शिक्षाशास्त्र / Education

एजूसेट क्या है ? एजूसेट की शिक्षा में उपयोगिता

एजूसेट क्या है ? एजूसेट की शिक्षा में उपयोगिता
एजूसेट क्या है ? एजूसेट की शिक्षा में उपयोगिता
एजूसेट क्या है? शिक्षा में एजूसेट की उपयोगिता बताइए। 

एजूसेट क्या है ?

शैक्षिक कार्यक्रमों में एजूसेट की लाभदायकता को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अक्टूबर 2002 में एजूसेट की संकल्पना पर विचार किया तथा इस सेटेलाइट को 20 सितम्बर 2004 को प्रक्षेपित किया गया हैं तथा जो देश के शैक्षिक सेटेलाइट के अन्तर्गत दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था हेतु कार्य करता है। इसे विशेष रूप से दृश्य श्रव्य साधनों से युक्त किया गया हैं जो डिजिटल शैक्षिक कक्षा व मल्टीमीडिया प्रणालियों पर आधारित हैं।

सैटेलाइट के माध्यम से शैक्षिक कार्यक्रमों की शुरूआत का प्रदर्शन भारत में 1975 76 में सैटेलाइट इन्स्ट्रक्शन टेलीविजन प्रयोग SITE द्वारा अमेरिकन एप्लीकेशन तकनीकी सैटेलाइट (ATS6) को प्रयोग करते हुए किया गया। इस अलौकिक प्रयोग के दौरान, जिसे सबसे बड़े सामाजिक प्रयोग के रूप में पूरे संसार में स्वास्थ व परिवार नियोजन कार्यक्रम हेतु किया जा सकता था को 6 राज्यों के 2400 भारतीय गाँवों में प्रत्यक्षता प्रसारित (Telecast) किया गया। बाद में 1983 में INSAT प्रणाली की शुरूआत की गई जिससे कई शैक्षिक कार्यक्रम संचालित किया जाने लगे। नब्बे के दशक में झाबुआ विकास संचार योजना (JDPs) व प्रशिक्षण विकास संचार चैनल (TDCC) ने आगे चलॅकर टेलीशिक्षा की शक्ति का प्रदर्शन किया। यहाँ तक कि टेली संचार कार्यक्रम के तहत 1996-97 में मध्य प्रदेश व कर्नाटक के शिक्षकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा प्रशिक्षित किया गया। इसमें शिक्षा के क्षेत्र में सैटेलाइट संचार के महत्त्व को समर्थन मिला। एजूसेट का प्रयोग निम्न क्षेत्रों में किया जा सकता हैं।

  1. पारम्परिक रेडियो व दूरदर्शन प्रसारण
  2. शैक्षिक रेडियो व दूरदर्शन
  3. आँकड़ों के आदान-प्रदान में
  4. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग,  आडियो कॉन्फ्रेंसिंग व कम्प्यूटर कॉन्फ्रेंसिंग में।

एजूसेट की शिक्षा में उपयोगिता

शैक्षिक अधिगम के क्षेत्र में व्यवहारिक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु व प्रभावी निर्देशन हेतु तथा शिक्षण व्यवस्था को व्यवस्थित रूप सें संचालन हेतु शिक्षा तकनीकी का प्रयोग किया जाता हैं राष्ट्रीय संशोधित शिक्षा नीति 1992 में भारत में मीडिया व शिक्षा तकनीकी के महत्त्व को समझते हुए कहा गया था कि प्राचीन काल की अपेक्षा वर्तमान समय में आधुनिक संचार तकनीकियों के उपयोग द्वारा शिक्षण अधिगम को प्रभावी व आसानी से प्रबन्धन योग्य बनाया जा सकता हैं संरचनात्मक दोहराव से बचने हेते आधुनिक शैक्षिक तकनीकी की पहुँच सुदूर क्षेत्रों व वंचित वर्ग के लोगों तक भी होनी चाहिए तथा जिन क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से शैक्षिक सुविधाओं का अभाव हैं वहाँ भी इनकी आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। इस शिक्षा नीति में यह भी कहा गया हैं कि शिक्षा तकनीकी का प्रयोग लाभदायक सूचनाओं के प्रसार में अध्यापकों के प्रशिक्षण व पुनः प्रशिक्षण में, शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में कला व संस्कृत जागरूकता उत्पन्न करने में तथा अन्तर्निहित मूल्यों के विकास के लिये पारम्परिक व गैर-पारम्परिक क्षेत्रों में किया गया जायेगा। इसका सर्वाधिक उपयोग उपलब्ध ढाँचागत संसाधनों के अनुरूप किया जायेगा।

इसरो ने शिक्षा के क्षेत्र में इसके प्रयोग के लिए GSAT-3 नाम संचार सैटेलाइट को प्रक्षेपित किया हैं जिससे पूरे राष्ट्र की शिक्षा नेटवर्क का विकास समाहित हैं इस नेटवर्क को ही एजूसेट के नाम से जाना जाता हैं जिसे भारत द्वारा GSAT-3 सैटेलाइट के प्रयोग द्वारा सतत दूरस्थ शिक्षा सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रक्षेपित किया गया हैं।

हरियाणा सरकार ने एजूसेट कार्यक्रम के अन्तर्गत देश में सबसे बड़ा प्रारम्भिक प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में किया व शिक्षा की सम्पूर्ण विषय-वस्तु विस्तार को पाँच चैनलों के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा हैं जिनमें दो प्राथमिक शिक्षा चैनल, 2 माध्यमिक शिक्षा चैनल व 1 तकनीकी संस्थान हैं। इस कार्य हेतु पंचकुला के डायट (DIET) कैम्पस में ३.8 एंटीना से मुक्त सैटेलाइट ट्रांसरिसीवर HUN3 को प्रक्षेपित किया जा रहा हैं सेटेलाइट के माध्यम से व्याख्यानों का प्रसारण भी आवश्यकतानुसार किया जाता है। इस प्रदेश में एजूसेट द्वारा प्रारम्भ किया गये कार्य निम्न हैं-

(क) प्रसारित पाठ्यवस्तु (ख) नियमित स्कूल/कॉलेज पाठ्यक्रम (ग) AIEEE के लिये कोचिंग (घ) मृदु कौशलों का प्रशिक्षण

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Anjali Yadav

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