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सोनल मानसिंह का जीवन परिचय (Biography Of Sonal Mansingh in Hindi)
सोनल मानसिंह का जीवन परिचय | Biography Of Sonal Mansingh in Hindi- सोनल मानसिंह को एक प्रवीण नृत्यांगना के रूप में ज्यादा जाना जाता है, लेकिन ये सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक, शोधार्थी, सुवक्ता और शिक्षिका की भूमिका का निर्वहन भी करती आ रही हैं। इन्हें नृत्य विषयक, परामर्श व निर्वचन देने के कारण नृत्यांगनाओं में दर्शनशास्त्री भी माना जाता है। इन्हें पद्म भूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार व सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं। ये भारतीय संस्कृति का जीवंत रूप हैं और आधुनिक नारी की भूमिका का निर्वहन भी करती हैं।
सोनल मानसिंह
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Sonal Mansingh performing in New Delhi.
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पृष्ठभूमि | |
जन्म नाम | Sonal Pakvasa |
जन्म | 30 अप्रैल 1944 Bombay, Bombay Presidency, British India |
मूलस्थान | India |
विधायें | Hindustani classical dance |
पेशा |
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सक्रियता वर्ष | 1961–present |
वेबसाइट | www.sonalmansingh.in |
सोनल मानसिंह का जन्म 30 अप्रैल, 1944 को मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ। इनके पिता का नाम अरविंद एवं माता का नाम पूर्णिमा था। इन्हें बाल्यकाल से ही कलात्मक अभिरुचि रही थी। शिक्षा के साथ इनका रुझान नृत्य के साथ भी हुआ और फिर नृत्य के साथ अंतरंग संबंध बन गए। इनके पति का नाम ललित मानसिंह है।
नृत्यकला में ये इस हद तक प्रवीणता प्राप्त कर चुकी हैं कि नृत्य विषयक, परामर्श एवं निर्वचन का निबंधन किसी दर्शन शास्त्री की भांति करती हैं। नृत्यांगना के अतिरिक्त ये समाजसेविका, विचारक, शोधकर्त्री, सुवक्ता और शिक्षिका की भूमिका में भी अपने दायित्वों का निर्वहन करती रही हैं। भारतवर्ष में इन्हें ओडिसी नृत्य का प्रवक्ता माना जाता है।
इन्होंने भरतनाट्यम, चाऊ नृत्य व भारतीय संगीत में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1964 से ही ये स्टेज पर प्रदर्शन करती रही हैं। 1977 में इन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य केंद्र (सेंटर फॉर इंडियन क्लासिकल डांसेज) की स्थापना भी दिल्ली में की, जिसमें कई प्रतिभाओं को तराशने का कार्य किया। इनकी प्रतिष्ठित नृत्यकला भारतीय पुराणों पर आधारित रही है, साथ ही समकालीन विषयों को भी इनके नृत्यों द्वारा प्रतिबिंबित किया जाता रहा है। इनके नृत्यों में ‘इंद्रधनुष’, ‘मानवता’, ‘सबरस’, ‘देवी दुर्गा’, ‘आत्मायन’, ‘मेरा भारत’ व ‘द्रौपदी’ इत्यादि के शीर्षक नृत्यांकित रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं। इन्होंने देश के विभिन्न प्रांतों एवं विदेशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता रहा है। इनकी राय में नृत्य पर्यावरण का भी अभिन्न अंग है और नृत्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को समाज के सामने रखा जा सकता है और इनका प्रबल विश्वास है कि कला माध्यमों में इतनी शक्ति है कि वे विभिन्न देशों को करीब ला सकें।
इनकी निबंधित कुछ नृत्य रचनाओं में नारी एवं पर्यावरण विषयों की झलक प्राप्त होती है। ये पर्यावरण विषयक गोष्ठियों में सक्रियता के साथ भाग लेती हैं। और अपने विचारों की अनुगूंज को अपने संबोधन में अभिव्यक्त करती हैं। सोनल मानसिंह को 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इन्हें हरिदास संगीत सम्मेलन में ‘ शृंगारमणि’, ‘नाट्यकला रत्न’, राष्ट्रीय संस्कृति संगठन की ओर से और ‘राजीव गांधी एक्सीलेंस अवॉर्ड’ व ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी अवॉर्ड’ भी प्रदान किया गया है। वियतनाम तथा क्यूबा स्टेट कौंसिल की तरफ से भी मित्रता पदक प्रदान किए गए हैं। ये 69 वर्ष की उम्र में स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रही हैं। ईश्वर इन्हें अच्छा स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदान करे।
प्रश्न- पद्म भूषण पाने वाली सबसे कम उम्र वाली प्राप्तकर्ता कौन थीं?
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