कम्प्यूटर आधारित अनुदेशन विधि से क्या अभिप्राय हैं?
अथवा
कम्प्यूटर आधारित अनुदेशन विधि से क्या आशय हैं इस विधि के शैक्षिक लाभों का वर्णन कीजिए।
मिसुरी विश्वविद्यालय के प्रो. मार्ले एडिगर का मत हैं कि कम्प्यूटर आधारित अनुदेशन से शिक्षण अधिगम परिस्थितियों को बल मिलता हैं साथ ही छात्रों की अभ्यास प्रवृति तथा सीखने की प्रवृति का विकास होता हैं। कम्प्यूटर के प्रयोग से अध्यापक दूसरे छात्रों के लिए समय निकाल सकेगा जो कम्प्यूटर अनुदेशन के अलावा भी कुछ वांछित मार्गदर्शन चाहते हैं, शिक्षार्थी के पुनः सीखने के अनुभव देने में कम्प्यूटर मानव की तरह थकान का अनुभव नहीं करेगा, न ही नैराथ्य का अनुभव करेगा न क्रुद्ध होगा, साथ ही शिक्षार्थी को सही उत्तर देने पर प्रशंसा व पुरस्कार भी कम्प्यूटर के पर्दे पर प्रदर्शित होगा जिससे सीखना गतिशील हो सकेगा इससे सभी प्रकार के विद्यार्थी अपनी ही गति से सीखने के उच्चत्तम स्तर प्राप्त कर सकेंगे। कम्प्यूटर द्वारा समस्या निराकरण का अनुभव भी दिया जा सकता हैं।
संक्षेप में कम्प्यूटर आधारित अनुदेशन विधि (CAIM) के शैक्षिक लाभ निम्नलिखित माने जा सकते हैं-
(i) किसी भी पूर्व अर्जित ज्ञान या कौशल का अभ्यास करने हेतु कम्प्यूटर का प्रयोग अत्यन्त प्रभावी और रोचक होता हैं।
(ii) सभी शिक्षार्थियों को अपनी-अपनी क्षमता और योग्यता अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिलता हैं।
(iii) कम्प्यूटर शिक्षार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का तुरन्त उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को शांत करता हैं जिससे समय की बचत होती हैं।
(iv) कम्प्यूटर शिक्षार्थियों का अनुरूपण (Simulation) और क्रीडन (Gaming) तकनीक द्वारा शिक्षार्थियों को विभिन्न प्रकार से प्रदर्शित करता हैं।
(v) यह शिक्षार्थियों की अधिगम सम्बन्धी उपलब्धि का मूल्यांकन करने में सहायक होता हैं।
(vi) प्रयोगात्मक अध्ययनों में भी संकलित किए गये आंकड़ों की व्याख्या करने और उचित परिणाम निकालने में भी कम्प्यूटर काफी सहायक होता हैं।
कम्प्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन जीवन के सभी क्षेत्रों में बढ़ता जा रहा हैं। शिक्षा में भी इसका अनुप्रयोग अपने देश में आरंभ से ही हो चुका हैं। उच्च शिक्षा में कम्प्यूटर एक विषय के रूप में अनेक विश्वविद्यालयों में स्थान पा चुका हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवम् प्रशिक्षण परिषद् (NCERT) ने विद्यालयी शिक्षा में इसके समावेश हेतु 1983-1984 में एक योजना विद्यालयों में कम्प्यूटर साक्षरता व अध्ययन (Computer Literacy And Studies in Schools-CLASS) आरम्भ की थी जिसके अन्तर्गत कुछ विद्यालयों का चयन कर उसके शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भ-केन्द्र (Resource) Centre) स्थापित हुए। इस योजना से अभी कोई लाभ दृष्टिगत नहीं हो रहा हैं। इस संबंध में प्रो. बीना शाह का यह कथन उल्लेखनीय हैं कि, अभी भी ध्यान कम्प्यूटर पर केन्द्रित हैं। कम्प्यूटर को कक्षा-शिक्षण के उपकरण के रूप में अभी अपनाया नहीं जा सका हैं। स्पष्ट हैं कि हम कम्प्यूटर को शैक्षिक माध्यम नहीं बना पाए हैं यह एक चुनौती हैं। लाभ तो तभी होगा जब हमारे विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कम्प्यूटर का प्रवेश में एक शैक्षिक उपकरण के रूप में हो। सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता और उपलब्धि की समानता अपनी जगह हैं पर हार्डवेयर का विकास भी तो उतना ही जरूरी हैं।