आधुनिक शिक्षा पर प्रकृतिवाद के प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
हमारी आधुनिक शिक्षा अपने पूर्व के लगभग सभी वादों से कुछ न कुछ प्रभावित न है। इस तरह यह प्रकृतिवाद से भी प्रभावित है। प्रकृति का हमारी शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा है? इसका आगे उल्लेख किया गया हैं।
(1) हमारी पहले की शिक्षा में अध्यापक को प्रधान स्थान दिया जाता था और बालक गौण समझा जाता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। प्रकृतिवाद में अध्यापक को गौण स्थान दिया जाता था और बालक को प्रधान स्थान। बालक शिक्षा का केन्द्र समझा जाता है। शिक्षा वालक के लिए समझी जाती है। प्रकृतिवाद के इन शैक्षिक सिद्धान्तों का प्रभाव हमारी आधुनिक शिक्षा पर पड़ा है। इसलिए आज शिक्षा का मुख्य केन्द्र बालक को ही समझा जाता है। बालक को प्रधान स्थान दिया जाता है अध्यापक को गौण, उसका काम बालक भी शिक्षा के लिए केवल वातावरण का निर्माण समझा जाता है। शिक्षा बालक के लिए समझी जाती है।
( 2 ) आज हर अध्यापक के लिए आवश्यक है कि वह बालक का पूर्णरूपेण अध्ययन करे। यह अध्ययन बालक की रूचि, आवश्यकता और क्षमता आदि का किया जाता है। पहले ऐसा नहीं किया जाता है। प्रकृतिवाद भी यह मानता है कि बालक को रूचि और उसकी क्षमता के अनुसार शिक्षा दी जानी चाहिए। यह सिद्धान्त हमारी आज की शिक्षा में प्रचलित हो चुका है। यह प्रकृति बाद की देन कहा जा सकता है।
(3) पहले बालक को बालक समझ कर शिक्षा नहीं दी जाती थी। बल्कि वह प्रौढ़ समझा जाता था। प्रकृतिवाद ने बाल विकास की अवस्थाओं के अनुसार शिक्षा देने की बात कही है। प्रत्येक अवस्था की अपनी अलग आवश्यकता और मांग होती है। इसलिए बालक को उसकी अवस्था और उसकी प्रकृति को ध्यान में रखकर शिक्षा दी जानी चाहिए। हमारी आधुनिक शिक्षा में ऐसा ही किया जाता है। जब बालक को प्रौढ़ न समझ कर बालक समझा जाता है और उसकी अवस्था की प्रकृति के ही आधार पर पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है तथा शिक्षा दी जाती है। अतएव बालक को बालक समझकर ही शिक्षा दी जा रही है। वह हमारी आधुनिक शिक्षा पर प्रकृतिवाद का परिणाम है।
(4) आज पाठ्यक्रम के निर्माण में बालक की रूचि, स्वतन्त्रता और विकास के सिद्धान्तों को स्थान दिया जाता है। पहले ऐसा नहीं किया जाता था। पहले बिना सोचे-समझे पाठ्यक्रम का निर्माण कर दिया जाता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। यह परिवर्तन जो हुआ है, इसको प्रकृतिवाद की ही देन कहा जाता है। यह पाठ्यक्रम निर्माण में प्रकृतिवाद का प्रभाव है।
(5) हमारी आनधुनिक शिक्षा में प्रजातांत्रिक दृष्टिकोणों का छात्रों के विकास करने का प्रयास किया जाता है। यह परिवर्तन प्रकृतिवादी शिक्षा की देती कहा जा सकता है।
( 6 ) एक सामान्य शिक्षा होती है और दूसरी विशेष शिक्षा प्रकृतिवादी सामान्य शिक्षा पर अधिक बल देता है। हमारी आधुनिक शिक्षा में भी सामान्य शिक्षा पर बल दिया जाता है तथा विशेष शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाता है। अन्य शब्दों में आधुनिक शिक्षा में सामान्य तथा विशेष दोनों की समन्वित शिक्षा पर बल दिया जाता है। इसलिए यह भी हमारी आधुनिक शिक्षा पर प्रकृतिवाद का एक प्रभाव ही कहा जा सकता है।
(7) प्रकृतिवाद में अध्यापक को गौण स्थान दिया जाता है। इसलिए आजकल अध्यापक को कक्षा में कम बोलने का अवसर दिया जाता है। वह विद्यार्थियों से प्रश्न करता है। बालक तर्क-वितर्क करके उनका उत्तर देता है। अध्यापक उसको सीखने की प्रेरणा देता है। ज्ञात के आधार पर अज्ञात का परिचय दिया जाता है। बालकों को अधिक समझने के लिए उसके सामने अनेक सहायक सामग्रियाँ प्रस्तुत की जाती है। बालक इन सहायक सामग्रियों से बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त करते हैं। हमारी सभी विधियाँ इन्हीं सिद्धान्तों पर आधारित हैं और ये सिद्धान्त प्रकृतिवाद के सिद्धान्त है।
( 8 ) प्रकृतिवाद बालक को अधिक से अधिक स्वतन्त्रता देने के पक्ष में हैं। आज की शिक्षा में इन सिद्धान्तों को बहुत अपनाया गया है। हमारी सभी आधुनिक शिक्षण विधियां इस सिद्धान्त को मानती है।
(9) प्रकृतिवाद अनुशासन का दायित्व बालकों पर ही छोड़ने के पक्ष में हैं। यह मुक्तात्मक अनुशासन पर बल देता है। शिक्षा में आज अनुशासन के इसी सिद्धान्त को माना जा रहा है।
( 10 ) माण्टेसरी विधि, योजना विधि, बेसिक शिक्षा, आदि सभी शिक्षण विधियाँ प्रकृतिवाद से प्रभावित हैं।
(11) विद्यालय के वातावरण को सुन्दर बनाने और खेल की शिक्षा में अधिक महत्त्व देने की बात प्रकृतिवाद की देन है।
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