शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

समस्या समाधान का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Problem-Solving in Hindi

समस्या समाधान का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Problem-Solving in Hindi
समस्या समाधान का अर्थ तथा परिभाषा | Meaning & Definition of Problem-Solving in Hindi

समस्या समाधान के विभिन्न सोपानों पर प्रकाश डालते हुए बालकों के लिये इसके महत्व का मूल्यांकन कीजिये।

समस्या समाधान का अर्थ तथा परिभाषा (Meaning & Definition of Problem-Solving)

यदि हम किसी निश्चित लक्ष्य पर पहुँचना चाहते हैं, पर किसी कठिनाई के कारण नहीं पहुँच पाते हैं, तब हमारे समक्ष एक समस्या उपस्थित हो जाती है। यदि हम इस कंठिनाई पर विजय प्राप्त करके अपने लक्ष्य पर पहुँच जाते हैं, तो हमें अपनी समस्या का समाधान कर लेते हैं। इस प्रकार, समस्या समाधान का अर्थ है-कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करके लक्ष्य को प्राप्त करना।

स्किनर के अनुसार- “समस्या समाधान किसी लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा डालती प्रतीत होती कठिनाइयों पर विजय पाने की प्रक्रिया है। यह बाधाओं के बावजूद सामंजस्य करने की विधि है।”

“Problem-solving is a process of overcoming difficulties that appear to interfere with the attainment of a goal. It is a procedure of making adjustments in spite of interferences.” -Skinner

समस्या समाधान के स्तर (Levels of Problem-Solving)

तर्क, समस्या के समाधान का आवश्यक अंग है। समस्या का समाधान, चिन्तन तथा तर्क का उद्देश्य है। स्टेर्नले ग्रे के अनुसार- “समस्या समाधान वह प्रतिमान है, जिसमें तार्किक चिन्तन निहित होता है।” समस्या समाधान के अनेक स्तर हैं। कुछ समस्यायें बहुत सरल होती हैं, जिनको हम बिना किसी कठिनाई के हल कर सकते हैं, जैसे—पानी पीने की इच्छा । हम इस इच्छा को निकट की प्याऊ पर जाकर तृप्त कर सकते हैं। इसके विपरीत, कुछ समस्यायें बहुत जटिल होती हैं, जिनको हल करने में हमें अत्यधिक कठिनाई होती है; उदाहरण के लिये रेगिस्तान में किसी विशेष स्थान पर जल-प्रणाली स्थापित करने की इच्छा है। इस समस्या का समाधान करने के लिये अनेक उपाय किये जाने आवश्यक हैं; जैसे-पानी कहाँ से प्राप्त किया जाये ? उसे उस विशेष स्थान कैसे पहुँचाया जाये ? उसके लिये धन किस प्रकार प्राप्त किया जाये ? इत्यादि। इन समस्याओं को हल करने के बाद ही पानी की मुख्य इच्छा पूरी की जा सकती है।

समस्या समाधान की विधियाँ (Methods of Problem-solving)

स्किनर (Skinner) ने समस्या समाधान’ की निम्नलिखित विधियाँ बताई हैं-

1. प्रयास एवं त्रुटि विधि (Trial & Error Method) – इस विधि का प्रयोग निम्न और उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में थार्नडाइक (Thorndike) का बिल्ली पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है। बिल्ली अनेक गलतियाँ करके अन्त में पिंजड़े से बाहर निकलना सीख गई।

2. वाक्यात्मक भाषा विधि (Sentence Language Method)- इस विधि का प्रयोग मनुष्य के द्वारा बहुत लम्बे समय से किया जा रहा है। वह पूरे वाक्य बोलकर अपनी अनेक समस्याओं का समाधान करता है और फलस्वरूप प्रगति करता चला आ रहा है। इसलिये, वाक्यात्मक भाषा को सारी सभ्यता का आधार माना जाता है।

3. अनसीखी विधि (Unlearned Method) – इस विधि का प्रयोग निम्न कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। उदाहरणार्थ, मधुमक्खियों की भोजन की इच्छा, फूलों का रस चूसने से और खतरे से बचने की इच्छा, शत्रु को डंक मारने से पूरी हो जाती है।

4. वैज्ञानिक विधि (Scientific Method) – आज का प्रगतिशील मानव अपनी समस्या का समाधान करने के लिये वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करता है। हम इसका विस्तृत वर्णन कर रहे है।

5. अन्तर्दृष्टि विधि (Insight Method)- इस विधि का प्रयोग उच्च कोटि के प्राणियों द्वारा किया जाता है। इस सम्बन्ध में कोहलर (Kohler) का वनमानुषों पर किया जाने वाला प्रयोग उल्लेखनीय है।

समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि (Scientific Method of Problem-Solving)

स्किनर (Skinner) के अनुसार, समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि में निम्नलिखित छः सोपानों (Steps) का अनुकरण किया जाता है—

1. समस्या को समझना (Understanding the Problem) – इस सोपान में व्यक्ति यह समझने का प्रयास करता है कि समस्या क्या है, उसके समाधान में क्या कठिनाइयाँ हैं या हो सकती हैं तथा उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है ?

