स्वास्थ्य शिक्षा का क्या अर्थ है ? स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
Contents
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ
वुड तथा ब्राडनेल के अनुसार- “स्वास्थ्य शिक्षा, विद्यालय और दूसरे स्थानों से प्राप्त किये जाने वाले उन सब अनुभवों का योग है, जो व्यक्ति, समुदाय और मानव जाति के स्वास्थ्य से सम्बन्धित आदतों, दृष्टिकोणों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं। “वुड तथा ब्राडनेल” की इस परिभाषा के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ वातावरण निर्माण से है। यह वातावरण समाज, परिवार तथा विद्यालय द्वारा बनाया जाता है। स्वास्थ्य शिक्षा, व्यक्ति तथा समुदाय को स्वस्थ रहना सिखाती है। स्वास्थ्य शिक्षा शब्द अंग्रेजी के शब्द हाईजीन एजूकेशन (Hygiene Education) का हिन्दी रूपान्तरण है। हाईजीन (Hygiene) शब्द यूनानी शब्द हाईजिया (Hygea) से बना है। हाईजिया को यूनान की पौराणिक गाथाओं में स्वास्थ्य की देवी माना गया है। प्राचीन काल में यूनान के निवासी स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए हाईजिया देवी की पूजा करते थे। बाद में हाईजिया शब्द को विद्वानों ने हाईजीन शब्द में परिवर्तित कर दिया तथा यही हाईजीन शब्द व्यक्तिगत तथा सामुदायिक स्वास्थ्य के शास्त्र के रूप में विकसित हुआ।
स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र
स्वास्थ्य विज्ञान सीमित अर्थ में व्यक्तिगत स्वास्थ्य से सम्बन्ध रखता है। विस्तृत रूप में स्वास्थ्य विज्ञान में व्यक्तिगत, सार्वजनिक तथा स्कूल स्वास्थ्य सभी आते हैं। विद्यालय स्वास्थ्य के अन्तर्गत छात्रों के शारीरिक, मानसिक विकास, उनके स्वास्थ्य की रक्षा एवं इसमें आने वाली समस्याओं और उनके निवारण का अध्ययन किया जाता है। स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत ही हम उनको रोगों से बचने एवं स्वस्थ रहने के तरीके सिखाते हैं। सामान्यतया स्वास्थ्य शिक्षा को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा,
- स्कूल स्वास्थ्य शिक्षा
1. सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा- सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत व्यक्ति, समूह तथा समाज को दी जाने वाली स्वास्थ्य शिक्षा आती है, जो समय-समय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग तथा स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा निर्देशों के रूप में दी जाती है। इस प्रकार की स्वास्थ्य शिक्षा से जनता का स्वास्थ्य सम्बन्धी दृष्टिकोण बनता है।
2. स्कूल स्वास्थ्य शिक्षा- स्कूल स्वास्थ्य शिक्षा में विद्यालय परिवार के सभी शिक्षकगण छात्रों का स्वास्थ्य सम्बन्धी दृष्टिकोण बनाते हैं। छात्रों को स्वस्थ रहने के तरीके सिखाते हैं। रोगों से बचने के तरीके तथा विद्यालय के वातावरण को शुद्ध रखना भी विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत बच्चों को सिखाया जाता है। विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत निम्नलिखित विषय आते हैं—
- विद्यालय भवन का फर्नीचर ।
- विद्यालय का दैनिक कार्यक्रम ।
- छात्रों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य का ध्यान ।
- विद्यालय भवन, विद्यालय के आस-पास का वातावरण, विद्यालय भवन का निर्माण, विद्यालय भवन में वायु तथा प्रकाश की व्यवस्था वातावरण का प्रबन्ध खेल का मैदान आदि ।
- विद्यालय में जलपान का उचित प्रबन्ध ।
- संक्रामक रोग एवं उनका उचित उपचार तथा नियन्त्रण |
- विद्यालय भवन के शौचालय तथा मूत्रालय की उचित व्यवस्था ।
