शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

अधिगम के विभिन्न कारक | different factors of learning in Hindi

अधिगम के विभिन्न कारक | different factors of learning in Hindi
अधिगम के विभिन्न कारक | different factors of learning in Hindi
अधिगम के विभिन्न कारकों का वर्णन करो।

अधिगम की प्रक्रिया में तीन कारक निहित होते हैं। वातावरण के प्रति प्राणी की क्रिया प्रतिक्रिया इससे अभिप्राय है, सीखने वाले को सीखने की क्रिया के प्रति अभिप्रेरित करना। प्राणी की अनुक्रिया ज्ञानेन्द्रियों (दृश्य तथा श्रव्य) पर निर्भर करती है। प्राणी की शारीरिक-मानसिक दशा भी सीखने को प्रभावित करती है। दृष्टि दोष, ग्रन्थि दोष सीखने को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। साथ ही आयु, परिपक्वता, औषधि तथा मादक द्रव्यों का सेवन थकान आदि भी अधिगम को प्रभावित करते हैं। यह सभी कारक अधिगम के शारीरिक कारक कहलाते हैं। अधिगम का तीसरा कारक है—वातावरणीय। इसके अन्तर्गत कुल परिवेश का अध्ययन किया जाता है।

1. मनोवैज्ञानिक कारक: अभिप्रेरणा- अभिप्रेरणा सीखने का मनोवैज्ञानिक कारक है। यहाँ पर तो यही जानना पर्याप्त है कि सीखने की प्रक्रिया का हृदय अभिप्रेरणा है। वांछित अभिप्रेरणा अधिगम को गति ही नहीं देती, अपितु दिशा निर्देश भी करती है। वांछित परिणाम अभिप्रेरणा की ही देन है। दो प्रकार की अभिप्रेरणायें अधिगम की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं-

(i) आन्तरिक (Intrinsic) अभिप्रेरणा- इसमें सोद्देश्यता तथा उपयोगिता निहित होती है। सोद्देश्य तथा सार्थक अधिगम छात्रों को कार्य करने तथा सीखने की प्रेरणा देता है। ऐसी शिक्षा योजनायें जिनमें सम्पूर्ण रूप से छात्र को लगना पड़ता है, आन्तरिक अभिप्रेरणा से युक्त होती हैं।

(ii) बाह्य अभिप्रेरणा (Extrinsic motivation) – आन्तरिक अभिप्रेरणा के अभाव में कार्य करती है। मानसिक अपरिपक्वता तथा संवेदनशीलता का अभाव आन्तरिक अभिप्रेरणा के मार्ग में बाधक होता है। बाह्य अभिप्रेरणा कृत्रिम नहीं होती। वह व्यक्ति की आन्तरिक वृत्तियों पर आधारित होती है और आन्तरिक अभिप्रेरणा का स्थान ले लेती है।

ऐसी अभिप्रेरणाओं में (i) प्रशंसा एवं भर्त्सना, (ii) प्रतिस्पर्धा, (iii) दण्ड एवं पुरस्कार, (iv) प्रगति का ज्ञान तथा (v) संगीत, नाटक, कला, चार्ट, फिल्म तथा अन्य शैक्षिक सामग्री इसी प्रकार की अभिप्रेरणा से अधिगम की प्रक्रिया को मनोवैज्ञानिक आधार प्रदान करती हैं।

2. अधिगम के शारीरिक कारक- हमारे शरीर की आन्तरिक रचना इस प्रकार की है कि जो कुछ भी जीवन में घटता है, वह ग्राह्य (Receptors) इन्द्रियों द्वारा मनपटल पर अंकित होता जाता है। पाँच ज्ञानेन्द्रियों-आँख, नाक, कान, जिव्हा तथा त्वचा के साथ-साथ अमुभव-जन्यता, आसन (Posture), दबाव (Pressure), पीड़ा (Pain) तथा अन्य ज्ञानेन्द्रियों के प्रभाव भी अनुभवों में वृद्धि करते हैं। मिल्टन ने इन पाँचों ज्ञानेन्द्रियों को ज्ञान का प्रवेश द्वार कहा है। ज्ञान का आधार प्रतिबोध (Perception) है। प्रतिबोध का अर्थ है किसी वस्तु या तथ्य को सम्पूर्ण एवं स्पष्ट रूप से ग्रहण करना।

अधिगम (i) ज्ञानेन्द्रियों की सापेक्ष पूर्णता, एवं (ii) व्यक्ति की सामान्य दशा तथा प्रवृत्ति पर आधारित होती है। आयु, परिपक्वता, तापक्रम, दिन का समय, मादक द्रव्य तथा औषधि, थकान तथा तनाव अधिगम की क्रिया को प्रभावित करते हैं। नेत्र दोष दूर दृष्टि, निकट दृष्टि, वर्णान्धता, भैंगापन–श्रवण दोष, टांसिल्स, दन्त रोग, स्नायु दोष, ग्रंथि दोष आदि अधिगम की प्रक्रिया के सफल संचालन में बाधक होते हैं।

इसी प्रकार मानसिक, शारीरिक तथा स्वाभाविक थकान भी केन्द्रीय स्नायु संस्थान को प्रभावित करती है। मानसिक थकान व्यक्ति को उदासीन बनाती है और वह किसी कार्य को सीखने में रुचि नहीं लेता।

3. वातावरणीय कारक- सीखने की क्रिया को प्रभावित करने वाले तत्वों में वातावरण का प्रमुख योग होता है। कक्षा, परिवार, समाज तथा विद्यालय का वातावरण छात्रों की सीखने की क्रिया को प्रभावित करता है। शिक्षण विधि को वातावरणीय कारकों में प्रमुख स्थान दिया जाता है। शिक्षण सूत्र, शैक्षिक उद्देश्य, उपलब्धि तथा मूल्यांकन आदि ऐसे ही तथ्य हैं, जो अधिगम की क्रिया के सफल सम्पादन के लिए उचित वातावरण की सृष्टि करते हैं। (i) सम्पूर्ण से अंश, (ii) अंश से सम्पूर्ण, (iii) केन्द्रीभूत (Mediating), (iv) पठन, (v) अभ्यास का प्रसार, (vi) अभ्यास विभाजन, तथा (vii) अत्यधिक स्मरण विधि वातावरण की सृष्टि करती हैं।

जब उचित वातावरण होता है, तब व्यक्ति का ध्यान अधिगम में केन्द्रित हो जाता है। मूड बनता है, जो अधिगम की सफलता के लिये उत्तरदायी होता है। अध्यापक इसीलिये पाठ को प्रस्तुत करते समय वातावरण का निर्माण करता है। इन सबका प्रभाव स्मृति पर पड़ता है, जो अधिगम का फल प्रस्तुत करती है। अधिगम की सफलता यांत्रिक, तार्किक स्मृति से प्रकट होती है। समानता, विरोध, विषमता, स्पष्टता, तत्क्षणता, बारम्बारता आदि स्मृति भी वातावरणीय कारकों पर प्रकाश डालते हैं।

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Anjali Yadav

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