2. जानकारी का संग्रह (Collecting Information)- इस सोपान में व्यक्ति समस्या से सम्बन्धित जानकारी का संग्रह करता है। हो सकता है कि उससे पहले कोई और व्यक्ति उस समस्या को हल कर चुका हो। अतः वह अपने समय की बचत करने के लिये उस व्यक्ति द्वारा संग्रह किये गये तथ्यों की जानकारी प्राप्त करता है।

3. सम्भावित समाधानों का निर्माण- (Formulating Possible Solutions) – इस सोपान में व्यक्ति, संग्रह की गई जानकारी की सहायता से समस्या का समाधान करने के लिये कुछ विधियों को निर्धारित करता है। वह जितना अधिक बुद्धिमान होता है, उतनी ही अधिक उत्तम ये विधियाँ होती हैं। इस सोपान में सृजनात्मक चिन्तन (Creative Thinking) प्रायः सक्रिय रहता है।

4. सम्भावित समाधानों का मूल्यांकन (Evaluating the Possible Solutions) – इस सोपान में व्यक्ति निर्धारित की जाने वाली विधियों का मूल्यांकन करता है। दूसरे शब्दों में, वह प्रत्येक विधि के प्रयोग के परिणामों पर विचार करता है। इस कार्य में उसकी सफलता आँशिक रूप से उसकी बुद्धि तथा आंशिक रूप से संग्रह की गई जानकारी के आधार पर निर्धारित की जाने वाली विधियों पर निर्भर रहती है।

5. सम्भावित समाधानों का परीक्षण (Testing Possible Solutions) – इस सोपान में व्यक्ति उक्त विधियों का प्रयोगशाला में या उसके बाहर परीक्षण करता है।

6. निष्कर्षों का निर्णय-Forming Conclusions- इस सोपान में व्यक्ति अपने परीक्षणों के आधार पर विधियों के सम्बन्ध में अपने निष्कर्षों का निर्माण करता है। परिणामस्वरूप, वह यह अनुमान लगा लेता है कि समस्या का समाधान करने के लिये उनमें से कौन-सी विधि सर्वोत्तम है।

7. समाधान का प्रयोग (Application of Solution)- इस सोपान का उल्लेख क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) ने किया है। व्यक्ति अपने द्वारा निश्चित की गई सर्वोत्तम विधि को समस्या का समाधान करने के लिये प्रयोग करता है।

8. यह आवश्यक नहीं है कि व्यक्ति, समस्या का समाधान करने में सफल हो। इस सम्बन्ध में स्किनर के अनुसार- “इस विधि से भी भविष्यवाणियाँ बहुधा गलत होती हैं और गलतियाँ हो जाती हैं।”

“Even with this method, predictions are often inaccurate and errors are still made.” -Skinner

समस्या समाधान विधि का महत्व (Importance of Problem-Solving Method)

मरसेल का कथन है— “समस्या समाधान की विधि का शिक्षा में सर्वाधिक महत्व है।”

“The process of problem-solving is of the utmost importance in education.” – Mursell

छात्रों की शिक्षा में समस्या समाधान की विधि का महत्व इसके अनेक लाभों के कारण है। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं—(1) यह उनमें स्वयं कार्य करने का आत्मविश्वास उत्पन्न करती है। (2) यह उनके विचारात्मक और सृजनात्मक चिन्तन एवं तार्किक शक्ति का विकास करती है। (3) यह उनकी रुचि को जाग्रत करती है। (4) यह उनको अपने भावी जीवन की समस्याओं का समाधान करने का प्रशिक्षण देती है। (5) यह उनको समस्याओं का समाधान करने के लिये वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग का अनुभव प्रदान करती है। इन लाभों के कारण क्रो एवं क्रो का सुझाव है—“शिक्षकों को समस्या समाधान की वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। केवल तभी वे शुद्ध स्पष्ट और निष्पक्ष चिन्तन का विकास करने के लिये छात्रों का प्रदर्शन कर सकेंगे।”

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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