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सांख्यिकी का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ

सांख्यिकी का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ
सांख्यिकी का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ

सांख्यिकी का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए उसकी विशेषताएँ बताइये ।

सांख्यिकी : अर्थ एवं परिभाषा

अंग्रेजी भाषा का Statistics शब्द लैटिन भाषा के ‘Status’ तथा इटैलियन भाषा के ‘Statista’ और जर्मन भाषा के ‘Statistik’ शब्दों से बना है। इन सभी शब्दों का अर्थ राज्य है। इस प्रकार प्राचीनकाल में सांख्यिकी को ‘राजाओं के विज्ञान’ अथवा ‘राज्य शिल्प-विज्ञान’ के रूप में माना जाता था। ‘Sttistics’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1749 ई. में जर्मनी के विद्वान गॉटफ्रायड एकेनवाल (Gottfried Achenwall) ने किया था। इन्हें ‘सांख्यिकी का जन्मदाता’ कहा जाता है। महाकवि शेक्सपियर, जॉन मिल्टन एवं वर्ड्सवर्थ ने ‘Statist’ शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया था जो शासन कार्य में निपुण हो । सोलहवीं शताब्दी के व्यापारिक क्षेत्र में विभिन्न देशों में आंकड़े एकत्रित कराये गये तथा नक्षत्रों की गति, स्थिति तथा ग्रहण आदि के सम्बन्ध में भी आंकड़े एकत्रित किये गये। सत्रहवीं शताब्दी में जन्म-मरण सम्बन्धी आंकड़े एकत्रित करने में इसका प्रयोग किया गया। अठारहवीं शताब्दी में सांख्यिकी एवं गणित में निकटता पैदा होने से सांख्यिकी रीतियां उत्पन्न एवं परिष्कृत हुईं। उन्नीसवीं शताब्दी में सांख्यिकीय पद्धतियों एवं प्रयोगों का सूत्रपात हुआ तो बीसवीं सदी में मानव ज्ञान की सभी शाखाओं में इसका प्रयोग किया जाने लगा है।

सांख्यिकी शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है-

(i) सांख्यिकी का एक अर्थ समंकों या आंकड़ों (statistical data) से होता है जो किसी क्षेत्र से सम्बन्धित संख्यात्मक विवरण होते हैं, जैसे जनसंख्या, राष्ट्रीय आय एवं उत्पादन, मूल्य-स्तर एवं अपराध सम्बन्धी आंकड़े, आदि।

(ii) सांख्यिकी का एक अर्थ सांख्यिकी विद्वान (science of statistics) है जिसमें समंकों (आंकड़ों) का संग्रह, विश्लेषण और निर्वचन सांख्यिकीय विधियों द्वारा किया जाता है। सांख्यिकी की दोनों की तरह की परिभाषाओं का हम यहां उल्लेख करेंगे।

वेब्स्टर शब्दकोश के अनुसार, “समंक (Statistics) किसी राज्य के निवासियों की स्थिति से सम्बन्धित वर्गीकृत तथ्य हैं……. विशेष रूप से वे तथ्य जिन्हें संख्याओं में या संख्याओं की सारणियों में प्रस्तुत किया जा सके। “

डॉ. बाउले के अनुसार, “सांख्यिकी अनुसन्धान के किसी विभाग से सम्बन्धित तथ्यों का ऐसा संख्यात्मक विवरण है जिन्हें एक-दूसरे के सम्बन्ध में रखा जा सके।”

बालिस एवं रॉबर्ट्स के अनुसार, “सांख्यिकी तथ्यों के परिमाणात्मक पहलुओं के संख्यात्मक विवरण हैं जो गणना अथवा माप के रूप में व्यक्त होते हैं।”

क्रॉक्सटन तथा काउडेन के अनुसार, “सांख्यिकी को संख्यात्मक तथ्यों के संकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा विवेचन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”

