सम्प्रत्यय के प्रकारों की विवेचना कीजिए।
सम्प्रत्यय के प्रकार – सामान्यतः सम्प्रत्यय के दो प्रमुख प्रकार हैं- कृत्रिम सम्प्रत्यय तथा स्वाभाविक सम्प्रत्यय
( 1 ) कृत्रिम सम्प्रत्यय – कृत्रिम सम्प्रत्यय वह सम्प्रत्यय है जिसे नियमों (Rules) या गुणों को सेट द्वारा स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जा सकता है, उदाहरण के तौर पर आयताकार वह है जिसकी आमने-सामने की भुजायें बराबर हो या वर्ग वह जिसकी चारों भुजायें बराबर होती हैं।
(2) स्वाभाविक सम्प्रत्यय – स्वाभाविक सम्प्रत्यय ऐसे सम्प्रत्यय को कहा जाता है जिसके कोई स्पष्ट परिभाषिक गुण या सीमायें इत्यादि नहीं होते, स्वाभाविक सम्प्रत्यय का आधार एक आदर्श होता है, इस आदर्श का निर्माण व्यक्ति अपनी गत अनुभूतियों के आधार पर करता है और कोई भी नया पद जो इस श्रेणी के योग्य है, की तुलना व्यक्ति अपनी गत अनुभूतियों के आधार पर करता है यदि गत अनुभवों के आधार पर समझता है कि अमुक पद को इस श्रेणी या आदर्श के अन्तर्गत रखना चाहिये, तो उसे वह उस श्रेणी के सम्प्रत्यय में शामिल कर लेता है जैसे- वह जानता है कि साड़ी, कमीज, पेन्ट इत्यादि वस्त्रों के अन्तर्गत आते हैं, क्योंकि इनकी अपनी कुछ विशेषतायें हैं, यदि उसके सामने बेडशीट आती है तो वह अपने गत अनुभवों के आधार पर तय करेगा कि उसे वह वस्त्र सम्प्रत्यय के अन्तर्गत रखे या नहीं रखें।
इन दोनों सम्प्रत्ययों के अतिरिक्त सम्प्रत्यय के दो और विशेष प्रकार हैं- साधारण सम्प्रत्यय तथा जटिल सम्प्रत्यय
(i) साधारण सम्प्रत्यय – इसकी एक ही विशेषता होती है, जैसे लाल, पीला, हरा रंग इत्यादि
(ii) जटिल सम्प्रत्यय – यह वह सम्प्रत्यय है जिनकी दो या दो से अधिक विशेषतायें होती हैं, जैसे- काला कुत्ता, पीला बल्ब आदि, जटिल सम्प्रत्यय को पाँच भागों में बाँटा गया है-
(a) समुच्चय बोधक सम्प्रत्यय – जब किसी वस्तु की दो या दो से अधिक विशेषताओं को जोड़ कर कोई सम्प्रत्यय बनता है, तो वह मुच्चयबोधक सम्प्रत्यय कहलाता है, जैसे- चार पैर, एक पूँछ तथा भौंकना आदि तीनों विशेषताओं का मनन करने पर कुत्ता सम्प्रत्यय का बोध होता है,
(b) वियोजक सम्प्रत्यय – वस्तुओं की कई विभिन्नताओं के बावजूद भी कोई एक विशेषता ऐसी होती है जिसके कारण उसे एक वर्ग में रखा जाता है, जैसे- गाय, भैंस, बकरी तीनों अलग-अलग जानवर हैं, इनकी विशेषतायें भी अलग-अलग हैं, परन्तु इस विभिन्नता के बाद भी इनमें एक ऐसी विशेषता है जो समान है जिसके आधार पर इन्हें एक वर्ग दुधारू पशु की श्रेणी में रखते हैं, यहाँ दुधारू जानवर का सम्प्रत्यय एक वियोजक सम्प्रत्यय का उदाहरण है-
(c) सम्बन्धात्मक सम्प्रत्यय – जब विशेषताओं के बीच सम्बन्धों के आधार पर जो सम्प्रत्यय बनते हैं उसे सम्बन्धात्मक सम्प्रत्यय कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर छोटा, बड़ा, लम्बा, मोटा, नजदीक, दूर आदि सम्प्रत्यय संबंधात्मक सम्प्रत्यय हैं, जैसे तारे बहुत ‘छोटे’ दिखायी देते हैं, यहाँ छोटे एक सम्बन्धात्मक सम्प्रत्यय का उदाहरण है।
(d) प्रतिबंधित सम्प्रत्यय – प्रतिबंधित सम्प्रत्यय से अर्थ ऐसे सम्प्रत्यय से है जो – ‘अगर’, ‘मगर’, ‘यदि’, ‘तब’ जैसे शब्दों के साथ जुड़े रहते हैं, जैसे यदि कॉलेज नहीं गये तो नाम कट जायेगा।
(e) द्विप्रतिबंधित सम्प्रत्यय – इस प्रकार के सम्प्रत्यय में दोहरी शर्त वाले वाक्य – होते हैं, जैसे- कालित को सम्प्रत्यय तभी कहा जायेगा जब वहाँ कम से कम 5,000 विद्यार्थी हों तथा 100 अध्यापक हो।
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