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हमारी पाठ्य-पुस्तक में जेण्डर को कैसे स्थापित किया गया है ? How is Gender placed in your text book? in Hindi

हमारी पाठ्य-पुस्तक में जेण्डर को कैसे स्थापित किया गया है ? How is Gender placed in your text book? in Hindi
हमारी पाठ्य-पुस्तक में जेण्डर को कैसे स्थापित किया गया है ? How is Gender placed in your text book? in Hindi

हमारी पाठ्य-पुस्तक में जेण्डर को कैसे स्थापित किया गया है ? How is Gender placed in your text book ?

पाठ्य-पुस्तकों को वर्तमान शिक्षा में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। प्राचीन काल में जब छापेखानों का आविष्कार नहीं हुआ था तब भी लिखित सामग्री का प्रचलन था और इस कार्य हेतु भोजपत्रों का प्रयोग किया जाता था। आज डिजिटल होती दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में पुस्तकें भी डिजिटल होती जा रही हैं, परंतु उनका महत्व कम नहीं हुआ है पाठ्य-पुस्तकों को वर्तमान शिक्षा में शिक्षण की मुख्य सामग्री के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। शिक्षक ही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी पुस्तकों का अपना विशिष्ट महत्व है। पाठ्य-पुस्तक के अर्थ का स्पष्टीकरण शिक्षा शब्द-कोष में इस प्रकार किया गया है-” पाठ्य-पुस्तक अध्ययन की निश्चित विषय-वस्तु से सम्बन्धित पुस्तक है जो क्रमबद्ध ढंग से व्यवस्थित, शिक्षण के विशिष्ट स्तर पर उपयोग के लिए उद्दत्त एवं प्रदत्त पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन की सामग्री के प्रमुख स्रोत के रूप में प्रयोग की जाती है ।

इस प्रकार पाठ्य-पुस्तकों के द्वारा शिक्षण हेतु सामग्री प्रदान की जाती है, जिसमें विषय-सूची की समग्री, प्रश्न, समस्यायें एवं अभ्यास-क्रियायें सम्मिलित रहती हैं तथा उनके समाधान हेतु निर्देश भी दिये होते हैं। पाठ्य-पुस्तकें चुनौतीपूर्ण लिंग की असमानता की समाप्ति और उनकी प्रभावी भूमिका के प्रस्तुतीकरण में क्या महत्व और भूमिका निभाती हैं, जिसे हम निम्न रूप में देख सकते हैं :

1. पाठ्य-पुस्तकें गम्भीर चिन्तन और विद्वानों के प्रयासों के परिणामस्वरूप तैयार की जाती हैं, अतः इसमें भेद-भाव को बढ़ावा देने वाली सामग्री का अभाव रहता है।

2. पाठ्य-पुस्तकों में चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता और सशक्त भूमिका के प्रस्तुतीकरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को वर्णित किया जाता है।

3. चुनौतीपूर्ण लिंग के विषय में जो अन्ध-विश्वास और गलत धारणायें व्याप्त हैं, उन्हें समाप्त करने की दृष्टि से पाठ्य-पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं ।

4. चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता और भूमिका के प्रस्तुतीकरण में पाठ्य-पुस्तकें इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनके द्वारा ही विवेकपूर्ण ज्ञान और वास्तविकता ज्ञात होती है।

5. पाठ्य-पुस्तकों में जो सामग्री होती है वह अत्यधिक सावधानी के साथ निर्मित की जाती है, जिससे शिक्षक को चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता और सशक्त भूमिका के प्रस्तुतीकरण में सहायता प्राप्त होती है।

6. पाठ्य-पुस्तकों के द्वारा शिक्षक का शिक्षण न तो भटकता है और न ही आत्मगतता आती है, जिससे भी चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता और सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त होता है ।

7. चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता और सशक्त भूमिका के प्रस्तुतीकरण में पाठ्य-पुस्तक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पाठ्य-पुस्तकों में उनकी रुचियों, आवश्यकताओं तथा मनोविज्ञान का ध्यान रखा जाता है।

8. पाठ्य-पुस्तकें शिक्षण ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विद्यालयी वातावरण और क्रिया-कलाप को मार्ग निर्देशित करती हैं। इस प्रकार चुनौतीपूर्ण लिंग के प्रति समुचित दृष्टिकोण विकसित होता है।

9. पाठ्य-पुस्तकों के द्वारा नवीन ज्ञान और सूचनाओं से अवगत कराया जाता है, जिससे चुनौतीपूर्ण लिंग की असमानता के कारण व्याप्त चुनौतियों से भी अवगत कराया जाता है, अतः इनकी समानता हेतु जागरूकता लाने का कार्य पाठ्य-पुस्तकें करती हैं।

10. पाठ्य पुस्तकों में स्त्रियों के अधिकार और कानून-व्यवस्था इत्यादि के विषय में प्रदान की जाने वाली जानकारी इनकी समानता और सशक्त भूमिका के प्रस्तुतीकरण में योगदान देती हैं।

उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में हम कह सकते हैं कि पाठ्य पुस्तक के माध्यम से जेण्डर की जानकारी मिलती है।

शिक्षा के द्वारा ही इनको असमानता से मुक्ति दिलायी जा सकती है और अबला की जो निस्तेज भूमिका है, उसे सशक्त बनाया जा सकता है। इसी कारण से स्वतंत्रता के पूर्व और बाद में तो संवैधानिक प्रावधानों के द्वारा शिक्षा में सभी को समान अवसर प्रदान करने हेतु 7 से 14 वर्ष की शिक्षा को अनिवार्य तथा निःशुल्क कर दिया गया । महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानन्द इत्यादि ने स्त्री शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया, क्योंकि स्त्री यदि शिक्षित है तभी समाज सुसभ्य बन सकता है और भावी संततियाँ उत्तम गुणों वाली होंगी। वर्तमान में औपचारिक शिक्षा के केन्द्र विद्यालय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं, किसी भी व्यक्ति, परिवार, समाज, राज्य, राष्ट्र तथा विश्व के लिए, क्योंकि विद्यालय एक साथ व्यक्ति से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति का कार्य करता है विद्यालय ज्ञान के मंदिर हैं जहाँ जाति, धर्म, भाषा, स्थान और लिंग इत्यादि के आधार पर किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया जाता है । समूह, शिक्षक, पाठ्यक्रम तथा पाठ्य-पुस्तकों के द्वारा विद्यालय में चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता और सशक्त भूमिका के प्रस्तुतीकरण का कार्य सम्पन्न किया जाता है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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