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इतिहास शिक्षण में शैक्षिक पर्यटन (क्षेत्रीय पर्यटन) के महत्त्व को समझाइये ।
अथवा
क्षेत्र पर्यटन का महत्त्व क्या है? क्षेत्र पर्यटन के समय शिक्षक के दायित्व, क्षेत्र पर्यटन के लाभ व सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
क्षेत्र पर्यटन का महत्त्व
(Importance of Field Trip)
क्षेत्र पर्यटन के महत्त्व को निम्नलिखित ढंग से समझा जा सकता हैं-
(1) यह छात्रों के अनुभव में वृद्धि करता है। इस विधि में छात्र प्रत्यक्ष रूप से ज्ञानार्जन करते हैं।
(2) विभिन्न विषयों के कुछ प्रकरणों का ज्ञान भ्रमण पद्धति के माध्यम से दिया जाना संभव है। प्रत्यक्ष ज्ञान पुस्तकीय ज्ञान की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है।
(3) छात्रों में भ्रमण के प्रति सहज और स्वाभाविक रूचि बढ़ती है। यह विधि रोचक, बोधगम्य एवं स्वस्थ वातावरण प्रस्तुत करती है।
(4) सामाजिक समस्याओं की वास्तविकता को समझने में पर्यटन सहायक है।
(5) छात्र प्राकृतिक, सामाजिक एवं औद्योगिक स्थानों का भ्रमण करके मनोरंजन एवं आनन्द प्राप्त करते हैं।
(6) इससे छात्रों में सहयोग की भावना का विकास होता है।
(7) इससे छात्रों में ज्ञानात्मक एवं भावात्मक योग्यताओं का विकास होता है।
क्षेत्र पर्यटन के समय शिक्षक के दायित्व
(Responsibilities of the Teacher in the Field Trip)
क्षेत्र पर्यटन के समय शिक्षक के प्रमुख दायित्व निम्नलिखित है-
(1) शिक्षक को प्रत्येक छात्र की निगरानी रखनी चाहिए।
(2) शिक्षक के प्रयत्न करना चाहिए कि पहले से बनाए गए कार्यक्रम के अनुकूल ही भ्रमण कार्य आयोजित किया जाएँ ।
(3) पर्यटन से अधिक से अधिक शिक्षणात्मक मूल्यों की प्राप्ति हो, विद्यार्थी अधिकाधिक वैज्ञानिक तैयारी एकत्रित करे, यह लक्ष्य होना चाहिए।
(4) शिक्षक मार्ग में नवीन बातों की जानकारी देता रहे और उनसे संबंधित प्रश्न पूछते रहना चाहिए। छात्रों को नवीन ज्ञान कापी में नोट करते रहना चाहिए।
(5) रास्ता तय करते हुए और निरीक्षण कार्य के अन्त में कुछ मनोरंजन की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
(6) पर्यटन से लौटते समय शिक्षक को ध्यान देना चाहिए कि सभी छात्रों एवं विद्यालय का सामान सुरक्षित आ गया है या नहीं। पर्यटन के समय कॉपी में नोट की गयो सूचनाएँ एवं संग्रह की गयी वस्तुएँ सुरक्षित है या नहीं।
क्षेत्र पर्यटन के लाभ (Advantages of Field Trip)
क्षेत्र पर्यटन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-
(1) इसमें छात्र मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त के अनुसार स्वयं निरीक्षण करके (Learning by Observation) ज्ञानार्जन करते हैं।
(2) इसमें छात्र विविध स्थलों पर विभिन्न घटनाओं, वस्तुओं आदि को वास्तविक (प्रत्यक्ष) रूप में देखकर वास्तविक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
(3) जिन बातों को छात्र कक्षा-कक्ष में विधिवत् समझ पाने में असमर्थ रहता है, उन्हें वे वास्तविक रूप से देखकर आसानी से समझ जाते हैं।
