व्यावसायिक अर्थशास्त्र / BUSINESS ECONOMICS

सकल तथा शुद्ध लाभ से क्या आशय है ? What is meant by gross and net profit?

सकल तथा शुद्ध लाभ से क्या आशय है ? What is meant by gross and net profit?
सकल तथा शुद्ध लाभ से क्या आशय है ? What is meant by gross and net profit?

सकल तथा शुद्ध लाभ से क्या आशय है ? 

वास्तविक लाभ या शुद्ध लाभ (Net Profit)—

यह वह लाभ हैं जो साहसी की जोखिम उठाने की क्षमता और सौदा करने की योग्यता के प्रतिफल में मिलता है। इस लाभ में अन्य कोई पुरस्कार सम्मिलित नहीं होता है। साहसी में उत्पादन कार्य की जोखिम उठाने का विशेष गुण होता है। इसमें अतिरिक्त सौदा करने की योग्यता भी पर्याप्त मात्रा में होती है। तभी वह उत्पादन में अन्य उत्पादानों का सहयोग प्राप्त करने के लिए उनके स्वामियों से सौदा करने में सफल होता है। अपनी इस क्षमता और योग्यता के उपलक्ष्य में जो लाभ वह पता है, वास्तविक लाभ होता है। श्री कार्वर के अनुसार, , “जोखिम उठाने की क्षमता और सौदा करने की योग्यता के बदले जो पुरस्कार उद्यमकर्त्ता या साहसी को प्राप्त होता है, वह उसका शुद्ध या वास्तविक लाभ कहा जा सकता है।”

कुल लाभ या सकल लाभ (Gross Profit) –

बोलचाल की भाषा में जिसे लाभ कहते हैं, अर्थशास्त्र में उसे ‘कुल लाभ’ कहते हैं। उत्पत्ति का वह भाग, जो साहस के अतिरिक्त उत्पत्ति के अन्य उपादानों का पुरस्कार देने के पश्चात् शेष बचा रहता है, कुल लाभ होता है। दूसरे शब्दों में, किसी उत्पादन कार्य से प्राप्त कुल उत्पादन में से उत्पादन में लगे भूमि, श्रम, पूँजी व संगठन का पुरस्कार देने के पश्चात् जो बच जाता है, उसे कुल लाभ कहते हैं। जे० बी० क्लार्क के शब्दों में, “यह बिक्री-मूल्य का अन्तर है । इस लाभ में साहसी द्वारा प्रदान की गई पूँजी लगाये श्रम और भूमि का प्रतिफल भी सम्मिलित रहता है।”

कुल लाभ के अंग (Constituents of Gross Profit)

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि कुल लाभ में साहसी की जोखिम उठाने की क्षमता तथा सौदा करने की योग्यता के अतिरिक्त कुछ और तत्व भी सम्मिलित रहते हैं। इन तत्वों को निम्न चार वर्गों में रखा जा सकता है-

(1) साहसी के निजी उपादानों का प्रतिफल – कभी-कभी स्वयं साहसी अपने पास उपलब्ध उपादानों का प्रयोग उत्पादन में कर लेता है। ऐसी स्थिति में उसे इन उपादानों का पुरस्कार नहीं देना पड़ता अपितु इसके पुरस्कार लाभ के साथ उसे ही प्राप्त हो जाते हैं। यदि साहसी व्यापार के लिए अपना भवन देता है, पास की पूँजी लगाता है, स्वयं श्रम व प्रबन्ध सम्बन्धी कार्य करता है, तो वह लगान, ब्याज, मजदूरी व वेतन पाने का अधिकारी होता है। साधारणतया ये सब पुरस्कार उसके लाभ में सम्मिलित हो जाते हैं। यदि हमें वास्तविक लाभ का अनुमान लगाना हो तो कुल लाभ में से इन पुरस्कारों को घटा देना चाहिये ।

(2) संचालन व्यय एवं ह्रास- उत्पादन में यन्त्र, कल, औजार आदि अचल पूँजी का उपयोग होता है। इनके प्रयोग में घिसावट या हास होता है तथा कुछ समय पश्चात् इनकी प्रतिस्थापना करनी होती है। इन कार्यों के लिए उद्योगपति को व्यवस्था करनी पड़ती है। इस हेतु वह लाभ का एक निश्चित भाग मूल्य ह्रास कोष (Depreciation Fund) में एकत्रित करता है, ताकि समय-समय पर वह यन्त्रों का प्रतिस्थापन कर सके। इसके अतिरिक्त आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचने के लिये उसे अपनी सम्पत्ति का बीमा कराना भी आवश्यक होता है। उद्यमकर्त्ता बीमा प्रीमियम आदि व्यय इसमें से ही करता है। अतः कुल लाभ में सम्पत्तियों का मूल्य ह्रास और बीमा व्यय सम्मिलित रहता है। वास्तविक लाभ जानने के लिये इन्हें कुल लाभ में से घटाया जाता है।

(3) अव्यक्तिगत लाभ- यह लाभ दो प्रकार का होता है— (i) एकाधिकार लाभ और (ii) आकस्मिक लाभ। जब कभी उद्यमकर्त्ता अपने उत्पादन पर पूर्ण एकाधिकार रखता है तो उसे प्रतियोगिता का सामना नहीं करना पड़ता और ग्राहकों से अपनी वस्तुओं का अधिक मूल्य लेने से उसे जो अतिरिक्त लाभ मिलता है उसे एकाधिकार लाभ कहते हैं । कभी-कभी परिस्थितिवश वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाता है; जैसे—महायुद्ध के समय वस्तुओं का मूल्य बढ़ जाना। ऐसी स्थिति में उद्यमकर्ता को जो भी अधिक लाभ होता है उसे आकस्मिक या अनायास लाभ कहते हैं। वास्तविक लाभ का ठीक-ठीक अनुमान लगाने के लिये ऐसे लाभों को कुल लाभ में से घटाया जाता है।

(4) वास्तविक लाभ – यह लाभ उद्यमकर्ता की जोखिम उठाने की क्षमता और सौदा करने की चतुराई का पुरस्कार है । जब कुल लाभ में से उपरोक्त तीनों तत्वों (अंशों) की राशि घटा दी जाती है, तो शेष वास्तविक लाभ ही होता है।

कुल लाभ एवं शुद्ध लाभ में अन्तर (Difference between Gross Profit and Net Profit)

वास्तविक लाभ और कुल लाभ को परिभाषाओं से स्पष्ट है कि इन दोनों में अन्तर है। दोनों प्रकार के लाभ में अन्तर इस प्रकार है-

(1) वास्तविक लाभ का क्षेत्र संकीर्ण हैं, जबकि कुल लाभ का क्षेत्र विस्तृत होता है।

(2) वास्तविक लाभ साहसी की जोखिम उठाने की क्षमता और सौदा करने की योग्यता का पुरस्कार होता है, जबकि कुल लाभ में इन दोनों गुणों के पुरस्कार के अतिरिक्त अन्य पुरस्कार भी सम्मिलित रहते हैं ।

(3) वास्तविक लाभ कुल लाभ से सदैव कम रहता है, क्योंकि कुल लाभ में अन्य पुरस्कार भी सम्मिलित रहते हैं। यही नहीं, वास्तविक लाभ कुल लाभ का एक अंग है।

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Anjali Yadav

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