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उपरिव्ययों का न्यून एवं अधि-संविलयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारण एवं लेखांकन की विधि बताइएँ।
उपरिव्ययों का न्यून एवं अधि-संविलयन (Under And Over Absorption of overheads)- उपरिव्ययों को वस्तुओं पर वास्तविक उपरिव्यय दर के आधार पर या पूर्व निर्धारित उपरिव्यय दर के आधार पर चार्ज किया जाता है। यदि वास्तविक दर का प्रयोग किया जाता है तो उपरिव्ययों की पूरी वसूली की जा सकती है। इस दर की गणना करने के लिए उत्पादन प्रक्रिया के पूरे होने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है अर्थात् लेखांकन अवधि के पश्चात् ही व्यय किये जा सकते है और उपरिव्यय लागतें ज्ञात करने में अनावश्यक विलम्ब हो जाता है। अतः अधिकांश संस्थाएँ पूर्व-निर्धारित उपरिव्यय दरों के आधार पर ही उपरिव्ययों का संविलयन करती है। अतः पूर्व निर्धारित दरों को ज्ञात करने के लिए पूर्व निर्धारित लागतों का पूर्वानुमान आवश्यक हो जाता है।
जब पूर्व निर्धारित उपरिव्यय पर आधारित पूर्व निर्धारित दर का प्रयोग किया जाता है तो संविलयन किये गये उपरिव्ययों की राशि वास्तविक उपरिव्ययों की राशि के बराबर नहीं होती। वास्तविक उपरिव्यय पूर्व-निर्धारण उपरिव्ययों से कम या अधिक हो सकता है। संविलयन किये गये उपरिव्ययों एवं वास्तविक उपरिव्ययों का अन्तर उपरिव्ययों का न्यून या अघि-संविलयन (under or over absorption) हो सकता है।
न्यून- संविलयन (Under Absorption)- यदि संविलयन किये गये उपरिव्ययों की राशि वास्तविक उपरिव्ययों की राशि से कम है तो इसे उपरिव्ययों का न्यून संवलियन कहते हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि वस्तुओं की लागते कम हो जाती है।
अधि-संवलियन (Over Absorption)- यदि संविलयन किये गये उपरिव्ययों की राशि वास्तविक उपरिव्ययों की राशि से अधिक है तो इसे उपरिव्ययों का अधि-संविलयन कहते हैं। इसका प्रभाव यह होता है कि उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
Example
Pre-determined Overhead = Rs. 5 per Machine Hour
Actual Machine hours = 2,000
Actual Overheads = Rs. 12,000
Overhead Absorbed = 2,000 hrs x Rs. 10,000
Under Absorption = 12,000-10,000 = Rs. 2,000
In this example, if the actual machine hours worked were 3.000 hours. then
Overhead Absorbed = 3,000hrs × Rs.5 = Rs.15,000
Actual Overhead (given) = Rs. 12,000
Over Absorption = 15,000-12,000 = Rs. 3,000
न्यून एवं अधि-संविलयन के कारण (Causes for under and over Absorption )
न्यून एवं अधि-संविलयन के निम्न कारण हो सकते हैं-
- उत्पादन की मात्रा का गलत अनुमान,
- उपरिव्ययों का गलत अनुमान,
- मौसमी उतार-चढ़ाव
- उत्पादन क्षमता में अप्रत्याशित परिवर्तन एवं
- उत्पादन की विधियों में परिवर्तन ।
लेखांकन व्यवहार (Accounting Treatment)-
1. लागत लाभ-हानि खाते में हस्तान्तरण (Transfer to Costing profit and Loss Account)- जब उपरिव्ययों का न्यून या अधि-संविलयन की राशि बहुत कम होती है तो पूरक दर की गणना करने की आवश्यकता नहीं होती और ऐसी राशि को सीधे लागत लाभ-हानि खाता में हस्तान्तरित कर दिया जाता है। असामान्य कारणों, जैसे-निष्क्रिय उत्पादन क्षमता, दोषपूर्ण नियोजन इत्यादि के कारण उत्पन्न न्यून संविलयन को भी लागत लाभ-हानि खाता में हस्तान्तरित कर दिया जाना चाहिए।
