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मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय के संगठन तथा कार्य

मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय के संगठन तथा कार्य
मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय के संगठन तथा कार्य

मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय के संगठन तथा कार्य का वर्णन कीजिए।

मन्त्रिमण्डलीय या कैबिनेट सचिवालय की पृष्ठभूमि

मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय की उत्पत्ति ब्रिटिश शासन काल के दौरान हुई किन्तु भारत सरकार का कैबिनेट सचिवालय मुख्यतः स्वतन्त्रता के उपरान्त की घटना है। भारत में इसका प्रारम्भ उस समय से होता है। जब भारत सरकार द्वारा गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में “त्रिभागीय व्यवस्था’ की नींव रखी गयी। इस व्यवस्था को कानूनी मान्यता लॉर्ड केविंग ने दी। सितम्बर 1946 में अन्तरिम सरकार के आदेश द्वारा इस व्यवस्था का नाम बदलकर “मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय” कर दिया गया। 1947 में । इसके कार्य के स्वरूप में महत्वपूर्ण वृद्धि तब हुई जब मन्त्रिमण्डलीय “रक्षा समिति” गठित हुई। इस रक्षा समिति को सचिवालयीय सहायता प्रदान करने के लिए मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय में एक अलग सैनिक शाखा स्थापित की गयी। 1949 में इस सचिवालय के कार्यक्षेत्र में और अधिक वृद्धि तय हुई जब मन्त्रिमण्डलीय आर्थिक समिति की स्थापना की गयी। सन् 1954 में ओ. एण्ड एम. प्रभाग की स्थापना हुई और इसको कैबिनेट सचिवालय के अन्तर्गत रखा गया। आगे चलकर इस प्रभाग को 1964 में गृह मन्त्रालय में मिला दिया। 1961 में सांख्यिकी विभाग का सचिवालय के भाग के रूप में निर्माण किया गया। जून, 1970 में मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय में एक नवीन इलैक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना की गयी। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान का विषय शिक्षा मन्त्रालय से हटाकर मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय को सौंप दिया गया और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान विभाग के नाम से एक पृथक विभाग की स्थापना की गयी। सन् 1971 में इस विभाग को मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय से अलग कर योजना मन्त्रालय के अधीन कर दिया गया।

जुलाई, 1975 में मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय के अधीन दो विभाग थे- कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग तथा कैबिनेट मामलों से सम्बन्धित विभाग। किन्तु 1977, केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार के गठन के फलस्वरूप कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग को गृह मन्त्रालय में सम्मिलित कर दिया गया। मार्च 1985 में प्रशासनिक विभाग को गृह मन्त्रालय से अलग कर नवीन मन्त्रालय बनाया गया।

इस प्रकार मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय के संगठन तथा भूमिका के सम्बन्ध में समय- समय पर परिवर्तन होते रहे कभी कोई नवीन प्रभाग इसमें जोड़ा गया तो कभी इससे पृथक किया गया। किन्तु कुल मिलाकर इसकी कार्यक्षमता का विस्तार होने के साथ-साथ महत्व बढ़ गया है।

मन्त्रिमण्डलीय या कैबिनेट सचिवालय का संगठन

मन्त्रिमण्डीय सचिवालय सीधे प्रधानमंत्री के अधीन कार्य करता है। इसका सचिव “कैबिनेट सचिव” कहलाता है जो प्रशासनिक सेवा के शिखर पर विराजता है। इसकी सहायता के लिए अन्य अधिकारीगण तथा कर्मचारी होते. हैं। सचिवालय में तीन प्रमुख शाखाएँ हैं- (1) प्रधान सचिवालय (Head Secretariat), (2) सैनिक शाखा (Military wing), (3) आर्थिक शाखा (Economic Wing).

1. प्रधान सचिवालय- इसका एक प्रमुख सचिव होता है। सचिव की सहायता के लिए एक संयुक्त सचिव, एक उप-सचिव, चार अवर सचिन तथा छह अनुभाग अधिकारी होते. है। प्रधान सचिवालय की चार शाखाएं होती है – (1) मन्त्रिमण्डल शाखा (2) समन्वय शाखा तथा (3) सामान्य शाखा ।

2. सैनिक शाखा- सैनिक शाखा राष्ट्रीय रक्षा परिषद् तथा सेना सम्बन्धी रक्षा समिति आदि से सम्बन्धित समस्त कार्यों के लिए उत्तरदायी है। इसके साथ ही रक्षामन्त्री की पेंशन पुर्नविचार समिति, सेवीवर्ग अधिकारी समिति, सेनाध्यक्षों की समिति तथा अन्य समितियों, जैसे- संयुक्त योजना समिति, संयुक्त प्रशिक्षण समिति आदि से सम्बन्धित कार्य भी इसी शाखा द्वारा किये जाते हैं। यह शाखा युद्ध-पुस्तिका के प्रकाशन से सम्बन्धित कार्य भी करती है।

