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इतिहास एक विज्ञान है एवं कला भी। विवेचना कीजिए।
अथवा
विज्ञान के रूप में इतिहास के अध्ययन का वर्णन कीजिए। एक उदाहरण भी दीजिए।
अथवा
“इतिहास हमारे सम्पूर्ण भूतकाल का वैज्ञानिक अध्ययन तथा लेखा है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
इतिहास के अर्थ को परिभाषित कीजिए। इतिहास विज्ञान हैं अथवा कला है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
इतिहास को परिभाषित करते हुए इसकी प्रकृति की विवेचना कीजिए।
इतिहास का अर्थ (Meaning of History)
‘इतिहास’ अंग्रेजी के ‘History’ शब्द का हिन्दी पर्याय है। History शब्द की व्युत्पति यूनानी भाषा के ‘Historia’ शब्द से हुई है। Historia शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है- “जानना ज्ञात करना” या “सत्य की खोज करना। Historia शब्द का दूसरा अर्थ हुआ “वास्तविक रूप में क्या घटित हुआ’ (what was actually happend) अर्थात् कभी भी जो वास्तविक रूप में घटना घटित हुई, उसे ही इतिहास कहते हैं।
इतिहास शब्द का हिन्दी भाषा की दृष्टि से अर्थ करे, तो ‘इतिहास’ शब्द की व्युत्पति हिन्दी भाषा के दो शब्दों से मिलकर हुई है। वे शब्द है-
इति+हास=इतिहास
जिसका अर्थ होता है ‘निश्चित रूप से ऐसा ही हुआ। इस तरह शाब्दिक अर्थ की दृष्टि से यूनानी, लेटिन तथा हिन्दी भाषा के शब्दों में अर्थ की दृष्टि से समानता है। इतिहास कब, क्यों, कहाँ, कैसे आदि प्रश्नों का उत्तर देता है। इसका संबंध अतीत की घटनाओं से है। उर्दू में इतिहास को ‘तबारीख’ भी कहते है, यह तारीख का बहुवचन है जिसका अर्थ तिथियों से है। अर्थात् इतिहास केवल तिथियों का संग्रह मात्र है। शब्दकोष के अनुसार, “इतिहास सार्वजनिक घटनाओं का लेखा है।” यूनान में हैरोडोटस को प्रथम इतिहासकार माना जाता है। हैरोडोटस ने 500 ई.पू. कथा, कहानी, घटनाओं आदि का संग्रह या संकलन किया। इस तरह इतिहास को संकलन कथात्मक इतिहास भी कह सकते हैं।
इतिहास की परिभाषा (Definitions of History)
विद्वानों द्वारा इतिहास की दी गई परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-
1. जॉहन हाजिग (John Huizinga) के अनुसार, इतिहास वह बौद्धिक स्वरूप जिसमें सभ्यता अपने अतीत का विवरण प्रस्तुत करती है।”
2. जोन्स (jones) के अनुसार, “इतिहास, जीवन के अनुभवों की खान है और आज का युवक इसका अध्ययन इसलिए करता है कि वह जाति के अनुभवों का लाभ उठा सके।”
3. हेनरी जॉनसन (Henry Johnson) के अनुसार, “इतिहास स्वयं में इतिहास का एक स्वरूप है। अतः यह कभी भी नवीन नहीं रहा। इतिहास खोज के रूप में आरम्भ हुआ और आज भी यह खोज ही है। इतिहास ने लेखे-जोखे का रूप धारण किया है। आज भी उसका वही रूप है। इतिहास वह है जो कभी घटित हुआ था, आज भी उसका वही रूप है। इतिहास वही है जिसे मनुष्य ने कभी सोचा और किया और आज भी वही है। इतिहास सदैव ही अतीत की रचना रहा है।”
4. रैपसन (Rapson) के अनुसार, “इतिहास विचारों की प्रगति अथवा घटनाओं का सम्बन्धित विवरण है।”
5. डॉ. एस. राधाकृष्णन (Dr. S. Radha Krishnan) के अनुसार, “इतिहास राष्ट्र की स्मरण शक्ति है।”
शिक्षा शब्दकोश के अनुसार, “इतिहास अतीत की घटनाओं का समालोचनात्मक विवरण और अभिलेखन से संबंधित क्षेत्र का अध्ययन या विज्ञान है।”
