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इतिहास शिक्षण में संग्रहालय के महत्त्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
विद्यालय में इतिहास संग्रहालय को संगठित करते समय इतिहास शिक्षक को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
इतिहास संग्रहालय
इतिहास शिक्षण में संग्रहालय का विशेष महत्त्व है। संग्रहालय वह स्थान है, जहाँ विभिन्न वस्तुओं का संग्रह किया जाता है। संग्रहालय को अंग्रेजी में ‘म्यूजियम’ (Museum) कहा जाता है। ‘म्यूजियम’ शब्द की उत्पत्ति एक यूनानी शब्द ‘म्यूसेज’ (Muses) से हुई है, जिसका अर्थ है, संगीत, काव्य तथा अन्य कलाओं की देवी के बैठने का स्थान। इस तरह वह स्थान जहाँ कला और साहित्य संबंधी वस्तुओं का संग्रह किया जाता है, म्यूजियम कहलाता है। शिक्षा शब्दकोश में संग्रहालय के अर्थ को स्पष्ट करते हुए लिखा है- “संग्रहालय एक भवन या कक्ष है, जो विज्ञान, साहित्य और कला सदृश ऐसे क्षेत्रों में रुचि के विषयों के संकलनों को सुरक्षित रखने या प्रदर्शन के लिए प्रयुक्त होता है।” इतिहास संग्रहालय में विविध प्रकार की ऐतिहासिक सामग्री संकलित रहती हैं, जिनका उपयोग इतिहास शिक्षण में होता है। इसे ‘इतिहास अजायबघर’ भी कहा जाता है।
इतिहास संग्रहालय की स्थिति
इतिहास संग्रहालय इतिहास कक्ष के हो एक भाग में स्थित होना चाहिए। अगर इतिहास कक्ष में पर्याप्त स्थान न हो, तो उससे मिलता हुआ दूसरा कमरा भी हो सकता है। इतना भी संभव न होने पर इतिहास कक्ष में ही कुछ अलमारियाँ रखकर काम चलाया जा सकता है। हाँ इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि संग्रहालय के निरीक्षण में छात्रों को असुविधा न हो तो संग्रहालय भण्डार गृह प्रतीत न हो।
वस्तु संकलन
इतिहास संग्रहालय में उन्हीं वस्तुओं या सामग्री का संकलन होना चाहिए, जो छात्रों के ज्ञानार्जन के लिए विशेष उपयोगी हों। छात्रों को ऐतिहासिक वस्तुओं के चित्रों एवं नमूनों को संकलित करने के अवसर प्रदान करने चाहिए। छात्र स्वयं वस्तुओं, नमूनों, तथा चित्रों को संकलित करते हुए आनन्दित होते हैं। कुछ आवश्यक वस्तुएँ, चित्र, मॉडल एवं नमूने आदि क्रय भी किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी वस्तुएँ, चित्र, मॉडल एवं नमूने आदि विदेशी दूतावासों से सम्पर्क स्थापित करके उपलब्ध हो सकते हैं। इतिहास संग्रहालय के लिए निम्नलिखित संकलन विशेष आवश्यक हैं-
(1) वास्तविक पदार्थ एवं नमूने- ऐतिहासिक ताम्रपत्र, सिक्के, अस्त्र-शस्त्र, आभूषण एवं वस्त्र आदि।
(2) चार्ट- युद्ध योजना, युद्ध मार्ग एवं वंश परम्परा आदि के चार्ट।
(3) चित्र- ऐतिहासिक व्यक्तियों, भवनों, दुर्गों, स्तम्भों, स्तूपों एवं शिलालेखों आदि के चित्र।
(4) मानचित्र- विभिन्न ऐतिहासिक मानचित्र ।
(5) मॉडल- ऐतिहासिक भवनों, किलों, स्तम्भों, स्तूपों, सिक्कों आदि के मॉडल।
(6) समय रेखाएँ एवं समय ग्राफ- विभिन्न ऐतिहासिक व्यक्तियों, साम्राज्यों, घटनाओं आदि से संबंधित समय रेखाएँ एवं समय ग्राफ ।
(7) अन्य संग्रह- ऐतिहासिक तथ्यों एवं घटनाओं पर प्रकाश डालने वाली फिल्म स्ट्रिप्स एवं स्लाइड्स, ऐतिहासिक विषय वस्तु वाले टेप (Tape) आदि तथा देश-विदेश के व्यक्तियों की वेशभूषाएं, दस्तकारी का सामान, देश-विदेश के विविध डाक टिकिट एवं सिक्के आदि का संग्रह हो सकता है।
इतिहास संग्रहालय की व्यवस्था
इतिहास संग्रहालय की व्यवस्था का दायित्व शिक्षक एवं छात्र दोनों पर है। सभी को व्यक्तिगत रूप से लेकर इसकी व्यवस्था, सजावट एवं सफाई के लिए निम्नलिखित कार्य करने चाहिए।