सैलिगमैन के अनुसार, “सांख्यिकी वह विज्ञान है जो अनुसन्धान के किसी क्षेत्र पर प्रकाश डालने वाले आंकड़ों के संकलन, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा विवेचन की रीतियों से सम्बन्धित होते हैं। “

सांख्यिकी की व्यापक परिभाषा होरेस सिक्राइस्ट द्वारा दी गयी है। वे लिखते हैं, “सांख्यिकी तथ्यों के उन समूहों को कहते हैं जो अनेक कारणों से पर्याप्त सीमा तथा प्रभावित होते हैं, जो अंकों में प्रकट किये जाते हैं, यथोचित शुद्धता के अनुसार जिनका आगणन अथवा अनुमान लगाया जाता है जिन्हें किसी पूर्व निश्चित उद्देश्य के लिए एक सुव्यवस्थित रीति द्वारा एकत्र किया जाता है जिन्हें तुलना के लिए एक-दूसरे के सम्बन्ध में रखा जा सकता है।”

उक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सांख्यिकी अनिश्चितता की परिस्थिति में उचित निर्णय लेने वाला विज्ञान है। इसमें अनेक रीतियों का संग्रह है जिनके द्वारा किसी घटना से सम्बन्धित उचित एवं विवेकपूर्ण निष्कर्ष निकाले जाते हैं। वस्तुतः यह अनिश्चितता की परिस्थिति में उचित निर्णय लेने के साधन एवं उपकरण प्रदान करता है।

सांख्यिकी की विशेषताएं

विभिन्न परिभाषाओं से सांख्यिकी की निम्नांकित विशेषताएं प्रकट होती हैं-

(1) तथ्यों के समूह – सांख्यिकी का सम्बन्ध किसी एक तथ्य से सम्बन्धित आंकड़ों से नहीं होता वरन् अनेक तथ्यों से सम्बन्धित होता है, जिससे कि उनकी परस्पर कतुलना की जा सके और निष्कर्ष निकाले जा सकें। उदाहरण के लिए, अपराध की किसी एक घटना या दहेज से सम्बन्धित किसी एक दुर्घटना को सांख्यिकी नहीं कह सकते। अपराध एवं दहेज की अनेक दुर्घटनाओं के आंकड़ों को ही सांख्यिकी कहा जायेगा। अतः एक तथ्य नहीं वरन् अनेक तथ्यों के समूह ही सांख्यिकी की विषय-सामग्री है।

(2) संख्याओं के रूप में प्रस्तुत – तथ्यों को हम गुणात्मक एवं संख्यात्मक (Qualitative and Quantitative) दोनों रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। तथ्यों को गुणात्मक रूप में, जैसे सुन्दर, असुन्दर, अच्छा, बुरा, गरीब, अमीर, बालक, युवा, प्रौढ़ और वृद्ध में व्यक्त किया जा सकता है। किन्तु सांख्यिकी का सम्बन्ध संख्यात्मक तथ्यों से होता है।

(3) अनेक कारणों से सम्बन्धित – सांख्यिकी विविध कारणों से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, कृषि उत्पादन सम्बन्धी आंकड़े जलवायु, वर्षा, सिंचाई, भूमि की उत्पादकता, बीज, खाद, खेती के तरीकों, आदि से प्रभावित होते हैं। अनेक कारणों से प्रभावित होने के कारण ही आंकड़ों का सांख्यिकी विश्लेषण आवश्यक होता है।

(4) गणना अथवा अनुपात — आंकड़ों का संकलन गणना अथवा अनुमान द्वारा किया जा सकता है। जब अनुसन्धान का क्षेत्र सीमित हो तो गणना के द्वारा और जब क्षेत्र विस्तृत हो तो अधिकांशतः सर्वोत्तम अनुमान के द्वारा ही तथ्यों का संकलन किया जाता है।

