मौसम जलवायु और ऋतु में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
किसी दिये हुए स्थान और समय पर वायु की दशा को मौसम कहते हैं। मौसम निश्चित स्थान में एक नियत समय की वायु मण्डलीय अवस्था होती है। मौसम के अध्ययन के लिए ताप, दाब, आर्द्रता, पवन की दिशा व वेग, आकाश में मेघ, प्रकाश का अध्ययन आवश्यक है। इन तत्वों को मौसम के तत्व कहते हैं। मौसम के ये तत्व प्राय: बदलते रहते हैं। कुछ स्थानों पर यह प्रत्येक घण्टे या कुछ घण्टों में बदलते है परन्तु कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां इनमें अधिक समय तक कोई परिवर्तन नहीं होता है। मौसम के तत्वों की संख्या सीमित नहीं है। मौसम के तत्वों में आवश्यकतानुसार वृद्धि या कमी भी की जा सकती है। उदाहरण के लिए मौसम के तत्वों में विकिरण, वाष्पन की मात्रा, हिमपात आदि को भी सम्मिलित किया जा सकता है।
जलवायु को अंग्रेजी में Climate कहते हैं। इस शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के क्लाइमा (Klima) शब्द से हुई है। क्लाइमा का अर्थ है सूर्य का कोंण अर्थात् दिन-रात की अवधि से माना जाता है। अरस्तू ने क्लाइमा शब्द का प्रयोग अक्षांश पेटियों के लिए किया जिनके सम्मिलित प्रभाव से मौसम बनता है। अतः स्पष्ट है कि क्लाइमेटोलोजी उस विज्ञान को कहते हैं जिसके द्वारा मौसम सम्बन्धी अध्ययन किये जाते हैं। यह शब्द प्रत्यक्ष या परोक्षरूप में जलवायु प्रक्रियाओं को सम्मिलित किए हुए है। मौसम की किसी साधारणीकृत संयुक्त अवस्था को जलवायु कहते हैं। आस्टिन मिलर के अनुसार, ‘जलवायु मौसम की औसत दशाएँ होती हैं जो एक दीर्घ काल (15 से 25 वर्ष का औसत) के निरीक्षण का परिणाम होती है। जलवायु एक औसत मौसम है। जिन दशाओं द्वारा जलवायु नियंत्रित होती है उनको जलवायु के कारक या जलवायु के नियंत्रक कहते हैं। ये नियंत्रक अक्षांश, देशान्तर, ऊँचाई, वायु दिशा, जल और स्थल का वितरण आदि है।
ऋतु मौसम तथा जलवायु दशाओं के आधार पर निर्धारित होती है। ऋतु उस अवधि की द्योतक होती है जिसमें जलवायु सम्बन्धी दशाएँ औसत रूप में समान रहती है। किसी भी ऋतु में मौसम तो परिवर्तनशील रहता है। विद्वानों ने प्रायः वर्ष को बसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शीत ऋतुओं में विभक्त किया है।
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