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नागरिकों के अधिकार तथा उनका वर्गीकरण | Rights of citizens and classification in Hindi

नागरिकों के अधिकार तथा उनका वर्गीकरण | Rights of citizens and classification in Hindi
नागरिकों के अधिकार तथा उनका वर्गीकरण | Rights of citizens and classification in Hindi
नागरिकों के अधिकार तथा उनका वर्गीकरण प्रकरण की शिक्षण सामग्री को लिखिये।

नागरिकों के अधिकार :- हमने नागरिकता का अध्ययन करते समय पढ़ा है कि नागरिकता प्राप्त करने का तात्पर्य विभिन्न प्रकार के अधिकार प्राप्त करना है। राज्य की ओर से लिखित अथवा अलिखित रूप से नागरिकों को अपने अधिकार दिये जाते है। भारतीय संविधान द्वारा भी भारतीय नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिये गये है।

नागरिकों को अधिकार उस उद्देश्य से दिये जाते है कि वे अपने जीवन को उन्नति शील बना सके तथा अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें। अधिकारों के माध्यम से नागरिक अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्र में उन्नति के अवसर प्राप्त कर सकता है।

अधिकारों का वर्गीकरण

राज्य द्वारा नागरिकों की सुख सुविधा के लिए अनेक प्रकार के अधिकार दिये जाते हैं इन अधिकारों का निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है।

राजनैतिक अधिकारः

1. मताधिकारः- एक प्रजातंत्रीय देश में मत देने का अधिकार महत्वपूर्ण होता है। नागरिक अपने मताधिकार से अपनी सरकार का चुनाव स्वयं कर सकते हैं

2. स्वतंत्रता का अधिकार :- मनुष्य की स्वतंत्रता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे राजनैतिक, पारिवारिक व सामाजिक क्षेत्र में स्वतंत्रता होनी चाहिए। अपना मत व्यक्त करना समुदायों का निर्माण करना आदि स्वतंत्रता के अधिकार है।

3. कानूनी अधिकार:- एक राज्य में प्रत्येक नागरिक को सरकारी नौकरी पाने का अधिकार होता है। यदि समाज में उसके प्रति किसी प्रकार का अन्याय किया जाता है। तो वह न्यायालय में न्याय पा सकता है।

4. निर्वाचित होने का अधिकार :- प्रजातंत्र में राज्य के नागरिकों को विधान सभा व अन्य प्रतिनिधि सभाओं के लिए चुनाव में खड़े होने का अधिकार होता है।

सामाजिक अधिकार :

समानता का अधिकार :- समाज में किसी नागरिक को भाषा, धर्म, लिंग, रंग आदि के आधार पर ऊंचा नीचा नहीं समझा जाना चाहिए।

शैक्षणिक अधिकार :- आजकल प्राय: सभी राज्यों में अपने नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया जाता है।

आर्थिक अधिकार :- इनका बड़ा महत्व है क्योंकि इनका प्रयोग करके व्यक्ति अपनी रोजी कमाता है और आर्थिक स्थिति को ऊंचा उठाता है।

नैतिक अधिकार :- नागरिक का आध्यात्मिक व चारित्रिक विकास उसके नैतिक अधिकारों के आधार पर होता है।

धार्मिक अधिकार :- प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने, धर्म के अनुसार आचरण करने का अधिकार है।

न्यायिक अधिकारः- यदि किसी व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ है या उसके किसी अधिकार पर हस्तक्षेप हुआ है तो वह कानून के अन्तर्गत न्यायालय का द्वार खटखटाकर न्याय पा सकता है।

सांस्कृतिक अधिकार :- नागरिक को अपने राज्य में भाषा, संगीत, कला विज्ञान आदि की उन्नति करने के अधिकार राज्य द्वारा प्रदत्त किये जाते है।

मनोरंजन संबंधी अधिकार :- नागरिकों के स्वास्थ्य मनोरंजन के लिए राज्य द्वारा लोगों को अनेक अधिकार दिये जाते है वे अपनी रूचि के अनुसार मनोरंजन कर सकते है।

प्राकृतिक अधिकार :- कुछ विद्वानों का मत है कि राज्य के निर्माण के पूर्व ही लोगों को अपने जीवन तथा संपत्ति की रक्षा का अधिकार था जो प्रत्येक राज्य द्वारा उन्हें पुनः प्रदान किये गये है।

मूल कर्तव्य :- मूल कर्तव्य भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए संवैधानिक दायित्व है। वस्तुत: ये सामाजिक और नैतिक दायित्व देश की शांति एवं उन्नति को सुनिश्चित करने के लिए है। मूल कर्तव्य संविधान 1976 में सम्मिलित किये गये। इन कर्तव्यों का प्रयोजन नागरिकों में देश भक्ति की भावना में वृद्धि करना, राष्ट्र को सुदृढ़ बनाना देश की सम्प्रभुता तथा अखंडता की रक्षा करने के लिए आचार संहिता का पालन कराना समरसता की भावना विकसित करना है। इन मूल कर्तव्यों के अनुपालन द्वारा नागरिकों से अपेक्षा की गई है कि वे :-

  1. संविधान का पालन करें तथा उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।
  2. स्वतंत्रता संग्राम के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे तथा उनका पालन करें।
  3. भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करें और उसे अक्षुण रखे।
  4. देश की रक्षा करें और आहवान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
  5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान मातृत्व की भावना का निर्माण करें, जो धर्म, भाषा प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध है।
  6. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे और उसका संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखे।
  7. वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञार्नाजन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
  8. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई-नई ऊंचाईयों को छू लें।

अच्छे नागरिक के गुण निम्न है:-

  1. कर्तव्य पालन करना ।
  2. अनुशासन व आज्ञा पालन।
  3. प्रेम की भावना।
  4. सहयोग एवं सहानुभूति ।
  5. सेवा व त्याग की भावना।
  6. सहनशीलता।

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Anjali Yadav

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