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मापन की प्रमुख विशेषताएँ एवं सीमाएँ
मापन की विशेषताएँ
- मापन में संख्यात्मक ज्ञान (जानकारी) का होना आवश्यक होता है।
- मापन एक आधुनिक प्रमाणीकृत विधि है।
- यह मूल्यांकन का ही एक अंग होती है।
- मापन में यह ज्ञात कर सकते हैं वस्तु की मात्रा कितनी (ग्राम, किलो, फीट, इंच, मीटर) हैं।
- मापन में आँकड़ों के प्रयोग से वस्तु का मात्रात्मक माप शीघ्र हो जाता है।
इस प्रकार मापन एक मात्रात्मक (संख्यात्मक) परीक्षण की एक विधि है। इसमें कितना, कितनी से सम्बन्ध होता है। जैसे बालक की आयु कितनी है तथा वह कौनसी कक्षा में पढ़ता है। उसकी आयु के अनुसार कक्षा का स्तर उचित है या नहीं ? वास्तविक आयु और मानसिक आयु में समानुपात है या नहीं ? आदि की जानकारी की जाती है। मापन का दैनिक जीवन में भी महत्त्व है। यह हमें बताता है कि आज के भाव (मूल्य) क्या रहे। तापमान कितनी डिग्री सेल्सियस रहा। शेयर बाजार का सूचकांक कितना नीचे अथवा ऊपर रहा। ये सब बातें मापन ही बतलाता है। बालक की लम्बाई क्या है ?
लम्बाई के अनुसार वजन कितना है ? आदि तथ्यों को आँकड़ों (10, 20, 50, 100) आदि में व्यक्त करता है। इसमें वस्तु के गुणों की पहचान करके उन्हें संख्यात्मक रूप में के परिभाषित करते हैं। बालक के व्यवहार का मापन करते हैं। उसकी मानसिक आयु, बुद्धि उपलब्धि आदि भी ज्ञात की जाती है।
परीक्षा परिणाम को भी आँकड़ों (संख्यात्मक) रूप में प्रस्तुत किया जाता है। कक्षा में कौन-सा स्थान रहा यह भी सुनिश्चित किया जाता है। अतः मापन एक किसी वस्तु के गुणों का निरीक्षण करके मात्रात्मक स्वरूप प्रदान करता है। मापन तथा मूल्यांकन में घनिष्ठ सम्बन्ध है। मापन कर लेने से व्यक्ति (बालक) का मूल्यांकन करना सरल हो जाता है।
मापन शिक्षा में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने के साथ ही कुछ सीमायें भी रखता है। वे निम्नलिखित हैं-
- मापन में बालक की आवश्यकताओं (रुचि, अभिरुचि, योग्यता आदि) का ध्यान नहीं रखा जाता।
- इससे सम्पूर्ण शिक्षण प्रक्रिया का मूल्यांकन (परीक्षण) करना संभव नहीं है।
- मापन अप्रत्यक्ष मूल्यांकन विधि है। अतः वैधता भी संशय में रहती है।
- मापन में मात्र यही ज्ञात किया जा सकता है कि वस्तु की मात्रा कितनी है? यह बताने में मापन असमर्थ रहता है, क्यों है ? निदान तथा उपचार नहीं करता।
- यह सीमित क्षेत्र में ही प्रयुक्त हो सकता है जिससे एकांगी मापन ही हो पाता है। सम्पूर्ण परीक्षण नहीं कर पाता है।
IMPORTANT LINk
- समस्या समाधान विधि के चरण
- भूमि निर्वाह नीति की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- शिक्षण योजना पर टिप्पणी लिखिये।
- भूमि निर्वाह नीति से आपका क्या अभिनय है? इसके चरणों को लिखिये।
- इकाई योजना से आपका क्या अभिप्राय है? समझाइये।
- वार्षिक योजना तैयार करने के चरणों को संक्षेप में लिखिये।
- राजनीति विज्ञान में समस्या समाधान विधि द्वारा समस्या चयन सम्बन्धी कौनसी सावधानियाँ रखी जानी चाहिए?
- सतत्- आन्तरिक मूल्यांकन एवं सत्रान्त-बाह्य मूल्यांकन की तुलना कीजिये ।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की संकल्पना को विकसित कीजिये।
- भूगोल शिक्षण में मूल्यांकन की विशेषताएँ
- कक्षा-कक्ष सहभागिता का आंकलन करने की मुख्य कसौटी किस प्रकार की हो सकती है?
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के गुणों की विवेचना कीजिये।
- इकाई योजना के सोपानों को लिखिये।
- इकाई के प्रकारों का उल्लेख कीजियें।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की आवश्यकता को बताइये।
- पाठ योजना के प्रकार समझाइये।
- पाठ योजना की आवश्यकता | lesson plan required in Hindi
- दृष्टान्त सहित उदाहरण नीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रोजेक्ट विधि के अर्थ एवं स्वरूप | Meaning and nature of project method in Hindi
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