2. अगले वर्ष के खाते में ले जाना (Carry over to Next year’s Account) इस विधि में उपरिव्ययों के न्यून या अधि-संविलयन की राशि को उपरिव्यय उचन्त खाते (Overhead Suspense Account) में हस्तान्तरित करके अगले वर्ष में संविलयन के लिए हस्तान्तरित कर दिया जाता है। यह विधि युक्तिसंगत नहीं है क्योंकि लागत लेखांकन के सिद्धान्तों के अनुसार एक वर्ष की लागत अगले वर्ष की लागत में ले जाना उचित नहीं है तथा अगले वर्ष की वस्तुओं की लागत में पिछले वर्ष की लागतें सम्मिलित नहीं होनी चाहिए। अतः इस विधि की उपयोगिता सीमित जाती है। इस विधि का प्रयोग तब किया जा सकता है जब व्यापार वर्ष की अवधि एक वर्ष से अधिक हो तथा उपरिव्ययों का निर्धारण दीर्घकालीन अवधि के आधार पर किया जाता है।
3. पूरक दर का प्रयोग (User Supplementary Rate)- यदि न्यून या अधि संविलयित उपरिव्ययों की राशि महत्वपूर्ण है तो इसका प्रयोग समायोजन पूरक उपरिव्यय दर की गणना करके किया जाता है। पूरक दर की गणना करने के लिए न्यून या अधि-संवितयित राशि को वास्तविक आधार से भाग दिया जाता है।
Supplementary Overhead Rate = Under or over absorbed Amount of Overheads / Actual Base
जब न्यून संविलयन होता है तो धनात्मक पूरक दर और अधि-संविलयन की दशा में ऋणात्मक पूरक दर का प्रयोग समायोजन के लिए किया जाता है।
इसमें कोई संशय नहीं कि पूरक दरों से उत्पादन की लागत ठीक प्रकार ज्ञात हो जाती है परन्तु इसमें लागत लेखों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करने के लिए लिपिकीय कार्यों में वृद्धि हो जाती है। इसके अतिरिक्त पूरक दरों का प्रयोग करके सही लागत वहीं ज्ञात की जानी चाहिए जहाँ लागत में कुछ जोड़कर विक्रय मूल्य निर्धारित किया जाता है या जहाँ उत्पादन के स्तर में वर्ष में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है।
संविलयन की वास्तविक तथा पूर्वनिर्धारित दरें (Actual And Per-Deter mined Overhead Absorption Rate)-
1. वास्तविक उपरिव्यय दर (Actual Overhead Rate) – उपरिव्ययों के संविलयन की यह दर वास्तविक उपरिव्यय लागतों पर आधारित होती है। यह दर तभी ज्ञात की जा सकती है जब उपरिव्यय लागतें वास्तविक रूप से ज्ञात कर ली जायें। व्यवसाय की सुविधानुसार वास्तविक उपरिव्यय दर की गणना मासिक, अर्द्धवार्षिक या वार्षिक की जा सकती है। इसकी गणना के लिए अग्रलिखित सूत्र प्रयुक्त होती है।
Actual Overhead Rate = Actual Overhead during the period / Actual base during the period
2. पूर्वनिर्धारित उपरिव्यय दर (Pre-determined Overhead Rate)- पूर्वनिर्धारित उपरिव्यय दर की गणना अनुमानित उपरिव्यय लागतों के आधार पर की जाती है। इसके लिए उपरिव्ययों का पूर्वानुमान का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे ज्ञात करने का सूत्र निम्न प्रकार है-
Predetermined Overhead Rate = Predetermined Overhead during the period / Predetermined base during the period
उपरिव्ययों का संविलयन पूर्व निर्धारित दरों पर क्यों ? (Overheads Are Absorbed on Pre-Determined Rate Why? )
इसके मुख्य कारण निम्न हैं-
- वास्तविक उपरिव्यय दर की गणना व्यय करने के बाद ही की जा सकती है। इससे उपरिव्यय लागतें ज्ञात करने में विलम्ब होता है।
- वास्तविक उपरिव्यय दरें प्रबन्धकीय निर्णय के लिए आधार प्रदान नहीं करतीं।
- वास्तविक उपरिव्यय दरों का प्रयोग टैंडर तथा विक्रय मूल्य की निवेदित दर के लिए नहीं किया जा सकता है।
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