(5) समुचित शुद्धता – आंकड़ों के संकलन में शुद्धता की समुचित मात्रा होनी आवश्यक है। समुचित शुद्धता अनुसन्धान के उद्देश्य, उसकी प्रकृति, आकार और उपलब्ध साधनों पर निर्भर करती है। उदाहरणार्थ, यदि विद्यार्थियों की लम्बाई का माप किया जा रहा हो तो सेमी. तक यथार्थता होनी चाहिए किन्तु यदि दिल्ली से जयपुर की दूरी का माप किया जाता है। तो किमी. तक शुद्धता की अपेक्षित है, मीटर और सेण्टीमीटर तक नहीं। इसके विपरीत, पृथ्वी से सूर्य या अन्य ग्रहों की दूरी का अनुमान लगाने में हजारों कि.मी. तक को भी छोड़ा जा सकता है। स्पष्ट है कि शुद्धता के समुचित स्तर विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न होते हैं।

(6) सुव्यवस्थित संकलन – आंकड़ों को एक निश्चित योजना के अनुसार सुव्यवस्थित नीति द्वारा संकलित किया जाना चाहिए। अव्यवस्थित रूप से संकलित तथ्यों से समुचित निष्कर्ष नहीं निकाले जा सकते। उदाहरणार्थ, यदि बिना, किसी योजना के कुछ परिवारों की मासिक आय-व्यय के आंकड़े अव्यवस्थित रूप से एकत्र किये जायें तो वे सांख्यिकी नहीं कहलायेंगे। इसके विपरीत, यदि श्रमिक परिवारों के पारिवारिक बजट के आंकड़े एक निश्चित योजना के अनुसार सुव्यवस्थित नीति द्वारा विधिवत रूप से एकत्रित किये जाते हैं तो उसे सांख्यिकी कहेंगे क्योंकि उचित निष्कर्ष निकालना सम्भव है।

(7) पूर्व-निश्चित उद्देश्य – आंकड़ों के संकलित करने का उद्देश्य पहले से ही स्पष्ट रूप से निर्धारित कर लेना चाहिए। उद्देश्यहीन आंकड़े सांख्यिकी नहीं कहलायेंगे। उदाहरण के लिए, किसी गन्दी बस्ती में निवास करने वाले श्रमिकों की आय के बारे में आंकड़े एकत्रित किये जा रहे हैं तो यह पहले से ही निश्चित कर लेना चाहिए कि इनको संकलित करने का क्या उद्देश्य है— उनके जीवन स्तर का पता लगाना, जन्म-दर, मृत्यु-दर, औसत आयु एवं स्वास्थ्य आदि पर विचार करना या तुलनात्मक विश्लेषण करना, आदि।

(8) परस्पर तुलना — आंकड़े इस प्रकार प्रस्तुत किये जाने चाहिए जिससे उनकी आपस में तुलना की जा सके। तुलना के लिए आंकड़ों में सजातीयता एवं एकरूपता होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, व्यक्तियों की आय, उनकी आयु, पेड़ों की ऊंचाई एवं जनसंख्या की परस्पर तुलना नहीं की जा सकती, इसलिए इन्हें सांख्यिकी नहीं कहेंगे। सांख्यिकी कहलाने के लिए संख्याओं का समय, स्थान या परिस्थितियों के आधार पर तुलना योग्य होना आवश्यरक है।

इस प्रकार सभी सांख्यिकीय आंकड़े संख्यात्मक तथ्य होते हैं किन्तु सभी संख्यात्मक तथ्य आंकड़े (data) नहीं होते। केवल उन्हीं संख्यात्मक तथ्यों को आंकड़े कहा जा सकता है, जिनमें उपर्युक्त सभी विशेषताएं हों।

(9) एक विज्ञान के रूप में सांख्यिकी ऐसे सामूहिक तथ्यों से सम्बन्धित है जिनको संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सकता है तथा जिन पर अनेक कारणों का प्रभाव पड़ता है। इसमें सामूहिक संख्यात्मक तथ्यों के संकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा निर्वचन की रीतियों का विधिवत अध्ययन किया जाता है।

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Anjali Yadav

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