भूमि निर्वाह नीति की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
Contents
भूमि निर्वाह नीति की विशेषताएँ
- छात्रों को अपने मन की भावानाओं और संवेगों को व्यक्त करने का मौका मिलता है।
- इसके प्रयोग के समय छात्रों को मजा आता है (उनका मनोरंजन भी होता है।)
- छात्रों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन एवम् विकास होता है।
- छोटी कक्षाओं में भी उपयोगी है।
- यह मानवीय संबंधों से संबंधित विधि है।
- इसके द्वारा निम्न तथा मध्यम स्तर का ज्ञान, बोध तथा प्रयोग करने की क्षमता प्रभावित होती है।
- इससे संवेगों की रचना, शारीरिक अभिव्यक्ति तथा श्लाघात्मक विकास में सहायता मिलती है।
- छात्राध्यापक के जीवन से संबंधित कौशल का विकास अनुभवो द्वारा किया जाता
- इसके द्वारा वांछित उद्देश्य ज्ञानात्मक तथा सामाजिक प्राप्त किये जाते हैं।
- शिक्षक व्यवहार की समीक्षा तथा उसमें सुधार करना संभव है।
- यह इतिहास, साहित्य, नागरिकशास्त्र तथा विज्ञान आदि विषयों आदि विषयों में बहुत महत्वपूर्ण शिक्षण नीतियों में से है।
- यह अनुभव की नकल होती है जिससे वास्तविक बनाया जाता है।
सीमाएँ
- यह औपचारिक विधि है
- शिक्षण संस्थओं में छोटे बच्चों के साथ अधिक उपयोगी है।
- छात्र कृत्रिम वातावरण में कार्य करते है, जिसे वास्तविक रूप देना पूर्ण रूप से संभव नहीं है।
- यह विशिष्ट शिक्षण कौशलों का विकास करने में असमर्थ रहती है।
सुझाव
- इस विधि में छात्रों को केवल परिस्थिति के विषय में विभिन्न सूचनाएँ दी जाती हैं और इसके बाद छात्रों को वार्तालाप करने तथा विषय को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।
- इस विधि के अंतरंग सिदांतों तथा विधि को भली-भाँति समझ लेना चाहिए।
- वास्तविक शिक्षण कार्य प्रारंभ करने से पूर्व इसके अभ्यास के लिए अवसर देने चाहिए।
- पात्र अभिनय के अंत में छात्रों और शिक्षक, दोनों को मिलकर कार्य की समीक्षा करनी चाहिए और सभी पक्षों पर विस्तृत वार्तालाप किया जाना चाहिए।
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