(4) क्षेत्र पर्यटन से छात्रों को अपने देश की अतीतकालीन सभ्यता एवं संस्कृति का ज्ञान होगा और अतीत की विरासत पर गौरव होगा।
(5) पर्यटन के माध्यम से छात्रों को स्थानीय इतिहास का भी सम्यक् ज्ञान करवाया जा सकता है।
(6) इनसे छात्रों की जिज्ञासा पर शंकाएँ समाप्त होती है।
(7) इनसे छात्रों को उत्तरदायित्व वहन करने एवं नेतृत्व करने की क्षमता का विकास होता है।
(8) इनसे छात्रों में पारस्परिक सहयोग एवं सद्भावना का विकास होता है।
(9) इनसे छात्र एवं शिक्षकों के मध्य निकटता बढ़ती है।
(10) इनसे छात्रों में स्वानुशासन की भावना विकसित होती है।
क्षेत्र पर्यटन की सीमाएँ (Limitations of Field Trip)
क्षेत्र पर्यटन की सीमाएँ/दोष निम्नलिखित हैं-
(1) क्षेत्र पर्यटन के अन्य विषयों के कक्षा शिक्षण में रुकावट होती है। अतः अवकाश के समय इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए।
(2) पर्यटन द्वारा सूचनाओं का ज्ञान दिया जाता है, वह सार्थक तो होते हैं, लेकिन धन, समय व शक्ति की दृष्टि से अनुपयुक्त है।
(3) शैक्षिक पर्यटनों में दुर्घटनाओं का अधिक भय रहता है।
(4) शैक्षिक पर्यटन को मनोरंजन के रूप में छात्र न ले वरना इसका शैक्षिक महत्त्व घट जाएगा।
(5) कक्षा के जो गरीब छात्र होते हैं, वे पर्यटन में भाग लेने में असमर्थ रहते हैं। अतः सभी छात्र इसका लाभ नहीं उठा सकते हैं।
भ्रमण के समय ध्यान देने योग्य बातें (Precautions for Field Trip)
भ्रमण (क्षेत्र पर्यटन) के समय निम्नलिखित बातों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए –
(1) नदी, झील, बिजलीघर या कारखानों आदि पर सावधानी से घूमना चाहिए।
(2) भ्रमण के समय समूह में रहना चाहिए।
(3) भ्रमण पूर्व व अन्त में छात्रों की गिनती की जानी चाहिए।
(4) महिला विद्यार्थियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
(5) क्षेत्र पर्यटन पर जाने से पूर्व इतिहास के शिक्षक को प्रधानाचार्य से लिखित अनुमति से लेनी चाहिए।
(6) इतिहास शिक्षक को भी अपनी साथी अध्यापकों का सहयोग लेना चाहिए।
(7) अभिभावकों की लिखित अनुमति भी शिक्षक द्वारा ले ली जानी चाहिए।
अनुमति के लिए शिक्षण संस्था द्वारा पत्र
शिक्षण संस्था का नाम……………………………………..
सेवा में,
………………………..
………………………..
………………………..
प्रिय महोदय/महोदया,
वर्तमान सत्र…………..में कक्षा…………..के छात्रों को ऐतिहासिक भ्रमण के लिए………………जाने की योजना है। अतः अपने पुत्र/पुत्री को ले जाने के लिए लिखित अनुमति पत्र भेजकर प्रदान करें।
सहयोग के लिए धन्यवाद
दिनांक……………..
भवदीय
………………
(इतिहास शिक्षक)
अभिभावक का अनुमति पत्र
सेवा में,
प्राचार्य महोदय/ महोदया
………………………
………………………
महोदय,
मैं अपने पुत्र/पुत्री……………….कक्षा………………..की ऐतिहासिक भ्रमण के लिए जाने की सहर्ष अनुमति प्रदान करता/करती हूँ।
सधन्यवाद
दिनांक……………..
भवदीय
…………….
(अभिभावक के हस्ताक्षर)
इस तरह की अभिभावक की स्वीकृति शिक्षक/प्रधानाचार्य/विद्यालय प्रशासन द्वारा अवश्य रूप से ली जानी चाहिए।
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