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सामग्री की हानि या क्षय से क्या तात्पर्य है? ये कितने प्रकार के होते हैं?

सामग्री की हानि या क्षय से क्या तात्पर्य है? ये कितने प्रकार के होते हैं?
सामग्री की हानि या क्षय से क्या तात्पर्य है? ये कितने प्रकार के होते हैं?
सामग्री की हानि या क्षय से क्या तात्पर्य है? ये कितने प्रकार के होते हैं? क्षय के लेखांकन की विधि बताइए।

क्षय का आशय- किसी एक वस्तु के निर्माण में कितनी सामग्री प्रयोग की जाती है, वस्तु के निर्माण हो जाने पर सामग्री की वह मात्रा कम हो जाती है क्योंकि कुछ सामग्री क्षय हो जाती है, कुछ सामग्री काट-छाँट के कारण कम हो जाती है, कुछ विकृत हो जाती है तो कुछ दोषपूर्ण हो जाती है। सामग्री की इस प्रकार की हानि दो प्रकार की हो सकती है- (1) दृश्य, तथा (2) अदृश्य ।

दृश्य हानि वह है जो आँख से देखी जा सके और इसकी उपस्थिति को अनुभव किया जा सके। परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि समूची दृश्य हानि को बटोरा जा सके, प्रयोग में लाया जा सके अथवा सभी को बेचा जा सके।

अदृश्य हानि वह है जो कि सामग्री का वजन कम हो जाने के कारण होती है, जैसी कि नमी सूख जाने के कारण वजन कम हो जाय।

क्षय के प्रकार

क्षय दो प्रकार का होता है- (1) सामान्य क्षय, (2) असामान्य क्षय

सामान्य क्षय (Normal Wastage)— यह क्षय वह है जो कि उत्पादन की प्रक्रिया में होना स्वाभाविक है, अर्थात् जिस क्षय की कल्पना व गणना पहले से ही की जा सकती है। अनुभव के आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि उत्पादन में कितने प्रतिशत सामान्य क्षय होगा।

असामान्य क्षय (Abnormal Wastage)– असामान्य क्षय वह है जो कि उत्पादन प्रक्रिया में अस्वाभाविक ढंग से हुआ है। सामान्य क्षय से यदि अधिक क्षय होता है तो वह आधिक्य असामान्य क्षय है। यह क्षय प्रबन्धकों के गलत नियोजन, अवैधानिक ढंग से कार्य करना, प्राकृतिक प्रकोप आदि के फलस्वयप होता है।

क्षय का लेखांकन

आमतौर पर क्षय का कोई मूल्य नहीं होता है। यदि उसको बेचने से कोई मूल्य प्राप्त होता है तो उससे उत्पादन क्रेडिट कर दिया जाता है; शेष सामान्य क्षय की हानि उत्पादन को वहन करनी पड़ती है। असामान्य क्षय की हानि परिव्यय लाभ-हानि खाते को ले जायी जाती है। यदि 200 इकाइयों की लागत 1,800 रु. है, यानि प्रति इकाई मूल्य 9 रु. है और सामान्य क्षय 10% है जिसका कोई प्राप्त मूल्य नहीं है तो क्षय के पश्चात् 180 इकाइयों को ही 1,800 रु. की लागत वहन करनी पड़ेगी और प्रति इकाई मूल्य 10 रु. हो जायेगा।

यदि यही हानि असामान्य प्रकृति की होती तो उत्पादन को 9 रु. प्रति इकाई से 180 x 9 = 1,620 रुपये से डेबिट किया जाता है और शेष 20 इकाइयों के मूल्य 20 x 9 = 180 रु. को परिव्यय लाभ-हानि खाते में दिखाया जाता है।

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Anjali Yadav

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