3. आर्थिक शाखा- यह शाखा मन्त्रिमण्डल की आर्थिक उत्पादन तथा वितरण समिति और वित्तीय सचिवों की समिति आदि के सचिवालय सम्बन्धी समस्त कार्यों के लिए उत्तरदायी होती है । मन्त्रिमण्डल या कैबिनेट सचिवालय के अधीन (1) कैबिनेट मामलों का विभाग, (2) सांख्यिकी विभाग, (3) सेवीवर्ग विभाग, तथा (4) इलैक्ट्रॉनिक विभाग होते हैं। कैबिनेट विभाग मन्त्रिमण्डलीय समितियों को दी जाने वाली सचिवालयी सहायता तथा कार्य के नियमों से व्यवहार करता है। सांख्यिकी विभाग केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण, भारतीय सांख्यिकी संस्थान तथा सांख्यिकी में सम्बद्ध अन्य समस्याओं के व्यवहार करता है।

मन्त्रिमण्डलीय मामलों के विभाग का संगठन

यह विभाग मन्त्रिमण्डल तथा उसकी समितियों के लिए सचिवालय सम्बन्धी कार्य करता है। यह विभाग शाखाओं में विभावित है- (1) नागरिक शाखा, (2) सैनिक शाखा, (3) जासूसी शाखा, (4) सांख्यिकी विभागः

1. नागरिक शाखा (Civil Wing) – यह मन्त्रिमण्डल एवं उसकी समितियों तथा सचिव समितियों का समस्त कार्य देखती है ओर उसका पूर्ण ब्यौरा आदि एकत्र करती है। यह भारत सरकार के कार्यकारी नियमों को समीचीन बनाने के लिए उत्तरदायी है। इसमें एक सचिव, एक सहायक सचिव, एक उपाध्यक्ष, एक सामान्य निर्देशक, दो संयुक्त सचिव, चार उप-सचिव, दो अवर सचिव तथा आठ सेक्शन अधिकारी होते है।

2. सैनिक शाखा (Military Wing) – यह शाखा राष्ट्रीय रक्षा परिषद तथा सेना रक्षा मंत्री की समिति आदि से सम्बन्धित समस्त कार्य करने के लिए उत्तरदायी हैं इसके साथ-साथ रक्षा मंत्री की पेन्शन पुनर्विचार समिति, सेवीवर्ग अधिकारी समिति, सेनाध्यक्षों की समिति तथा अन्य समितियों से सम्बन्धित कार्य भी इसी शाखा द्वारा किये जाते है। यह शाखा संघीय युद्ध- सुस्तिका के प्रकाशन से सम्बन्धित कार्य भी करती है। इसमें एक सचिव, एक निदेशक, नौ टाफ अधिकारी, नौ विज्ञान अधिकारी तथा सात स्टाफ अधिकारी होते है।

3. जासूसी शाखा (Intelligence Wing) – यह शाखा कैबिनेट की संयुक्त जासूस समिति के विषयों से सम्बन्धित कार्यो को सम्पन्न करती है। इसमें एक उपसचिव तथा तीन स्टाफ अधिकारी होते हैं।

4. सांख्यिकी विभाग (Statistic Department) – इसकी स्थापना 1957 में की गयी थी। यह सभी राज्यों एवं संघीय अभिकरणें को सांख्यिकी एकत्रित करने के मापदण्ड, आदर्श तथा तरीका बतलाता है। यह सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था के बावजूद एक पृथक अंग की भाँति कार्य करता है। इस संगठन का अध्यक्ष सांख्यिकी विभाग का संयुक्त सचिव होता है।

मन्त्रिमण्डल या कैबिनेट सचिवालय के कार्य (functions of cabinet secretariat)

कैबिनेट सचिवालय केन्द्रीय प्रशासन का केन्द्रबिन्दु है। इसके कार्यों का विवरण नि्म निम्नलिखित है-

1. यह केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल और उसकी समितियों को दैनिक कार्य से सम्बन्धित नवालयीय सहायता प्रदान करता है। यह सचिवालय कैबिनेट की बैठकों के लिए कार्य सूची र करता है, इसके बाद-विवादों तथा निर्णयों का अभिलेख रखता है तथा इसके सम्मुख आने वाले विषयों पर ज्ञापन तैयार करता है।

