शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

सीखने के व्यवहारवादी सिद्धान्त | behavioral theory of learning in Hindi

सीखने के व्यवहारवादी सिद्धान्त | behavioral theory of learning in Hindi
सीखने के व्यवहारवादी सिद्धान्त | behavioral theory of learning in Hindi
सीखने के व्यवहारवादी सिद्धान्त के विषय में लिखो।

मनोविज्ञान में वाटसन का योगदान प्रमुख है। वाटसन ने मनोविज्ञान को व्यवहार का मनोविज्ञान बताया है। व्यवहार में अनेक कारणों से परिवर्तन होते रहते हैं। क्रिया-प्रतिक्रिया तथा अन्तःक्रिया द्वारा व्यवहार का निर्धारण होता है। मैक्स मैय्यर, अलबर्ट पी० वीस, वालटर एस० हन्टर, कार्ल एस० लेशली, ई० सी० टालमैन, सी० एल० हल, बी० एफ० स्किन्नर ने व्यवहारवाद के विकास में योगदान किया है। व्यवहार के विकास में पशुओं एवं बालकों पर किए गए प्रयोगों से प्राप्त परिणाम का विशेष योगदान है। अनुभव का स्थान व्यवहार ने लिया है तथा वस्तुनिष्ठता को बढ़ावा दिया है। व्यवहारवादी अधिगम सिद्धान्तों की देन इस प्रकार है-

1. अनुसन्धान के परिणामों का उपयोग- पशुओं तथा बालकों पर किए गए अनेक प्रयोगों से प्राप्त परिणामों का शिक्षण तथा अधिगम के क्षेत्र में प्रयोग किया गया। प्रयत्न एवं भूल को मानवीय अधिगम की प्रक्रिया में माना जाने लगा।

2. बाल मनोविज्ञान का विकास व्यवहारवाद के सिद्धान्तों के अनुसार बाल मनोविज्ञान का विकास हुआ। आदत निर्माण, चरित्र, सहज तथा मूलप्रवृत्तियों, गामक क्रियाओं का अध्ययन, बालक के संदर्भ में किया जाने लगा।

3. अधिगम सिद्धान्तों का निर्माण व्यवहारवाद ने मनोविज्ञान में अनेक अधिगम सिद्धान्तों का निर्माण किया है। अनुकूलित अनुक्रिया उद्दीपन अनुक्रिया, पुनर्बलन अनुकूलता अथवा सक्रिय अनुकूलन सिद्धान्त जैसी अवधारणाओं के विकास से नवीन उद्भावनायें विकसित हुई हैं।

4. परीक्षणों की रचना– व्यवहारवाद की अवधारणाओं पर अनेक विद्वानों ने बुद्धि, व्यक्तित्व, निष्पत्ति तथा विशेष योग्यताओं के मापन हेतु अनेक परीक्षणों का निर्माण किया, जिनका उपयोग अधिकांशतः किया जाता है।

5. ध्वनिविज्ञान पर कार्य – व्यवहारवादियों ने बाल विकास के संदर्भ में अनेक प्रयोग ध्वनिविज्ञान पर किए तथा इसके आधार पर वाचन तथा अन्य भाषा सम्बन्धी कौशलों के सीखने के प्रयोग किए गए।

6. शिक्षण क्षेत्र में परिवर्तन- व्यवहारवाद ने अपने प्रयोगों के द्वारा शिक्षण पाठ्यक्रम, विधियों मापन के तरीकों में परिवर्तन की आवश्यकता अनुभव की तथा बालकों के विकास के अनुकूल बनाने का प्रयास किया।

7. वस्तुनिष्ठता- व्यवहारवाद ने मनोविज्ञान के अध्ययन को व्यावहारिक, वस्तुनिष्ठ, सरल तथा बोधगम्य बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। व्यवहारवाद के क्षेत्र में अधिगम के इन सिद्धान्तों पर विचार करेंगे।

व्यवहारवादी सिद्धान्त, जो सीखने की क्रिया पर प्रकाश डालते हैं, उनमें प्रमुख हैं-उद्दीपन अनुक्रिया, अनुकूलित अनुक्रिया एवं सक्रिय अनुबन्धन ।

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Anjali Yadav

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