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व्यय को परभाषित कीजिए तथा प्रत्यक्ष व्यय एवं अप्रत्यक्ष व्यय का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। अथवा प्रत्यक्ष व्यय तथा अप्रत्यक्ष व्यय में विभेद कीजिए।
व्यय का अर्थ- लागत के तत्व के रूप में ‘कार्य’ के अन्तर्गत सामग्री व श्रम के अतिरिक्त अन्य खर्चे शामिल किये जाते हैं। आई.सी.एम.ए. ने इसकी परिभाषा दी है-“एक उपक्रम को प्रदत्त सेवाओं की लागत तथा स्वयं की सम्पत्ति के उपयोग की वैचारिक लागत।”
व्यय’ दो प्रकार के होते हैं-
- प्रत्यक्ष व्यय
- अप्रत्यक्ष व्यय
1. प्रत्यक्ष व्यय– “वे व्यय हो कि लागत केन्द्रों अथवा लागत इकाइयों से सम्बन्धित हों तथा जिनको आबन्टित किया जा सके।” -आई.सी.एम.ए.
प्रत्यक्ष व्यय वे व्यय हैं जो कि किसी एक विशेष उपकार्य, प्रक्रिया या कार्य के लिए ही किये जाते हैं तथा इन व्ययों का किसी अन्य उपकार्य, प्रक्रिया आदि से सम्बन्ध नहीं होता है। अतः ये व्यय प्रत्यक्ष रूप से उसी उपकार्य, प्रक्रिया आदि पर डाले जाते हैं जिसके लिए वे विशेष तौर से किये गये हैं, अतः उन्हें प्रत्यक्ष व्यय कहते हैं। इनको ‘प्रभार्य व्यय’ (Chargeable expenses), ‘प्रक्रिया व्यय’ (Process expenses), ‘मूल लागत व्यय’ (Prime cost expenses), अथवा ‘उत्पादनिक व्यय’ (Productive expenses) भी कहते हैं। इसके उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- एक विशेष उपकार्य या प्रक्रिया हेतु क्रय की गयी सामग्री पर दिया गया रेलवे किराया, गाड़ी-भत्ता आदि,
- एक विशेष ठेका के लिए एक विशेष प्लाण्ट, मशीन व औजारों का किराया,
- एक विशेष उपकार्य पर प्रयुक्त एक मशीन के चलाने की लागत,
- एक खान के लिए दिया जाने वाला अधिकार-शुल्क (Royalty),
- एक विशेष उपकार्य या कार्य आदेश के लिए विशेष नमूने (Patterns), डिजाइन या योजनओं की लागत;
- एक विशेष कार्य आदेश से सम्बन्धित अनुसन्धान व प्रयोगात्मक व्यय;
- एक विशेष कार्य के लिए नियुक्त सर्वेक्षक व शिल्पकार आदि का शुल्क, आदि।
2. अप्रत्यक्ष व्यय- “वे व्यय जिनको लागत केन्द्रों अथवा लागत इकाइयों पर आबन्टित नहीं किया जा सके, वरन् अभिभाजित किया जा सके, तथा उनके (लागत केन्द्रों व इकाइयों) द्वारा अवशोषित किया जा सके।” -आई. सी. एम. ए.
वे व्यय जो केवल किसी एक विशेष कार्य से ही सम्बन्धित नहीं होते परन्तु सामान्यतया सभी कार्यों से सम्बन्धित होते हैं और इसलिए सभी कार्यों को एक उचित आधार पर वहन करने पड़ते हैं, अप्रत्यक्ष व्यय कहलाते हैं। ये व्यय अप्रत्यक्ष सामग्री व अप्रत्यक्ष श्रम के अतिरिक्त होते हैं। अप्रत्यक्ष व्ययों में निम्न प्रकार के व्यय सम्मिलित किये जाते हैं- (i) कारखाना व्यय, (ii) कार्यालय एवं प्रशासनिक व्यय, (iii) बिक्री व्यय, तथा (iv) वितरण व्यय ।
प्रत्यक्ष व्यय एवं अप्रत्यक्ष व्यय में अन्तर
प्रत्यक्ष व्यय एवं अप्रत्यक्ष व्यय में निम्नांकित अन्तर है-
- प्रत्यक्ष व्यय लागत केन्द्रों से सम्बन्धित है, अप्रत्यक्ष व्यय सभी कार्यों से संबंधित होते हैं।
- प्रत्यक्ष व्यय विशेष प्रक्रिया, उपकार्य, ठेका के लिए होता है, अप्रत्यक्ष व्यय, बिक्री व्यय, वितरण व्यय होते हैं।
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