2. यह सचिवालय सूचना केन्द्र के रूप में विभिन्न सरकारी संस्थाओं से सम्बन्धित आवश्यक सूचनाएँ केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल, उसकी समितियां तथा राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति को प्रेषित करता है। यह मन्त्रिमण्डल की बैठकों के निर्णयों की सूचना भी सम्बन्धित विभागों को पहुँचाता है। प्रमुख विषयों पर लिये गये निर्णयों का मासिक प्रतिवेदन तैयार करके यह विभिन्न सम्बन्धित संस्थाओं को प्रेषित करता है।

3. यह मन्त्रिपरिषद् में मन्त्रियों, राज्यमन्त्रियों, उप-मन्त्रियों तथा संसदीय सचिवों की नियुक्तियाँ, उनके विभागों के वितरण शपथ-ग्रहण समारोह, पदग्रहण, त्याग-पत्र आदि मामलों से सम्बन्धित समस्त कार्य करता है।

4. कैबिनेट सचिवालय ऐसे कानूनों का निर्माण करता हो सरकार के कार्यों को सुविधापूर्वक सम्पन्न करने में सहायता करते हो। यह कैबिनेट कार्यालय में होता है। तीसरे, सरकार की नीतियों को लागू करने तथा उनमें समन्वय लाने से सम्बन्धित विभागों की देखरेख रखना इसका महत्त्वपूर्ण कार्य है। इस कार्य को करने में अन्य मन्त्रालयों तथा विभागों के अधिकारों को न तो यह कम करता है ओर न ही छीनता है, अपितु विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करता है, उन्हें उचित परामर्श देता है तथा सराकारी नीतियों को सुचारू रूप से लागू करता है।

5. कैबिनेट सचिवालय का प्रमुख कार्य विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करना है। केंन्द्रीय प्रशासनिक स्तर पर यह सचिवालय एक प्रमुख समन्वय संस्था है। कैबिनेट सचिव विभिन्न सचिव समितियों का अध्यक्ष होने के नाते विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं यह सचिवालय केन्द्र विभिन्न राज्यों के बीच भी समन्वयात्मक कार्य करता है।

6. यह कैबिनेट सचिव माध्यम से प्रधानमंत्री तथा आवश्यक होने पर मन्त्रियों को समय-समय पर महत्वपूर्ण विषयों से सम्बन्धित नीतियों के निरूपण एवं निष्पादन के विषय में परामर्श देता है। इसे मन्त्रिमण्डल के समक्ष प्रस्तुत सभी विषयों के सम्बन्ध में मन्त्रिमण्डल की सहायता और आवश्यक कार्रवाई करती पड़ती है, जैसे- संसद में व्यवस्थापन के लिए प्रस्तुत किये जाने वाले प्रस्ताव तैयार करना, विदेशों के साथ सन्धियों एवं समझौतों आदि से सम्बन्धित मामलें, संसद में अधिवेशनों को प्रारम्भ करने, स्थगित करने और लोकसभा को भंग करने सम्बन्धी प्रस्तावों पर विचार करना, सार्वजनिक जाँच समितियों की नियुक्ति और ऐसी समितियों की रिपोर्ट पर विचार, मन्त्रिपरिषद् द्वारा लिये गये किसी भी पूर्व-निर्णय पर पुनर्विचार आदि।

7. कैबिनेट सचिवालय का एक महत्वपूर्ण कार्य यह देखना भी है कि मन्त्रिमण्डल या उसकी समितियों द्वारा लिये गये निर्णय लागू हो रहे है अथवा नहीं। इसी कार्य हेतु यह सचिवालय मासिक प्रतिवेदन तैयार करता है जिसमें प्रत्येक मन्त्रालय के कार्यों की समीक्षा रहती है कि किस सीमा तक निर्णयों पर अमल हुआ है। यदि यह पाया जाता है कि कैबिनेट के निर्णयों को अमल में लाने के लिए कोई मन्त्रालय प्रगति नहीं कर रहा है तो यह विषय उच्चतर स्तर पर तय किया जाता है ताकि निर्णयों को लागू करने में तेजी लायी जा सके।

इस प्रकार स्पष्ट कि मन्त्रिमण्डलीय सचिवालय अनेक महत्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करता है। यह उच्चतर स्तर पर निर्णय किये जाने की प्रक्रिया में समन्वय करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रधानमंत्री के निर्देश के अनुसार कार्य करता है। यह सचिवों को समितियों के कार्य भी करता है। समय-समय पर इसकी बैठकें मन्त्रिमण्डीय सचिव की अध्यक्षता में समस्याओं पर विचार करने और परामर्श देने के लिए होता हैं।

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Anjali Yadav

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