राजनीति विज्ञान में समस्या समाधान विधि द्वारा समस्या चयन सम्बन्धी कौनसी सावधानियाँ रखी जानी चाहिए?
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समस्या चयन संबंधी सावधानियाँ
शिक्षण की ‘समस्या विधि’ किसी न किसी समस्या पर केन्द्रित होती हैं अतः यह स्वाभाविक है कि इसकी सफलता या असफलता उस समस्या पर निर्भर करती हैं जिसे विद्यार्थियों के समाधान के लिये चुना जाता है। समस्या ऐसी होनी चाहिए जिसमें विद्यार्थियों की स्वाभाविक रुचि हो और जो उन्हें अधिकाधिक क्रियात्मक एवं उपयोगी ज्ञान प्राप्त करने में सहायक हो। कहने का तात्पर्य यह है कि ‘समस्या’ में अधिकाधिक शैक्षणिक उपयोगितायें भरी होनी चाहिए।
समस्या का चयन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
1. समस्या चुनौतिपूर्ण होनी चाहिए
समस्या ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को सोचने के लिये चुनौती दे; जो उनके चिन्तन को प्रेरित करें और जिसके समाधान के लिये वे वांछित सामग्री तथा तथ्यों को एकत्रित एवं संगठित करने के लिये उत्सुक हो उठे।
2. समस्या विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुकूल होनी चाहिए
समस्या के प्रति विद्यार्थियों की स्वाभाविक रुचि जाग्रत करने के लिये यह आवश्यक हैं कि वह उनकी मानसिक एवं बौद्धिक आवश्यकताओं तथा क्षमताओं के अनुकूल हों। ऐसी समस्या ही उन्हें उसके समाधान के लिये प्रेरित करती हैं।
3. समस्या का सम्बन्ध मनुष्य की बुनियादी आवश्यकताओं से होना चाहिए
मनुष्य की बुनियादी आवश्यकताओं के प्रति विद्यार्थियों को सचेत करना ‘सामाजिक अध्ययन शिक्षण’ का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जरूरी हैं कि ‘समस्या विधि’ में ऐसी समस्या का चुनाव किया जाये जो मनुष्य की बुनियादी आवश्यकताओं के साथ सम्बन्धित हो ।
4. समस्या का स्वरूप निश्चित होना चाहिए
अस्पष्ट तथा अमूर्त समस्या विद्यार्थियों के लिये रोचक नहीं होती है। ऐसी समस्या का समाधान उनकी बौद्धिक एवं मानसिक परिधि के बाहर होती है। समस्या सुस्पष्ट, सुनिश्चित, एवं सुपरिभाषित होनी चाहिए। ऐसी समस्या के समाधान ढूंढ़ने के प्रयास में विद्यार्थियों को निश्चित लक्ष्य पर पहुँचने की अनुभूति बनी रहती हैं और वे पूरी लगन तथा रुचि के साथ समाधान तक पहुँचने का प्रयास करते रहते हैं। सुनिश्चित समस्या निरन्तर प्रयास को प्रेरित करती है।
5. समाधान भी निश्चित होना चाहिए
ऐसी समस्या का चुनाव करना चाहिए जिसका कोई निश्चित समाधान होना हो। उन्हें अनुभव होते रहना चाहिए कि वे किसी निश्चित निष्कर्ष की ओर बढ़ रहे है। विभिन्न कौशलों का वांछित प्रयोग करते हुए अपने सक्रिय चिन्तन द्वारा विद्यार्थी जब निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचते हैं तो अध्यापक को अपने शिक्षण की सफलता पर और विद्यार्थियों को अपनी उपलब्धियों पर जिस आनन्द की अनुभूति होती है वह सतत् प्रेरणा का स्रोत बन जाती है।
6. समस्या प्राप्त साधनों के अनुकूल होनी चाहिए
समस्या समाधान में विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की सामग्री की आवश्यकता होती है। यदि वांछित सामग्री प्राप्त न हो तो समस्या में उनकी रुचि शिथिल पड़ जाती है। यदि सामग्री सुविधापूर्वक प्राप्त हो तो समाधान ढूंढने में उनकी उत्सुकता कई गुना बढ़ जाती है। यह उत्सुकता सीखने सिखाने की प्रक्रिया को रोचक एवं प्रेरक बना देती है। अतः समस्या का चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चुनी हुई समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिये आवश्यक सामग्री सुविधापूर्वक उपलब्ध हो ।
7. समस्या रुचियों के विस्तार में सहायक होनी चाहिए।
समस्या ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि करने तथा उनकी रुचियों को विस्तृत करने में सहायक हो अर्थात् अपने आप में पूर्ण होने पर भी समस्या द्वारा नये ज्ञान तथा नई अनुभूतियों के द्वार खुलने चाहिए।
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