शारीरिक शिक्षा के अन्तर्गत अध्यापकों को छात्रों के शारीरिक स्वास्थ्य का ही ध्यान नहीं रखना चाहिए वरन् उनके मानसिक विकास तथा व्यक्तित्व निर्माण का भी ध्यान रखना चाहिए। उनकी मानसिक व्याधियों तथा चिन्ताओं को भी यथासम्भव अध्यापक दूर करें।
स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धान्त
स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कुछ सिद्धान्तों का समावेश आवश्यक है, जो कि निम्न प्रकार है:
(i) व्यक्तिगत स्वास्थ्य का ध्यान – विद्यालय में स्वास्थ्य रक्षा के अन्तर्गत व्यक्तिगत स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है।
(ii) स्वस्थ आदतें – छात्रों में स्वस्थ आदतों का होना भी स्वास्थ्य रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है। छात्रों में स्वास्थ्य सम्बन्धी अच्छी आदतें शुरू से ही डालनी चाहिएँ।
(iii) अल्पाहार तथा दैनिक भोजन – छात्रों में अल्पाहार तथा दैनिक भोजन की खाद्य सामग्रियों की जानकारी भीअध्यापक के लिए आवश्यक है। शिक्षक उन्हें सन्तुलित आहार के बारे में भी जानकारी दें।
(iv) समाज तथा परिवार का सहयोग – विद्यालय के स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम में समाज तथा घरों का सहयोग प्राप्त करना अनिवार्य होना चाहिए, क्योंकि बिना घरों के सहयोग के विद्यालय का स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम पूर्ण सफल नहीं हो सकता।
(v) नियमित जाँच – विद्यालय में छात्रों के स्वास्थ्य का नियमित डॉक्टरी परीक्षण होना भी बहुत आवश्यक है।
(vi) स्वास्थ्य रक्षा का पालन – स्वास्थ्य रक्षा का विद्यालय में पूर्ण पालन करने के लिए यह आवश्यक है कि विद्यालय प्रशासन के अधिकारी उसे शिक्षा के एक महत्त्वपूर्ण अंग के रूप में मान्यता दें ।
(vii) शारीरिक व्यायाम – छात्रों को शारीरिक व्यायाम की शिक्षा दी जानी चाहिए। प्रत्येक छात्र को विद्यालय में शारीरिक व्यायाम के अन्तर्गत ड्रिल, खेल, दौड़ आदि कराई जानी चाहिए।
(viii) सरल एवं व्यावहारिक – स्वास्थ्य रक्षा सम्बन्धी निर्देश सरल तथा व्यवहारोपयोगी होने चाहिए, जिससे कि विद्यालय स्वास्थ्य में सुधार हो और छात्र स्वास्थ्य सम्बन्धी निर्देशों में विशेष रुचि ले सकें।
(ix) शरीर विज्ञान – छात्रों को स्वास्थ्य रक्षा के अन्तर्गत शरीर विज्ञान को औपचारिक शिक्षा मिलनी चाहिए।
(x) शिक्षकों का स्वस्थ होना – शिक्षकों का स्वयं का स्वस्थ होना एवं उनका स्वास्थ्य सम्बन्धी उचित दृष्टिकोण होना भी अत्यन्त आवश्यक है।
IMPORTANT LINK
- नवजात शिशु की क्या विशेषताएँ हैं ?
- बाल-अपराध से आप क्या समझते हो ? इसके कारण एंव प्रकार
- बालक के जीवन में खेलों का क्या महत्त्व है ?
- खेल क्या है ? खेल तथा कार्य में क्या अन्तर है ?
- शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य | Mental Health of Teachers in Hindi
- मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा का क्या सम्बन्ध है?
- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एंव लक्षण
- खेलों के कितने प्रकार हैं? वर्णन कीजिए।
- शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था में खेल एंव खेल के सिद्धान्त
- रुचियों से क्या अभिप्राय है? रुचियों का विकास किस प्रकार होता है?
- बालक के व्यक्तित्व विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- चरित्र निर्माण में शिक्षा का क्या योगदान है ?
- बाल्यावस्था की प्रमुख रुचियाँ | major childhood interests in Hindi
- अध्यापक में असंतोष पैदा करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं?
Disclaimer