विभिन्न पोषक तत्वों की प्राप्ति के महत्वपूर्ण स्रोत उनके कार्य तथा उनकी कमी से उत्पन्न लक्षणों का वर्णन कीजिए।
(“विभिन्न पोषक तत्वों की प्राप्ति के महत्वपूर्ण स्रोत, उनके कार्य तथा उनकी कमी से उत्पन्न लक्षण)
पोषक तत्त्व | महत्त्वपूर्ण स्रोत | प्रमुख कार्य | हीनताजन्य लक्षण | प्रौढ़ के लिए दैनिक आवश्यकता |
प्रोटीन | दालें, सोयाबीन, मूँगफली, अन्न की भूसी तथा दूध, पनीर, मावा, माँस, मछली, अण्डा आदि। | शरीर के ऊतकों की वृद्धि ,मरम्मत, शरीर कीरक्षा। | निर्बल माँसपेशियाँ, शारीरिक दुर्बलता, मन्द मानसिक प्रतिक्रिया, रोग निरोधक क्षमता की कमी | 40-60 ग्राम |
वसा | सरसों व मूँगफली का तेल, बिनौला, तिल, मक्खन, घी, क्रीम, पनीर, माँस की चर्बी। | शक्ति और ताप का शरीर में उत्पादन। | वृद्धि और विकास की मन्द गति तथा शरीर के भार में कमी। | 40-60 ग्राम |
कार्बोज | शर्करा, शर्बत, चावल तथा अन्य खाद्यान्न, आलू, कन्द आदि। | शक्ति और ताप शरीर में उत्पादन। | शरीर के भार में कमी। | 350 से 400 ग्राम |
विटामिन ‘ए’ | पीली-हरी सब्जिया, पीले फल, टमाटर, घी, मक्खन, दूध, अण्डे की जर्दी मछली का तेल | शरीर की वृद्धि, नेत्रों व त्वचा को स्वस्थ रखना | वृद्धि में कमी, रतौंधी संक्रमण की सम्भावना,त्वचा में परिवर्तन। | 3000 से 4000 अन्तर्राष्ट्रीय इकाई |
विटामिन ‘बी’ (थायमिन) | तिल, मूँगफली, दालें, सूखी मिर्च, चावल, गेहूँ के सम्पूर्ण दाने ऊपरी भाग व अण्डे की जर्दी। | कार्बोज का उपयोग हृदय, स्नायु तथा पेशियों दाने के के स्वस्थ क्रियान्वयन हेतु। | शरीर की वृद्धि में कमी क्षुधा व भार में कमी, हृदय की गति में तीव्रता, स्नायु दोष, शीघ्र थकान, पाचन में दोष। | 1 से 2 मिग्रा० |
विटामिन ‘बी2’ (रिबोफ्लेविन) | हरी शाक-सब्जियाँ, दूध से बनी वस्तुएँ, अण्डा, जिगर, माँस। | वृद्धि,नेत्र, त्वचा तथा मुँह को स्वस्थ रखना, कार्बोज का उपयोग | शरीर की वृद्धि में कमी, नेत्र ज्योति में कमी, त्वचा, जीभ के होठों में किनारे पर घाव | 1से 1½ मिग्रा० |
विटामिन ‘बी3’ (निकोटिनिक एसिड नियासिन) | गेहूँ के अंकुर, आलू, अनाज के छिलके, दालें, मूंगफली, टमाटर, पत्ती वाली सब्जियाँ, माँस। | कार्बोज का उपयोग, गैसीय-आन्त्र तथा स्नायु संस्थान के उचित क्रियाशील होने हेतु। | लाल व चिकनी जीभ, मानसिक व पाचन सम्बन्धी विकार। | 10 से 18 मिग्रा० |
विटामिन ‘बी6’ (पायरीडॉक्सिन) | हरी सब्जियाँ, माँस, जिगर, अनाज (छिलके सहित)। | दाँतों, मसूड़ों, रक्त- वाहिनियों व स्नायुओं के क्रियाशीलन हेतु। |
बच्चों में ऐंठन (Convulsions), पैलेग्रा |
1½ मिग्रा. |
विटामिन ‘बी 12’ | दही, दूध, माँस, जिगर। | रक्त के निर्माण मे सहायक । | रक्ताल्पता। | 1 से 3 मिग्रा. |
विटामिन ‘सी’ (एस्कॉर्बिक एसिड) | आँवला, खट्टे टमाटर, पत्ती वाली तरकारियाँ, अंकुरित अन्न। | ऊतकों की मरम्मत, रक्त- वाहिनियों व मसूड़ों को स्वस्थ रखना। | मसूड़ों से खून निकलना, रक्त प्रवाह की प्रवृत्ति, घाव का देर से ठीक होना। | 60 ग्राम |
विटामिन ‘डी’ | दूध, जिगर, अण्डा, मछली का तेल। | कैल्सियम तथा फॉस्फोरस का उपयोग, दाँत और हड्डी को स्वस्थ रखना। | अस्थि की कोमलता, सूखा रोग होना, मृदुलास्थि, दाँतों के विकास में कमी तथा उनका क्षतिग्रस्त होना। | 10 मिग्रा. |
विटामिन ‘ई’ | अनाज, अंकुरित गेहूँ, तेल, पत्ती वाली तरकारियाँ, दूध मक्खन । | प्राणियों में प्रजनन-शक्ति,हृदय की स्वस्थता व वसा के उपयोग के लिए। | – | 8 मिग्रा. |
विटामिन ‘के’ | हरी सब्जी, टमाटर, दूध, मक्खन, अण्डा, आँतों में उत्पादित। | रक्त को सामान्य रूप से जमाना। | रक्त प्रवाह। | आँतों में उत्पादित मात्रा पर्याप्त है। |
कैल्सियम | दूध, दूध से बने पदार्थ, हरे शाक, चावल को छोड़कर अन्य सब खाद्यान्न । | अस्थि, दाँतों का निर्माण, हृदय और पेशियों की क्रियाशीलता व रक्त को जमाना । | अस्थि-निर्माण में कमी, दाँतों में दोष, पेंशियों की क्रियाशीलता में कमी। | 800 मिग्रा. |
लोहा | खाद्यान्न, दालें। | रक्त-निर्माण । | रक्तल्पता | 15 से 20 मिग्रा. |
फॉस्फोरस | पनीर, अण्डा, मछली, गोश्त, हरी सब्जी, दूध, बादाम, मेवा व दालें। | अस्थि, दाँतों का निर्माण, स्नायु संस्थान को स्वस्थ रखना, शरीर-विकास करना। | अस्थि-निर्माण में कमी, दाँतों में दोष,स्नायु संस्थान का अस्वस्थ होना। | 800 मिग्रा. |
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