भारत में ब्रिटिश काल के प्रशासन की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
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ब्रिटिश काल के प्रशासन की मुख्य विशेषताएँ
भारतीय प्रशासन के विकास में ब्रिटिश शासन काल का विशेष महत्व है। यह एक ओंपनिवेशिक तंत्र था। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
1. वृहद नौकरशाही – ब्रिटिष लोक प्रशासन की प्रकृति नौकरशाही की थी, जिसमें सम्पूर्ण प्रशासन नौकरशाही द्वारा संचालित था। अंग्रेजों ने भारत में आधुनिक टंग की नौकरशाही कायम की, जिसके फलस्वरूप आई. सी. एस. की सृष्टि हुई। इस सेवा में नियुक्ति योग्यता के आधार पर खुली परीक्षा लेकर होती थी।
2. सोपान बद्ध ढाँचा – ब्रिटिशकालीन शासन का ढाँचा सोपानबद्ध था। सत्त की कड़ी प्रान्तीय सरकार से कमिश्नर, कलक्टर तथा तहसीलदार से होती हुई गाँव के मुखिया तक पहुँचती थी।
3. शक्ति का केन्द्रीकरण- ब्रिटिशकालीन प्रशासन से सारी शक्ति भारत मंत्री, गवर्नर जनरल, गवर्नरों, कमिश्नरों और क्लक्टरों के हाथों में थी। 1937 में प्रान्तीय स्वायत्तता के लागू होने के बाद भी गवर्नर जनरल, भारत सचिव आदि की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया था।
4. वर्गीय आधार- ब्रिटिशकालीन प्रशासन में सिविल सेवा का आधार वर्गीय था। इण्डियन सिविल सर्विस में केवल कुलीन, उच्च शिक्षा प्राप्त वर्ग के व्यक्तियों की ही नियुक्ति सम्भव होती थी।
5. विशेषज्ञ सेवाओं का अभाव- ब्रिटिश काल में औपनिवेशिक सरकार के राजस्व तथा मजिस्ट्रेसी के कार्यों में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण केन्द्र तथा प्रान्त दोनों ही स्तरों पर तकनीकी एवं विशेषज्ञ लोक सेवाओं का विकास नहीं हो सका।
6. विकास की अवहेलना- ब्रिटिश काल में भारत में प्रशासन का मुख्य उत्तरदायित्व कानून और व्यवस्था बनाये रखने तक ही सीमित था। औपनिवेशिक प्रशासन का आर्थिक विकास, ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण तथा राष्ट्र निर्माण के कार्यों में कोई रुचि नही थी।
7. दमनकारी प्रशासन- ब्रिटिशकालीन प्रशासन भय और आतंक पर आधारित था। नौकरशाही का मुख्य उद्देश्य दमन और करों की वसूली था। पुलिस, वन विभाग, मालगुजारी वसूल करने वाले कर्मचारी रिश्वत और अतिक की अपना जन्मसिद्ध अधिक मानते थे।
8. जनहित की उपेक्षा- ब्रिटिशकालीन प्रशासन जनहित की भावना से बिल्कुल शून्य था। ब्रिटिश नौकरशाही की प्रशासनिक क्रियाओं का उद्देश्य अंग्रेज स्वामियों का हित होता था वे अपने को ब्रिटिश शासन के प्रति उत्तरदायी मानते थे, किन्तु ब्रिटिश नौकरशाही ने जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्व के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
9. कुशलता तथा अनुशासन पर बल – ब्रिटिशकालीन प्रशासन में कुशलता तथा अनुशासन के गुण विद्यमान थे। उनके काल में उच्च अधिकारियों का चरित्र सन्देह से परे था तथा आदेशों की अवहेलना कभी नहीं होती थी। ब्रिटिशकालीन भारतीय को कुशलता की दृष्टि से विश्व में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। स्पष्ट है ब्रिटिश कालीन भारतीय प्रशासन का स्वरूप सामाज्यवादी था तथा इसका मुख्य बल ब्रिटिश हितों का संबर्द्धन करना था ।
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