(1) संग्रहालय को आकर्षक बनाने के लिए विधिवत् सजाना चाहिए। कक्ष के दरवाजे एवं खिड़कियों में आकर्षक पर्दे लगाने चाहिए तथा फर्श पर सुन्दर सा दरा (बिछावन) डालना चाहिए।
(2) संग्रहित वस्तुओं, नमूनों, मॉडल आदि को व्यवस्थित ढंग से रखना चाहिए, जो वस्तु जिस स्थान पर रखी जाएं, वहाँ उस वस्तु के नाम की प्लेट भी लगानी चाहिए ताकि छात्र उसका नाम पढ़कर समझ सके।
(3) उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुओं, नमूनों एवं मॉडल को आलमारियों में रखना चाहिए, जिनके ऊपर शीशे लगे हों और कुछ चित्र, वस्तुओं के नमूने शो केस (Show Case) में रखने चाहिए। अलमारियों तथा शो-केस में प्रकाश की व्यवस्था भी होनी चाहिए क्योंकि प्रकाश में वस्तुएँ, चित्र एवं नमूने आदि सुन्दर एवं आकर्षक प्रतीत होते हैं।
(4) संग्रहालय में संग्रह को नवीनतम स्वरूप देने के लिए सतत् प्रयास करते रहना चाहिए।
(5) संग्रहालय की व्यवस्था इस प्रकार की होनी चाहिए, जो अपने उद्देश्य की पूर्ति करने, छात्रों को आकर्षित करने एवं उनका मानसिक विकास करने में सक्षम हो।
इतिहास संग्रहालय का महत्त्व / लाभ/ उपयोगिता आवश्यकता
इतिहास संग्रहालय का निम्नलिखित महत्त्व हैं-
(1) संग्रहालय स्कूल की अमूल्य सम्पत्ति है।
(2) किसी देश विशेष का ज्ञान कराने के लिए शिक्षक उस देश से संबंधित विभिन्न वस्तुओं, चित्रों, मानचित्रों एवं क्रिया-कलापों का ज्ञान छात्रों को संग्रहालय से करा सकता है।
(3) इसके उपयोग से शिक्षक के श्रम, समय व शक्ति की बचत होती है।
(4) छात्रों को देश-विदेश की वस्तुएँ, ऐतिहासिक घटनाओं के चार्ट, चित्र एवं मानचित्र आदि देखने को मिल जाते हैं, जिन्हें दूसरे देशों में जाकर देखना संभव नहीं है।
(5) संग्रहालय में विविध प्रकार की ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है, जिससे बालकों के ऐतिहासिक ज्ञान में वृद्धि होती है और उनका मानसिक विकास होता है।
(6) जब छात्र संग्रहालय में बहुत सी वस्तुओं का निरीक्षण करते हैं, तो उनकी निरीक्षण एवं परीक्षण शक्ति का विकास होता है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि संग्रहालयों का इतिहास शिक्षण में विशेष महत्त्व हैं। संग्रहालयों के महत्त्व के संबंध में इण्डिया-1990 में लिखा है – “संग्रहालय सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, तकनीकी, औद्योगिक और अन्य प्रकार की सामग्री के क्षय के विपरीत संरक्षण के लिए निधि हैं और इतिहास के अभिलेखों और भावी संतति के लिए विश्वास बनाए रखते हैं। वे शिक्षा के महत्त्वपूर्ण श्रव्य-दृश्य साधनों के रूप में भी कार्य करते हैं।”
संग्रहालय की सीमाएँ/दोष
संग्रहालय की प्रमुख सीमाएँ/दोष निम्नलिखित हैं-
(1) ऐतिहासिक संग्रहालय की सुविधा कम विद्यालयों में ही होती है क्योंकि इसमें अधिक व्यय की आवश्यकता होती है।
(2) इतिहास के शिक्षक विद्यालय की क्रियाओं में अधिक समय देना पसंद नहीं करते हैं।
(3) छात्र संग्रहालय (Museum) का प्रदर्शन मनोरंजन की दृष्टि से करते हैं। ज्ञान की दृष्टि से महत्त्व नहीं देते हैं।
संग्रहालय के उपयोग में रखी जाने वाली सावधानियाँ
संग्रहालय के उपयोग में रखी जाने वाली सावधानियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) ऐतिहासिक संग्रहालय को इतिहास कक्ष से संबंधित कर देना चाहिए।
(2) ऐतिहासिक संग्रहालय को शिक्षक को एक आदत के रूप में लेना चाहिए। छात्रों को भी वस्तु संग्रह करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएं।
(3) संग्रहालय की व्यवस्था में अन्य शिक्षकों तथा छात्रों की भी सहायता ली जाती है।
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