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सामाजिक अध्ययन की पृष्ठभूमि | Backgrounds of Social Studies in Hindi

सामाजिक अध्ययन की पृष्ठभूमि | Backgrounds of Social Studies in Hindi
सामाजिक अध्ययन की पृष्ठभूमि | Backgrounds of Social Studies in Hindi

सामाजिक विज्ञान या सामाजिक अध्ययन की पृष्ठभूमि का विवेचन कीजिये।

सामाजिक अध्ययन की पृष्ठभूमि (Backgrounds of Social Studies)

सामाजिक विज्ञान की पृष्ठभूमि के बारे में हम इस प्रकार से जान सकते हैं-

(1) ब्रिटेन में 19वीं शताब्दी के मध्य “सामाजिक विज्ञान” पद ( term) का प्रचलन हुआ, जबकि विभिन्न विषयों के विद्वानों के एक समूह ने सामाजिक घटनाक्रम के अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग करने को प्रोत्साहित करने का प्रयत्न किया और इसके लिए 1857 में उन्होंने ‘National Association for the Promotion of Social Science’ की स्थापना की। यह संगठन कम समय चला और इसका प्रभाव कम रहा, लेकिन इसने 1865 में ‘American Social Science Association’ की स्थापना के लिए एक नमूने का कार्य किया है।1

( 2 ) 19 वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में इंग्लैण्ड और फ्रांस के समाजशास्त्रियों ने यह आशा व्यक्त की कि नव-विकसित विषय समाजशास्त्र (Sociology) (जो 1838 में फ्रांसीसी दार्शनिक आगस्ट कॉम्टे की देन था) ही प्रमुख सामाजिक विज्ञान का रूप धारण कर लेगा और इतिहास, अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र इसमें समा जायेंगे। यह विचार अन्य विषयों के लोगों को पसंद नहीं आया।

(3) 20 वीं शताब्दी के पहले दशक में ब्रिटेन में सामाजिक विज्ञान का एक विशेष सकुंचित अर्थ पनपा, जबकि इसे सामाजिक कार्यकर्त्ताओं (Social Workers) के प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम के लिए प्रयुक्त किया गया। इस प्रकार के प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम के लिए अन्य पद ‘Social Studies’ भी प्रयुक्त किया जाने लगा। इस प्रकार Social Science, Social Study Social Studies- ये तीन पद एक-दूसरे के पर्यायवाची बने।

(4) लेकिन अमेरिका में इस प्रकार के मतिभ्रम (Confusion) को दूर कर दिया गया। वहाँ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं की शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए Social Work विषय का अलग विकास किया गया तथा ‘Social Sciences’ पद का प्रयोग अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र जैसे विषयों के लिए, जो सामाजिक संबंधों या समाज में घनिष्ठतम संबंधित है, के लिए किया जाने लगा।

(5) 20वीं शताब्दी के मध्य में इंग्लैण्ड में यह प्रवृत्ति देखी गई कि मानव और समाज से संबंधित विषयों यथा- अर्थशास्त्र, मानवशास्त्र (Anthropology), मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र को एक-दूसरे से अलग रखा जाएं, लेकिन अब यह अनुभव किया जा रहा है कि मानव संबंधों और समाज के जटिल संगठन का वैज्ञानिक अध्ययन एक ही सामाजिक विज्ञान का उत्तरदायित्व न होकर कई सामाजिक विज्ञानों का उत्तरदायित्व है।

(6) Teaching of the Social studies and Secondary School’ (1952) नामक प्रसिद्ध पुस्तक के अमेरिकन लेखक (Arthur C. Bining तथा David tt. Bining) ने लिखा है कि आजकल Social Sciences और ‘Social Studies’ पद एक-दूसरे के पर्यायवाची के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं, जहाँ तक कि माध्यमिक शालाओं में सामाजिक विषयों के शिक्षण का संबंध है।

(7) 1934 में अमेरिकन हिस्टोरिकल एसोसिएशन के द्वारा नियुक्त ‘Commission on the social studies’ ने अपने प्रतिवेदन में लिखा था “शाला पाठ्यक्रम के किसी भी अन्य भाग से अधिक, सामाजिक विज्ञानों का संबंध जीवन, संस्थाओं तथा विश्व के संदर्भ में राष्ट्र की विचारधारा, महत्त्वाकांक्षा और दूरगामी नीतियों से होता है। सामाजिक विज्ञानों की परिधि में मानव का सम्पूर्ण इतिहास, आरंभ से लेकर वर्तमान क्षण तक का और समकालीन समाज के विस्तृत छोर, बहुत दूर के लोगों के जीवन और रिवाजों से लेकर हमारे समीपवर्ती पड़ौसियों की सांस्कृतिक सम्पन्नताएँ आ जाती हैं।”

सामाजिक अध्ययन पढ़ाने का प्रमुख लक्ष्य होता है विद्यार्थियों को एक प्रभावशाली नागरिकता (Effective Citizenship) के लिए प्रशिक्षित करना। सामाजिक अध्ययन की विषय वस्तु वह आधार प्रदान करती है, जिससे शाला के विद्यार्थी आधुनिक विश्व को समझ सकें, उनमें कुछ विशेष कुशलताएँ और आदतें प्रशिक्षित की जा सकें तथा उनमें ऐसे दृष्टिकोण और आदर्श विकसित किए जा सकें, जिससे वे प्रजातंत्रीय समाज में कुशल और प्रभावशाली सदस्यों के रूप में अपना स्थान बना सकें।

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Anjali Yadav

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