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पूँजी: अर्थ, परिभाषाएँ (Capital: Meaning, Definitions)
“भूमि को छोड़कर व्यक्तियों तथा समाज की सम्पत्ति का वह भाग, जिसका प्रयोग अधिक धन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, पूंजी है।
-प्रो० पॉमस
पूँजी का अर्थ (Meaning of Capital)
बोलचाल की भाषा में ‘पूँजी‘ का अर्थ मुद्रा, धन तथा सम्पत्ति से लिया जाता है, किन्तु अर्थशास्त्र में इस शब्द का प्रयोग विस्तृत अर्थ में किया जाता है। अर्थशास्त्र में पूंजी’ से अभिप्राय मनुष्य द्वारा उत्पादित धन के उस भाग से है जिसका और अधिक धन उत्पन्न करने में प्रयोग किया जाता है। किसान के लिए खुरपा, हल, फावड़ा, ट्रैक्टर, बीज, खाद आदि पूंजी है क्योंकि इनकी सहायता से वह खाद्यान्नों का उत्पादन करता है। एक बढ़ई के लिए उसके औजार-यन्त्र, कील, लकड़ी आदि पूंजी हैं क्योंकि इनसे वह मेज-कुर्सी इत्यादि तैयार करता है।
पूँजी की परिभाषाएँ (Definitions of Capital)-
(1) रिकाडों के शब्दों में, “पूंजी धन का वह भाग है जिसका उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।”
(2) प्रो० चैपमैन के शब्दों में, “पूँजी वह धन है जो आय-प्रदान करता है तथा आय के उत्पादन में सहायक होता है या जिसका उद्देश्य इस प्रकार का होता है। “
(3) मार्शल के विचार में, “सभी प्रकार की सम्पत्ति, प्रकृति के निःशुल्क उपहारों को छोड़कर जिससे आय प्राप्त होती है, पूंजी होती है
(4) एडम स्मिथ के अनुसार, “पूंजी मनुष्य के भण्डार का वह भाग है जिससे वह आय प्राप्त करने की आशा करता है।
पूँजी के आवश्यक तत्त्व-उक्त परिभाषाओं से पूंजी के निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तत्वों का ज्ञान होता है-
(1) केवल धन ही पूँजी- पूंजी के अन्तर्गत केवल उन्हीं पदार्थों को शामिल किया जाता है जो धन होते हैं। जो वस्तु या पदार्थ ‘धन’ नहीं है उसे अर्थशास्त्र में पूंजी नहीं माना जाता इस प्रकार समस्त ‘पूँजी’ धन होती है।
(2) केवल मनुष्यकृत पन ही पूंजी-अर्थशास्त्र में पूंजी के अन्तर्गत केवल उसी धन को सम्मिलित किया जाता है जो मनुष्य द्वारा उत्पन्न किया गया होता है। इस प्रकार प्रकृति के निःशुल्क उपहार पूंजी नहीं कहलाते, जैसे नदियों, पर्वत, खनिज पदार्थ, हवा, पानी इत्यादि।
(3) धन का उपयोग-कोई वस्तु पूंजी है या नहीं, यह उस वस्तु के प्रयोग पर निर्भर करता है। केवल वे वस्तुएं ही पूंजी होती हैं जिनका प्रयोग धन के उत्पादन या आय कमाने के लिए किया जाता है। उदाहरणार्थ, घर में लगा बिजली का पंखा पूंजी नहीं बल्कि धन है, किन्तु कारखाने में लगा पंखा पूंजी है। इसी प्रकार किसी विद्यार्थी की साइकिल जिस पर बैठकर वह घर से स्कूल जाता है, पूँजी नहीं है किन्तु किसी कारखाने की साइकिल पूँजी है। संक्षेप में, उपभोग में काम आने वाला धन पूँजी नहीं है, किन्तु उत्पादक कार्यों में प्रयोग किया जाने वाला धन पूंजी’ होता है।
(4) पूंजी का स्वरूप-पूंजी वस्तुओं के रूप में भी होती है और धनराशि के रूप में भी आय (मुद्रा) का वह भाग जिसका किसी उत्पादन कार्य में निवेश कर दिया जाता है पूंजी होता है।
मुद्रा तथा पूँजी (Money and Capital) मुद्रा तथा पूंजी में अन्तर है। समस्त मुद्रा पूजी नहीं होती बल्कि मुद्रा का केवल वह भाग ही पूंजी होता है जिसका निवेश (investment) करके उत्पादन किया जाता है। इसी प्रकार समस्त पूंजी केवल मुद्रा के रूप में ही नहीं होती बल्कि वस्तुओं के रूप में भी होती है, जैसे-खाद, बीज, यन्त्र, मशीन आदि। संक्षेप में, न तो समस्त मुद्रा पूंजी होती है और न ही सारी पूंजी मुद्रा के रूप में होती है। (All money is not capital and all capital is not money.)
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