शिक्षा मनोविज्ञान / EDUCATIONAL PSYCHOLOGY

सीखने के मनोविज्ञान में प्रेरणा के महत्व | Importance of Motivation in Learning Psychology in Hindi

सीखने के मनोविज्ञान में प्रेरणा के महत्व | Importance of Motivation in Learning Psychology in Hindi
सीखने के मनोविज्ञान में प्रेरणा के महत्व | Importance of Motivation in Learning Psychology in Hindi

सीखने के मनोविज्ञान में प्रेरणा के महत्व का वर्णन करो।

अध्यापक यह किस प्रकार ज्ञात करे कि अभिप्रेरणा देने के पश्चात् छात्र किसी कार्य को करने के लिए तत्पर हो गए हैं। यह ज्ञात करने के लक्षण इस प्रकार हैं-

1. उत्सुकता (Eagerness) – जब बालक क्रिया को करने के लिए अभिप्रेरित किए जाते हैं तो उनमें क्रिया के प्रति उत्सुकता दिखाई देती है। जब उत्सुकता दिखाई दे तो समझो कि बोलक क्रिया सीखने के लिए तैयार है।

2. शक्ति संचालन (Energy mobilization) – अभिप्रेरणा प्राप्त होते ही बालक में अतिरिक्त शक्ति उत्पन्न होती है। अभिप्रेरणा प्राप्त होते ही बालक घण्टों तक बिना थकान के काम करते हैं। शक्ति संचालन में व्यक्ति बड़े-बड़े कार्य कर जाते हैं। अभिप्रेरणा प्राप्त करके ही बालक प्रथम श्रेणी प्राप्त कर लेते हैं।

3. निरन्तरता (Consistency) – जब बच्चों को अभिप्रेरणा प्राप्त होती है, तब वे कार्य में निरन्तर लगे रहते हैं। प्रथम श्रेणी का लक्ष्य बनाते ही छात्र वर्ष पढ़ाई में लगे रहते हैं।

4. लक्ष्य प्राप्ति से बेचैनी दूर होना (Achievement of goal and reduction of tension)- अभिप्रेरणा से जो व्यवहार प्रकट होते हैं, वे लक्ष्य प्राप्ति के पश्चात् संतोष अनुभव करते हैं। यदि कक्षा में बालकों को गणित के प्रश्न करने हैं, जब तक वे प्रश्नों को हल नहीं करते, वे बेचैन रहते हैं। समस्या हल होते ही उनकी बेचैनी समाप्त हो जाती है।

5. ध्यान केन्द्रित होना (Concentrated attention) – अभिप्रेरणा प्राप्त करते ही बालक क्रिया में ध्यान रत हो जाता है। अभिप्रेरित व्यवहार में बालक कई प्रकार से उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।

अभिप्रेरणात्मक व्यवहार

हम अभी अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के लक्षणों के विषय में बता चुके हैं। अब हम अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के स्वरूप की चर्चा कर रहे हैं।

अभिप्रेरणात्मक व्यवहार शक्तिपूर्ण कारकों से युक्त व्यवहार होता है। इसमें व्यक्ति की कार्यक्षमता में असामान्यता पाई जाती है और उसमें विशेष उत्साह पाया जाता है। इस प्रकार के व्यवहार की विशेषताएँ ये हैं-

1. अभिप्रेरकों का निर्माण किया जाता है। इससे शक्ति के विकास तथा वृद्धि में गति मिलती है। इनमें अभिप्रेरित व्यवहार की आवश्यकता, व्यवहार का चयन तथा दिशा एवं दशा का विशेष महत्व है।

2. अभिप्रेरित व्यवहार में आन्तरिक परिवर्तन होता है। भूख के अभिप्रेरक से शरीर में रासायनिक क्रिया होती है और उससे मुख मुद्रा तथा शरीर के अवयवों में परिवर्तन प्रतीत होता है।

3. भूख के प्रेरक के समान ही यौन अथवा पैक्स का अभिप्रेरक होता है। सैक्स के प्रति आकर्षण से शरीर में उत्तेजना उत्पन्न होती है और व्यक्ति किसी भी प्रकार से उसे शान्त करना चाहता है। पुरुषों में एन्ड्रोजेन्स (Androgens) तथा स्त्रियों में एस्ट्रोजेन्स (Estrogens) तरल पदार्थ का स्राव होने लगता है।

4. अभिप्रेरित व्यवहार में व्यक्ति व्यक्ति तथा संस्कृति संस्कृति की भिन्नता पाई जाती है।

5. मनोवैज्ञानिक अभिप्रेरकों में समस्या की कठिनाई, वर्गीकरण तथा विश्लेषण निहित होता है।

6. मनोवैज्ञानिक अभिप्रेरक व्यवहार में व्यवहार की दिशा, दशा का निर्धारण करते है।

7. संग्रह करने की प्रवृत्ति विकसित होती है।

8. व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा तथा पद प्राप्ति के लिए प्रयत्न करता है।

9. अभिप्रेरित व्यवहार में प्राथमिकता पाई जाती है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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