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान की उपलब्धि की जाँच करने का परीक्षण । उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट करने के लिए यहां कुछ विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं पर विचार करना आवश्यक है-
(1) गैरीसन के अनुसार, ‘उपलब्धि परीक्षण, बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मूल्यांकन करती हैं।’
(2) इवेल के अनुसार, ‘ उपलब्धि परीक्षण वह अभिकल्प है जो छात्र के द्वारा सीखे गये ज्ञान, कुशलता या क्षमता का मापन करता हैं।’
उपलब्धि ( निष्पति) परीक्षण का महत्त्व/लाभ/उपयोगिता/आवश्यकता
उपलब्धि (निष्पति) परीक्षण का महत्त्व/लाभ/उपयोगिता/आवश्यकता निम्नलिखित है-
(1) उचित अध्ययन विधि में सहायक (उपयोगी ) – उपलब्धि (निष्पति) परीक्षण छात्रों को ऐसे अवसर प्रदान करती है कि उसकी अध्ययन विधि में क्या-क्या कमियाँ है जिसके परिणामस्वरूप उसे कम अंक प्राप्त हुए है। उसे अपनी कमियों की जानकारी हो जाती है जिससे उसे सुधार करने के अवसर मिल जाते हैं।
( 2 ) उपलब्धि का निरीक्षण (अध्ययन) – उपलब्धि परीक्षण में छात्रों द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों में उनकी योग्यता, ज्ञान एवं क्षमता को मापा जाता है। इनसे छात्रों के बौद्धिक विकास की भी जानकारी होती है।
(3) शिक्षण संस्थाओं को मान्यता देने में सहायक – उपलब्धि परीक्षणों द्वारा विभिन्न शिक्षण संस्थाओं का मूल्यांकन भी किया जाता है। किसी भी शिक्षण संस्था के परिणामों के आधार पर उसकी कार्यकुशलता को जाँचा जा सकता है। इसी के आधार पर शिक्षण संस्थाओं में उच्च कक्षाओं के प्रारंभ करने की सहमति प्रदान की जाती है।
(4) अध्ययन हेतु लालच देना – उपलब्धि परीक्षण के द्वारा छात्रों को अध्ययन करने के लिए लालच दिया जा सकता है क्योंकि इसकी पृष्ठभूमि में एक मनोवैज्ञानिक तथ्य छिपा रहता है।
(5) चयन, प्रवेश एवं पदोन्नति में सहायक उपलब्धि (निष्पति) परीक्षण – का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में उसके अनुरूप दक्ष व्यक्तियों के चयन तथा विद्यालयों में छात्रों के प्रवेश हेतु किया जाता है। इन परीक्षणों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र के अतिरिक्त विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में कर्मचारियों का चयन एवं पदोन्नति भी संभव है।
(6) शिक्षण संस्थाओं तथा शिक्षकों का मूल्यांकन – उपलब्धि परीक्षणों के द्वारा यह भी मालूम किया जा सकता है, कि विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में कौन सी शिक्षण संस्था अधिक प्रभावशाली है? उनका शिक्षण कार्य का स्तर किस प्रकार का है? उसमें विभिन्न विषय विभागों की स्थिति किस प्रकार की है? इस तरह उपलब्धि परीक्षण के अध्ययन के आधार पर शिक्षकों की योग्यता एवं कार्यकुशलता की तुलना की जा सकती है।
(7) शिक्षण विधि के सुधार में उपयोगी – उपलब्धि परीक्षणों में शिक्षक को अपनी अध्ययन-अध्यापन विधि में परिवर्तन करने का अवसर मिलता है। वह परीक्षाओं का प्रश्न-पत्र तैयार करते समय सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को मध्यनजर रखता है। इसके अलावा प्रश्न-पत्र में दिए गए विभिन्न प्रश्नों के अनुसार ही शिक्षक अपनी शिक्षण-विधि की उपयोगिता एवं त्रुटियों के आधार पर उनमें परिवर्तन एवं सुधार करता रहता है।
( 8 ) छात्रों को उचित मार्गदर्शन देने में सहायक – उपलब्धि परीक्षणों के आधार पर छात्रों को उचित शैक्षिक एवं जीवन मार्गदर्शन किया जा सकता है। इसके द्वारा यह भी पता लगाया जा सकता है कि छात्र किन-किन विषयों में कमजोर है तथा किन-किन विषयों में होशियार हैं। परिणामस्वरूप छात्र जिन विषयों में कमजोर हैं शिक्षक उन विषयों में और अधिक समय लगाकर उसकी सहायता कर सकता है।
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