शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण करना शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक है?
शिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण की आवश्यकता
शिक्षा के उद्देश्यों पर बिना विचार किये हुए शिक्षा की प्रक्रिया का संचालन सुचारु रूप से नहीं किया जा सकता। संसार में जितनी भी क्रियाएं होती हैं वे किसी लक्ष्य की ओर उन्मुख होती हैं। जब हम क्रिया का प्रारम्भ करते हैं तो उस क्रिया का किसी न किसी स्तर पर अन्त भी होता है। क्रिया का अन्त कहाँ होगा, इस बात को यदि हम क्रिया के प्रारम्भ के समय ही जान लें तो हम कहेंगे कि क्रिया का लक्ष्य यह है किसी क्रिया के अन्त की पूर्व दृष्टि ही एक प्रकार से उस क्रिया का उद्देश्य है। लक्ष्य-विहीन क्रिया के अस्तित्व को ही कुछ विद्वान् इन्कार करते हैं। शिक्षा भी एक प्रकार की क्रिया है और इसका भी उद्देश्य होता है। लक्ष्य विहीन शिक्षा निरर्थक है।
डीवी ने शिक्षा के उद्देश्यों पर विचार करते समय लिखा है कि शिक्षा का अपना कोई उद्देश्य नहीं होता। बालकों, अभिभावकों अथवा अध्यापकों का ही उद्देश्य होता है, शिक्षा का कोई लक्ष्य नहीं डीवी से सहमत होना कठिन है। यदि छात्र, शिक्षक व अभिभावक कुछ उद्देश्यों से शिक्षा की क्रिया का संचालन करते हैं तो शिक्षा की दिशा भी एक प्रकार से निश्चित हो जाती है।
शिक्षा निस्सन्देह एक प्रक्रिया है किन्तु यह लक्ष्य विहीन नहीं है। यह एक नैतिक प्रक्रिया है और किसी दिशा की ओर उन्मुख होती है। दिशा का निर्धारण ही लक्ष्य का निर्धारण है। दिशा के औचित्य एवं अनौचित्य का विचार ही शिक्षा के उद्देश्य का विचार विमर्श है। दिशा के ज्ञान के अभाव में पथिक की यात्रा अधूरी रहेगी। दिशा-भ्रम या गलत दिशा में की गयी यात्रा भी अनुपयोगी होगी। अतः शिक्षा के उद्देश्यों का निश्चय हमारे लिए आवश्यक है।
शैक्षिक उद्देश्यों पर विचार के समय हमें किसी एक उद्देश्य का निश्चय अभीष्ट नहीं। शिक्षा के अनेक उद्देश्य हो सकते हैं। ये उद्देश्य स्थिर या अटल न रहकर परिवर्तनशील एवं गतिमान हो सकते हैं। देश व काल के अनुसार इनका रूप परिवर्तन अवश्य ही होगा। कुछ आधारभूत एवं मौलिक उद्देश्य तो सदा एक से रहते हैं और देशकाल के अनुसार इनमें परिवर्तन होना अनिवार्य नहीं, किन्तु इन शाश्वत उद्देश्यों का प्रकटीकरण एवं प्रकाशन देश के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। किसी देश के ‘जीवन-दर्शन, राजनीतिक आदर्श और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ उस देश के शैक्षिक उद्देश्यों को प्रभावित करते हैं।
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