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समाजवाद का सम्प्रत्यय विकसित करने हेतु शिक्षण सामग्री

समाजवाद का सम्प्रत्यय विकसित करने हेतु शिक्षण सामग्री
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समाजवाद का सम्प्रत्यय विकसित करने हेतु शिक्षण सामग्री पर चर्चा कीजिये ।

समाजवाद :- समाजवाद एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व, नियन्त्रण तथा नियमन स्वयं सरकार का या सरकारी एजेंसियों का होता है। समाजवाद के विषय में प्रो. डब्बलू.एच. लुक्स के अनुसार, “समाजवाद वह आन्दोलन है जिसका उद्देश्य सभी प्रकार की प्रकृतिकृत एवम् मनुष्यकृत उत्पादित वस्तुओं का जो कि बड़े पैमाने पर उत्पादन के प्रयोग की जाती हैं, स्वामित्व एवम् प्रबन्ध व्यक्तियों के स्थान पर समस्त समाज में निहित करना होता है, जिससे बढ़ी हुई राष्ट्रीय आय का इस प्रकार समान वितरण हो सके कि व्यक्ति की आर्थिक प्रेरणा या व्यवसाय तथा उपयोग सम्बन्धी चुनावों की स्वतन्त्रता में कोई विशेष बाधा न हो।”

इसी प्रकार प्रो. एच.डी. डिकिनसन ने समाजवाद के विषय में लिखा है कि “समाजवाद” समाज का एक ऐसा आर्थिक संगठन है जिसमें उत्पत्ति के भौतिक साधनों पर समस्त सरकार का स्वामित्व होता है तथा उसका संचालन एक सामान्य योजना के अन्तर्गत ऐसी संस्था के द्वारा किया जाता है जो समाज का प्रतिनिधित्व करती है तथा समस्त समाज के प्रति उत्तरदायी होता है। समाज के सभी सदस्य समान अधिकारों के आधार पर ऐसे सामाजीकृत आयोजित उत्पादन के लाभों के अधिकारी होते हैं।

समाजवाद की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं :-

1. समाजवाद में उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व नियमन सरकार का होता है। सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पर सरकार का नियन्त्रण होता है। निजी उद्यम नगण्य होते हैं।

2. समाजवाद में उत्पादन का उद्देश्य लाभ न होकर अधिकतम जन कल्याण होता है। सरकार उन्हीं वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करती है जिनसे उपभोक्ताओं के कम कीमत पर न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकें।

3. समाजवाद में कीमत तन्त्र का कोई महत्व नहीं होता। इस आर्थिक प्रणाली में सभी महत्वपूर्ण निर्णय सरकार के द्वारा लिये जाते हैं। इस उद्देश्य के लिये सरकार एक योजना आयोग का गठन करती है। यही आयोग देश के लिये आर्थिक योजनाएं तैयार करता है तथा देश की आर्थिक क्रियाओं का संचालन करता है।

4. समाजवाद में आय का वितरण लगभग समान होता है। आय की असमानता न्यूनतम होती हैं। राष्ट्रीय आय का वितरण उत्पादन के सभी साधनों में उनके योगदान के अनुपात में समानता के आधार पर होती हैं। समाजवाद, अवसर की समानता तथा समान कार्य के लिये समान वेतन की गारंटी देता हैं।

5. समाजवाद में प्रतियोगिता का अभाव होता है। इसका कारण यह है कि उत्पादन के सभी साधनों पर सरकार का स्वामित्व, नियन्त्रण तथा नियमन होता है। सारी औद्योगिक संस्थाओं का संचालन सरकार द्वारा होता है। सरकार द्वारा संचालित विभिन्न औद्योगिक इकाईयों में प्रतिस्पर्धा नहीं हो पाती। हाल ही में कुछ देशों की सरकारों ने अपनी औद्योगिक इकाईयों को अधिक कुशल बनाने के लिये उनके बीच में प्रतियोगिता को आरम्भ किया है।

6. समाजवाद एक वर्ग रहित समाज है। यहाँ पर समाज दो वर्गों में नहीं बंया होता। इसके अतिरिक्त यहाँ पर निजी सम्पत्ति का कोई अधिकार नहीं होता अतः यहाँ पर किसी प्रकार का शोषण नही होता।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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