उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य तथा उपचारात्मक शिक्षण प्रदान करने की विधियों का वर्णन कीजिये। अथवा उपचारात्मक शिक्षण से आप क्या समझते हैं?
उपचारात्मक शिक्षण शिक्षा के क्षेत्र में कोई नवीन शब्द नहीं है क्योंकि प्राचीनकाल से ही अनुभवी शिक्षक छात्रों की सीखने संबंधी कमियों अथवा त्रुटियों के ज्ञात होने पर उनको दूर करने का प्रयास करते रहे हैं। जैसे उपचार शब्द चिकित्सा शास्त्र में प्रयोग होता है जहाँ चिकित्सक रोग का निदान करके उपचार द्वारा रोगों से व्यक्ति को मुक्त कर उसको उत्तम स्वस्थ जीवन व्यतीत करने में सहायता प्रदान करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उपचार शब्द चिकित्सा क्षेत्र से लिया गया है जहाँ शिक्षक छात्रों के अधिगम सम्बन्धी दोषों को दूर कर उनके कक्षा में पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास करता है। ब्लेयर और सिम्पसन के अनुसार “संक्षेप में उपचारात्मक शिक्षण वास्तव में उत्तम शिक्षण है जो छात्र को उसकी यथार्थ स्थिति का ज्ञान कराता है और सुप्रेरित क्रियाओं द्वारा बालक को उसके कमजोर क्षेत्रों में अधिक दक्षता प्राप्त करने की दिशा में अभिप्रेरित करता हैं।” ब्लेयर ने स्पष्ट किया है कि छात्रों को जिन विषय वस्तु या प्रकरण को कक्षा में समझने में कठिनाई रही है उसको पुनः ऐसे छात्रों को समझाना ही उपचारात्मक शिक्षा का रूप है। एक अन्य लेखक मोकम व सिम्पसन ने उपचारात्मक शिक्षण के बारे में लिखा है “उपचारात्मक शिक्षण उस विधि या प्रक्रिया को ढूँढने का प्रयास करता है जो छात्र को अपने कौशल तथा विचार सम्बन्धी त्रुटियों को सही करने में सहायता करता है।”
“Remedial teaching attempt to find a procedure which will eanse the child to correct his errors of skill or thought.” Yoa Kam & Simpson.
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उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य (Aims of Remedial teaching)
उपचारात्मक शिक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- छात्रों में अधिगम सम्बन्धित दोषों को दूर करना ।
- उपचार हेतु शिक्षक द्वारा शिक्षण का नियोजन करना ।
- शिक्षक द्वारा पृष्ठपोषण की प्रवधियों की व्यवस्था करना।
- छात्रों की ज्ञान सम्बन्धित त्रुटियों को दूर करना।
- छात्रों में उन आवश्यक आदतों तथा कुशलताओं का विकास करना जो अब तक उनमें विकसित नहीं हुई हैं।
- छात्रों में वांछनीय व्यवहार सम्बन्धित परिवर्तनों का विकास करना।
- छात्रों की अवांछनीय रुचियों तथा आदर्शों को वांछनीय रुचियों तथा आदर्शों में परिवर्तन करना।
- छात्रों के उच्चारण संबंधी दोषों को अभ्यास द्वारा दूर करना।
उपचारात्मक शिक्षण की विधियाँ (Methods of Remedial teaching)
उपचारात्मक शिक्षण के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जा सकता हैं-
- व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार छात्रों के समूह बनाकर उनके शिक्षण की व्यवस्था करना।
- छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान देकर आवश्यकतानुसार व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करके उनको अधिगम सम्बन्धित दोषों को दूर करने का परामर्श देना।
- छात्रों की त्रुटियों को कक्षा में अथवा विद्यालय प्रांगण में यथा सम्भव तुरन्त सही करने का प्रयास करना।
- छात्रों की त्रुटियों के आधार पर उनका वर्गीकरण करके छोटे समूहों में वर्गीकृत करना तथा आवश्यकतानुसार शिक्षा देना।
- ऐसे छात्रों के लिए विशिष्ट कक्षाओं का आयोजन किया जाये।
- इन कक्षाओं की शिक्षण गति धीमी हो और पर्याप्त सहायक सामग्री का प्रयोग किया जाये।
- इसमें बालक करके सीखें और अभ्यास पर अधिक बल दिया जाये।
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