पुनर्जागरण के परिणामों की विवेचना कीजिए?
पुनर्जागरण के परिणाम बहुत ही महत्वपूर्ण एवं दूरगामी सिद्ध हुए। इसके कारण यूरोपीय जीवन में आमूल चूल परिवर्तन आ गया। मध्यकालीन मान्यताओं एवं अन्धविश्वासो का अन्त हुआ और आधुनिक युग का आरम्भ हुआ। इसके कुछ महत्वपूर्ण परिणाम व महत्व इस प्रकार हैं।
(i) विचार स्वतन्त्रता और वैज्ञानिक दृष्टिकोणः- पुनर्जागरण ने लोगों को चिन्तन की स्वतन्त्रता प्रदान की जिससे विचार स्वतन्त्रता का विकास हुआ। इसके पूर्व लोगों को धर्मशास्त्र में जो कुछ सच्चा झूठा लिखा हुआ था अथवा धर्माधिकारी लोग जो कुछ बतलाते थे उसे सच मानना पड़ता था। उन्हें स्वतन्त्रतापूर्वक चिन्तन एवं विचार करने की सुविधा अथवा छूट प्राप्त नहीं थी। इससे लोगों की बुद्धि कुण्ठित हो गई और प्रगति का मार्ग अवरूद्ध हो गया। पुनर्जागरण में तर्क का महत्व बढ़ा। जो वस्तु तर्क एवं विवेक की कसौटी पर खरी उतरे उसी में विश्वास करने की प्रवृत्ति बढ़ी। इसी से वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ जिसमें निरीक्षण अन्वेषण जाँच और परीक्षण पर जोर दिया गया। इससे लोग सत्य को पहचाने में समर्थ हुए।
(ii) भौतिकवादी दृष्टिकोण का विकासः तर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के द्वारा मनुष्य प्रकृति के रहस्यों को समझने में सफल हुआ। प्रकृति में विद्यमान भक्ति का उपयोग मानव जीवन को सुखी एवं सम्पन्न बनाने के लिए किया जाने लगा। अब धर्म और देवताओं से ध्यान हट गया। मानव जीवन का महत्व बढ़ गया। पुनर्जागरण काल के विद्धान एवं वैज्ञानिक मानववादी थे। उनकी मनोवृत्ति विवेचनात्मक थी अब इस मानव संसार को अधिक सुन्दर बनाने का प्रयत्न किया जाने लगा। पुनर्जागरण काल के विद्धान एवं वैज्ञानिक मानववादी थे। परिणामस्वरूप अधिक आकर्षक नगरों और सुविधाजनक तथा आराम देह घरों का निर्माण किया जाने लगा। स्त्रियों का जीवन भी अधिक सुखी और आकर्षक बन गया। उन्हें भी अब पढ़ने लिखने का अवसर मिला। इस प्रकार भौतिकवादी दृष्टिकोण के विकास ने आधुनिक युग की नीवं रखी।
(iii) राष्ट्रीयता का विकासः- पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति का जो सिलसिला शुरू हुआ उससे लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। लोगों में अपने-अपने राष्ट्र की प्रगति और शक्ति के विकास में रूचि बढ़ने लगी। देश व भाषाओं के विकास ने राष्ट्रीयता को आगे बढ़ने में अधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन भाषाओं के उदय ने प्रान्तीयता की भावना को प्रभावहीन बनाने में भी सक्रिय सहयोग दिया। व्यापार वाणिज्य के विकास तथा उपनिवेशों की स्थापना और साम्राज्यवादी विस्तार ने राष्ट्रीयता की भावना को और भी मज़बूत बना दिया। अब प्रत्येक राष्ट्र के निवासी अपने राष्ट्र को अधिक समृद्ध और शक्ति सम्पन्न बनाने की दिशा में प्रयत्नशील हुए।
(iv) धर्म सुधार की पृष्ठभूमि का निर्माण: पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप जे बौद्धिक विकास हुआ उसका सर्वाधिक प्रभाव धार्मिक क्षेत्र पर पड़ा। धर्म युद्धो ने पो की सत्ता और प्रभाव को पहले ही प्रबल आघात पहुंचा दिया था। पुनर्जागरण काल कं नई खोज तथा वैज्ञानिक सिद्धान्तो ने प्राचीन धर्म ग्रन्थों के बहुत से सिद्धान्तो और परम्पराग धार्मिक विश्वासों को भी हिला दिया जिससे लोगों को धार्मिक बन्धनों से मुक्त होने का अवसर मिला।
नवयुग की नवीन विचारधारा से प्रेरित लोगों ने धर्म के क्षेत्र में व्यापक स्वेच्छाचारिता एवं कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठानी शुरू कर दी। कागज और मुद्रण के कारण धर्म का गूढ़ ज्ञान जो अब तक केवल कुछ व्यक्तियों के मस्तिष्क में ही समाया हुआ था अब सर्वसाधारण की पहुंच में आ गया था। बाइबिल एवं अन्य धार्मिक ग्रन्थों का लोक भाषाओं में अनुवाद किया गया जिसके परिणामस्वरूप अनेक आडम्बरों तथा मिथ्या विश्वासों से लोगों का विश्वास उठ गया और वे सुधारों की मांग करने लगे। इससे धर्म सुधार आन्दोलन को बहुत बल मिला। वस्तुत धर्म सुधार आन्दोलन पुनर्जागरण की देन था।
(v) शिक्षा में उन्नत पाठयक्रम का समावेशः पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप स्कूलों तथा विश्वविद्यालय के पाठयक्रमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। यूनानी ओर लैटिन भाषाओं के अध्ययन को अब प्रमुख स्थान दिया जाने लगा। तब से लेकर आज तक सीजर, वर्जिल, होमर, शेक्सपियर, अरस्तू आदि विद्वानों की रचनाओं का गम्भीर अध्ययन अध्यापन चला आ रहा हैं। शिक्षा के क्षेत्र में आत्म निरोध के स्थान पर आत्म उद्गार के आदर्शों को स्वीकार किया गया। विज्ञान एवं गणित के अध्ययन अध्यापन के साथ सामाजिक विज्ञान के विषयों पर भी पर्याप्त जोर दिया जाने लगा।
(vi) अन्य परिणाम: पुनर्जागरण ने यूरोप के लोगो में प्राचीन संसार के प्रति जिज्ञासा की भावना उत्पन्न की धार्मिक अन्ध विश्वासों के स्थान पर तर्क और बुद्धि को प्रोत्साहित किया। इससे मानव जीवन पर अब धर्म का उतना प्रभाव नहीं रहा जितना मध्यकाल में था। पुनर्जागरण का एक परिणाम देशज भाषाओं का तथा उनके साहित्य का विकास हुआ। पुनर्जागरण ने इतिहास के अध्ययन को भी प्रभावित किया। अब इतिहास का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाने लगा। कला कौशल की उन्नति में भी पुनर्जागरण का सहयोग रहा था। औद्योगिक क्रान्ति की भी पृष्ठभूमि इसी के साथ तैयार होने लगी थी भौगोलिक अनुसन्धानों के परिणामस्वरूप मानव की भौगोलिक जानकारी का भी विस्तार हुआ। अमेरिका, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीप जो अब तक अज्ञात थे अब प्रकाश में आ गये तथा उन पर बस्तियों तथा उपनिवेशों की दौड़ शुरू हो गयी। इससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वाणिज्य तथा उद्योग धन्धों का विकास शुरू हुआ तथा बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ था।
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