इस तरह इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का अध्ययन नहीं है बल्कि वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में भविष्य की मानव आवश्यकताओं से भी संबंधित है। इतिहास एक और वर्तमान को अतीत से जोड़ता है, तो दूसरी और उसे भावी निर्माण के उपादान के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता है। यह मानव जाति की भावनाओं तथा कृत्यों का क्रमागत एवं वैज्ञानिक अध्ययन है। यह हमें नैतिक प्रबल बल प्रदान करने के साथ त्यागशील, साम्प्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता और विश्व बन्धुत्व आदि आदर्शों की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है।
इतिहास की प्रकृति (स्वरूप)
इतिहास की प्रकृति के संबंध में विभिन्न इतिहासकारों एवं शिक्षाविदो के मत में भिन्नता है। एक विचारधारा के इतिहासकारों एवं शिक्षाविदों का मानना है कि इतिहास ‘विज्ञान’ है और दूसरी विचारधारा के समर्थक इस तर्क से सहमत नहीं है, उनका कहना है इतिहास ‘कला’ है। यह समस्या केवल इतिहास विषय के साथ ही नहीं अपितु अध्ययन के समस्त विषयों के साथ है। अर्थात् इतिहास की प्रकृति क्या है? इस प्रश्न उत्तर हेतु दोनों विचारधारा के लोगों के विचारों का अध्ययन करने के बाद ही दिया जाना संभव है। कुछ इतिहासकारों ने एक तीसरी विचारधारा का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कला एवं विज्ञान दोनों हैं।
अत: इतिहास कला है या विज्ञान या दोनों यह बिन्दु विचारणीय है। इसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
इतिहास एक विज्ञान है (History is a science)
इतिहास प्राचीन या भूतकाल की बातों का क्रमबद्ध रूप में हमारे सम्मुख प्रस्तुत करता है। इसलिए यह विज्ञान माना जा सकता है। इस तर्क को एम. प्राइनकेयर (M.Princare) के तर्क से बल मिलता है। वे कहते है कि “विज्ञान तथ्यों से इस प्रकार बना है जिस प्रकार पत्थरों से एक मकान बना होता है, लेकिन केवल तथ्यों के संग्रह को उसी भाँति विज्ञान नहीं कहा जा सकता है। जिस तरह पत्थरों के ढेर को मकान नहीं कहा जा सकता।”
जी.पी. गूच (G.P. Gooch) के अनुसार, “विज्ञान घटना विशेष के कारण और प्रभाव के मध्य संबंध विषयक ज्ञान का क्रमबद्ध समूह है।”
अतः यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इतिहास विज्ञान है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए जा सकते हैं-
(1) इतिहास एक सामाजिक विज्ञान है।
(2) इतिहास में तथ्यों का संकलन प्रामाणिक स्त्रोतों (Reliable Sources) से होता है।
(3) ऐतिहासिक घटनाओं में कार्य-कारण-संबंधी क्रमबद्धता (Sequence) होती है।
(4) तथ्यों (Facts or Datas) का सतर्क, निष्पक्ष तथा वस्तुनिष्ठ विश्लेषण होता है।
(5) तुलनात्मक परीक्षण द्वारा सत्य ज्ञात किया जाता है।
(6) इसका दृष्टिकोण वैज्ञानिक होता है।
(7) इसकी अनुसंधान की विधियाँ (Research Methodology) वैज्ञानिक होती है।
इतिहास कला है (History is an Art)
इतिहास विज्ञान नहीं है, क्योंकि इतिहास वैज्ञानिक विधियों का अनुसरण नहीं करता। इस तर्क को जेम्स बी. कोनेट के तर्क से बेल मिलता है। इन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Theory History (1956) में लिखा है कि “इतिहास को विज्ञान इसलिए स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें तथ्यों के अन्वेषण केलिए क्रमबद्ध तथा निश्चित नियमों का अभाव है।”
