इतिहास के साथ भूगोल के सहसम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
अथवा
इतिहास व भूगोल के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
इतिहास का अन्य विषयों के साथ निकटता का सह-सम्बन्ध रहा है। इतिहास की अन्तर अनुशासनात्मक पद्धति में इतिहास का भूगोल के साथ निकटता का सम्बन्ध रहा हैं। यूनानी इतिहास दर्शन के अनुसार मनुष्य का शरीर एवं चरित्र देश की भौगोलिक परिस्थितियों से निर्धारित होता है। प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तू के अनुसार “किसी देश की संस्कृति का जन्म और विकास उसकी जलवायु पर निर्भर करता है। संक्षेप में निम्नांकित रूप में इतिहास एवं भूगोल के सहसम्बन्ध को रखा जा सकता है।”
1. रेगिस्तान का प्रभाव- रेगिस्तान का इतिहास पर बहुत प्रभाव पड़ता है। रेगिस्तान के निवासी विषम परिस्थितियों के कारण बहुत वीर साहसी तथा स्वतन्त्रता प्रेमी होते हैं। यहाँ के निवासी प्रायः युद्धप्रिय होते हैं तथा साहित्य और कला में उनकी विशेष रूचि नहीं होती है। उनका जीवन धन के अभाव के कारण बहुत संघर्षमय होता है।
2. मैदानी भागों का प्रभाव- मैदानी भागों का भी इतिहास पर विशेष प्रभाव पड़ता है। मैदान प्रायः अधिक उपजाऊ होते हैं। इसलिए कृषि और पशुपालन यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय होता है। मैदानों के लोग प्रायः शान्ति प्रिय तथा मेहनती होते हैं। यद्यपि आर्थिक सम्पन्नता के कारण वे विलासी तथा विभिन्न प्रकार के आमोद-प्रमोद में अपना समय व्यतीत करते हैं।
3. पर्वतों का प्रभाव- पर्वतों के प्रभाव से भी इतिहास बहुत अधिक प्रभावित होता है। यदि कोई देश चारों ओर से पर्वतों से घिरा होता है, तो वह अपने पड़ौसी देशों से भिन्न अपनी सभ्यता और संस्कृति का विकास करता है। ये पर्वत राष्ट्रों को प्राकृतिक सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।
4. राष्ट्र के विस्तार का प्रभाव- राष्ट्र के विस्तार का प्रभाव भी इतिहास पर पड़ता है। विशाल राष्ट्रों में अनेक राज्यों के स्थापित हो जाने पर उनमें निरन्तर संघर्ष चलते रहने की संभावना हो सकती है। ऐसी दशा में विभिन्न प्रकार की जातियों के निवास की संभावना रहती है। जिनकी प्राय: अपनी पृथक-पृथक भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज तथा धर्म होता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीयता की भावना समाप्त हो जाती है।
5. समुद्र से दूरी- समुद्र से दूरी भी इतिहास पर प्रभाव डालती है। जो देश चारों से ओर से समुद्र से घिरे रहते हैं, अपने शत्रु राष्ट्रों से अधिक सुरक्षित होते हैं, वहाँ के लोग बड़े चतुर नाविक बन जाते हैं तथा विदेशों के साथ अपना व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं। ऐसे देश विदेशों में उपनिवेशों को स्थापित करने का प्रयत्न करने लगते हैं और वे साम्राज्यवादी बन जाते हैं।
6. पड़ौसी राष्ट्रों की प्राकृतिक स्थिति का प्रभाव- किसी भी राष्ट्र के इतिहास पर न केवल उस देश की प्राकृतिक दशा का प्रभाव पड़ता है बल्कि अगर पड़ौस का देश निर्धन है तथा उनकी प्राकृतिक दशा ऐसी है कि वहाँ के लोग युद्धप्रिय और सामाजिक प्रवृति के हैं, तो उनसे सदैव संघर्ष चलता रहता है। इसके विपरीत यदि पड़ौसी देश सम्पन्न हैं तथा वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि वहाँ के लोग शान्तिप्रिय हैं और साहित्य तथा कला में रूचि रखते हैं, तो उसके साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बने रहने की संभावना रहती हैं।
7. प्राकृतिक साधनों का प्रभाव- प्राकृतिक साधनों में हम तीन पक्ष रख सकते हैं- वनस्पति, खनिज और जीव-जन्तु। इतिहास पर इन तीनों का ही गहरा प्रभाव पड़ता है। खनिज पद्धार्थों की अधिकता जिन राष्ट्रों में होती है, वह राष्ट्र समृद्ध बन जाता है। बड़े-बड़े उद्योग-धन्धे वहाँ आरम्भ हो जाते हैं। वर्तमान वैज्ञानिक युग में ऐसे ही राष्ट्र सर्वाधिक बलवान बन गये हैं। उनकी गणना दुनिया के प्रमुख देशों में हो रही है।
8. जलवायु का इतिहास पर प्रभाव- किसी भी राष्ट्र की जलवायु का भी उसके इतिहास पर घनिष्ठ प्रभाव होता है। जिस देश की जलवायु गर्म होती है, वहाँ के लोगों की कार्य क्षमता कम तथा कम परिश्रमी होते है। इसीलिए जब कभी उनका संघर्ष उण्डे प्रदेशों की जलवायु में रहने वाले लोगों से होता है, तो वे पराजित हो जाते हैं। इसी प्रकार जलवायु का खान-पान, रहन-सहन तथा वेशभूषा पर यही प्रभाव पड़ता है।
9. इतिहास पर जमीन का प्रभाव- इतिहास पर किसी भी राष्ट्र विशेष की भूमि का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। जब मनुष्य किसी निश्चित भू-भाग पर स्थायी रूप से निवास करने लगता है, तब वही उनकी जन्मभूमि हो जाती है तो उसे अपने प्राणो से भी अधिक प्यारी लगने लगती है। वह अपना तन-मन-धन सब-कुछ उस पर न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहता है।