शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

अभिप्रेरणा के कारक तथा प्रकार | Motivation factors and types in Hindi

अभिप्रेरणा के कारक तथा प्रकार | Motivation factors and types in Hindi
अभिप्रेरणा के कारक तथा प्रकार | Motivation factors and types in Hindi

अभिप्रेरणा के कारकों तथा प्रकार पर प्रकाश डालिए।

शिक्षण तथा अधिगम की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्व अत्यधिक है। इसलिए मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने ढंग से अभिप्रेरणा का वर्गीकरण किया है। हम यहाँ पर कुछ प्रमुख विद्वानों द्वारा किए गए वर्गीकरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

1. थामसन द्वारा किया गया वर्गीकरण

एम० के० थामसन (M. K. Thomson) ने अभिप्रेरकों को दो भागों में विभक्त किया है-

1. प्राकृतिक अभिप्रेरक (Natural motives)- ये वे अभिप्रेरक हैं, जो जन्म से ही व्यक्ति में पाए जाते हैं। भूख, प्यास, सुरक्षा आदि अभिप्रेरकों से मानव जीवन का विकास होता है।

2. कृत्रिम अभिप्रेरक (Artificial motives) – ये वे अभिप्रेरक होते हैं, जो वातावरण में विकसित होते हैं। इनका आधार तो प्राकृतिक अभिप्रेरक होते हैं, परन्तु सामाजिकता के आवरण में इनकी अभिव्यक्ति का स्वरूप बदल जाता है; जैसे समाज में मान-प्रतिष्ठा प्राप्त करना, सामाजिक सम्बन्ध बनाना आदि।

2. मैसलो (Maslow) द्वारा किया गया वर्गीकरण

मैसलो का मत तथा उसके द्वारा किया गया अभिप्रेरकों का वर्गीकरण शिक्षा में पर्याप्त महत्व रखता है। उसने आवश्यकताओं पर अधिक बल दिया है। मैसलो ने आवश्यकताओं की तीव्रता को आधार बताया है। कुछ आवश्यकताएँ ऐसी होती हैं, जिन्हें तुरन्त ही पूरा करना पड़ता है। कुछ आवश्यकताएँ ऐसी होती हैं, जो बाद में फुर्सत के समय पूरी की में जा सकती हैं। उदाहरणार्थ- भूखा व्यक्ति पहले अपने भोजन की व्यवस्था करता है। भूख मिट जाने के पश्चातु वह सुरक्षा या अन्य किसी आवश्यकता की पूर्ति करता है। यह क्रम आवश्यकता की तीव्रता के आधार पर बनता जाता है।

मैसलो ने अभिप्रेरकों को दो भागों में बाँटा है— (1) जन्मजात अभिप्रेरक (Inborn motives)- इनके अन्तर्गत भूख, प्यास, सुरक्षा, यौन (Sex) आदि आ जाते हैं। (2) अर्जित (Acquired)- इसके अन्तर्गत वातावरण से प्राप्त अभिप्रेरक आते हैं। इनको भी उसने सामाजिक तथा व्यक्तिगत (Social and Individual) भागों में बाँटा है। सामाजिक अभिप्रेरकों के अन्तर्गत सामाजिकता, युयुत्सा (Combat) और आत्मस्थापना (Self-assertion) एवं व्यक्तिगत अभिप्रेरकों में आदत, रुचि, अभिवृत्ति तथा अचेतन अभिप्रेरक आते हैं।

3. क्रैच (Krach) एवं क्रचफील्ड (Crachfield) द्वारा किया गया वर्गीकरण

इस वर्गीकरण का आधार अभिप्रेरकों की न्यूनता (Deficiency) तथा अधिकता (Abundancy) है।

1. न्यूनतम (Deficiency) – ये अभिप्रेरक मानव के अभाव तथा कमियों को दूर करने में सहायक होते हैं। इनके द्वारा मानसिक संघर्ष दूर किया जा सकता है। कैच एवं क्रंचफील्ड के अनुसार- “न्यूनता का अभिप्रेरक आवश्यकताओं से सम्बन्धित हैं, जिनके द्वारा चिन्ता, डर, धमकी या और कोई मानसिक द्वन्द दूर हो जाता है।” इसका ध्येय मानव का संसार में रहना तथा सुरक्षा प्राप्त करना है।

2. अधिकता (Abundancy) अभिप्रेरक- इन अभिप्रेरकों के ध्येय संतोष एवं उत्साह है। क्रैच एवं क्रचफील्ड के अनुसार- “अधिकता के अभिप्रेरक का उद्देश्य संतोष प्राप्ति, सीखना, अवबोध, अन्वेषण तथा अनुसंधान, रचना एवं प्राप्ति है। “

इन अभिप्रेरकों के कई उप-भाग हैं, जो इस प्रकार से भी स्पष्ट हैं-

प्रकार (Types) न्यूनता (Deficiency) अधिकता (Abundancy)
1. शरीर से सम्बन्धित भूख, प्यास, यौन, ऑक्सीजन, गर्मी, सर्दी, दर्द, थकान, बीमारी तथा अन्य अस्वस्थताओं को दूर करना । शारीरिक प्रसन्नता ज्ञानेन्द्रियों  प्रसन्नता, यौन, विश्राम आदि ।
2. वातावरण से सम्बन्धित भय से सुरक्षा, समस्या समाधान, स्वस्थ वातावरण अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति, वस्तुओं का निर्मण, वातावरण में परिवर्तन ।
3. समय से सम्बन्धित वैमनस्य दूर करना, समाज में स्थान प्राप्त करना, प्रभुत्व प्रेम प्राप्ति, व्यक्ति तथा समाज में  सम्बन्ध, सहयोग अवबोध, सद्भाव।
4. स्वयं से सम्बन्धित हीनता तथा असफलता की भावना, चिन्ता, दुःख, भय आदि दूर करना नैतिक मान्यताओं का विकास, प्रगति तथा समाज में स्तर निर्धारण ।

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Anjali Yadav

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