प्रो. वाल्स (W.H.wals) ने भी अपनी पुस्तक “An Introduction to the Phi losophy of History” में इतिहास को विज्ञान स्वीकार करने में कठिनाईओं का उल्लेख किया है-
(1) विज्ञान में सामान्यीकरण होता है, इतिहास में नहीं।
(2) भविष्यवाणी विज्ञान में सम्भव है, इतिहास में नहीं।
(3) विज्ञान में नैतिकता व धर्म का कोई स्थान नहीं।
अतः यह कहा जा सकता है कि यह विज्ञान न होकर कला है। कला की यह विशेषता है-तथ्य, वस्तु, घटना आदि का वर्णन दार्शनिक व आदर्श मूलक के रूप में प्रस्तुत करना। विज्ञान तथ्य रूप में घटनाओं को प्रस्तुत करता है। अतः विज्ञान में “सत्यम् शिवम् सुन्दरम्” का आभास नहीं होता।
इतिहास को कला मानने वालों के तर्क इस प्रकार है-
(1) प्रारम्भिक युगों में इतिहास साहित्य का ही एक अंग था, जो कला है।
(2) प्रो. विट्ठल दतात्रेय घाटे (Prof. V.D. Ghate) के अनुसार, “इतिहास सजीव नर-नारियों का स्पष्ट रिकॉर्ड होना चाहिए। इसमें साहित्यिक गुणों का समावेश अवश्य ही होना चाहिए।” अत: यह एक कलाकृति के रूप में होना चाहिए।
(3) अपने विवरणात्मक (Descriptive) रूप में इतिहास कला है।
(4) इतिहासकार केवल तथ्यों का संकलन एवं विश्लेषण ही नहीं करता बल्कि तथ्यों को सरल व रोचक भाषा में अभिव्यक्त भी करता है।
(5)विज्ञान इतिहास को अस्थि पंजर (हड्डियों का ढाँचा) प्रदान करता है जबकि एक साहित्यकार कलाकार की कल्पना ही एक अस्थिपंजर को रक्त, माँस देकर जीवन (सजीव) बनाता है।
उपर्युक्त तर्कों को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि दोनों ही पक्षों इतिहास को ‘विज्ञान’ मानने वालों तथा इतिहास को ‘कला’मानने वालों के तर्क अपने पक्ष की अतिरंजना (अतिश्योक्ति) कर एकांगी है। अतः दोनों का समन्वय आवश्यक है।
इतिहास कला व विज्ञान दोनों है (History is both a science and an Art)
उपर्युक्त विवेचना का अध्ययन करने के बाद यह कहा जा सकता है कि इतिहास कला व विज्ञान दोनों है। लार्ड एक्टन (Lord Acton) के अनुसार इतिहास का अध्ययन पक्षपात रहित, आलोचनात्मक तथा नवीन है।” इस प्रकार उन्होंने इतिहास को विज्ञान तथा कला दोनों का रूप प्रदान किया है। डॉ. देवकी तिवारी का भी मत वहीं है, वें कहती हैं- “हम कह सकते है कि इतिहास विज्ञान और कला दोनों का समन्वय है। वह जब सत्य की खोज करता है तब विज्ञान को उन तथ्यों के प्रस्तुतीकरण के समय वह एक कला है ”
वी.डी. घाटे के अनुसार, “इतिहास नर-नारियों का स्पष्ट रिकॉर्ड होना चाहिए। इसमें साहित्यिक गुणों का समावेश अवश्य होना चाहिए। अतः यह एक कलाकृति के रूप में होना चाहिए।”
इतिहास जब तथ्यों का विश्लेषण कर सत्य की खोज करता है तथा उनका क्रमबद्ध संकलन करता है, तब वह विज्ञान है। इन्हीं तथ्यों का सरल एवं सुन्दर वर्णन करते समय वह कला है। ‘इतिहास लेखन’ (Historigraphy) कला में माना जाता है। इतिहास के अध्यापक को भी पढ़ाते समय इतिहास के वैज्ञानिक एवं कलात्मक दोनों ही पक्षों का ध्यान रखना चाहिए। इतिहास की वैज्ञानिकता पर अधिक बल देने पर विद्यार्थियों के .लिए इतिहास विषय एक शुष्क एवं नीरस विषय बन जायेगा। इसके विपरीत कला पक्ष (जिसमें कल्पना का योग अधिक होता है) पर अत्यधिक आग्रह करने से इतिहास के तथ्यों का विकृत रूप विधार्थियों से भ्रान्ति उत्पन्न करता है। अतः दोनो पक्षों की ‘अति’ Extreme चाहिए तथा इनका समन्वय करना है।
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