औद्योगिक क्रांति के कारणों की विवेचना कीजिए।
1750 ई. के आस-पास शक्ति चलित मशीनों का निर्माण शुरू हो गया जिनके द्वारा पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन आ गया। अब हाथ का श्रम गौण हो गया। घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ने ले लिया जहाँ बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादन होने लगा। हजारों किसानों ने अपने खेतों को छोड़कर कारखानों में काम करना शुरू कर दिया। सार्वजनिक जीवन और शासन व्यवस्था में भी परिवर्तन आ गया। इन सभी परिवर्तनों का आधारभूत कारण औद्योगिक क्रांति था।
इंग्लैण्ड में ही औद्योगिक क्रांति का श्री गणेश हुआ था। इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के अनुकूल दशाएँ होने के कारण वहाँ इसका सूत्रपात हुआ था संक्षेप में निम्नांकित कारण औद्योगिक क्रांति के लिए उत्तरदायी समझे जाते हैं।
(1) पुनरूत्थान और भौगोलिक खोजेः- पुनरूत्थान के परिणामस्वरूप मानव, में नूतन उत्साह एवं प्रेरणा का जागरण हुआ। ज्ञानवर्धक शिक्षा तथा भौगोलिक खोजों का पूर्व पाठिका में भी पुनरूत्थान दिखाई पड़ता हैं। भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप यूरोपवासी दूसरे देशो के सम्र्पक में आये दूसरे महाद्वीपो में नई-नई बस्तियाँ बसायी गयी और इन बस्तियों के साथ वाणिज्य व्यापार शुरू किया गया परन्तु इसके लिए बड़ी मात्रा में उत्पादन की आवश्यकता का अनुभव हुआ। बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए अनेक मशीनो का तथा यन्त्रो का निर्माण तथा आविष्कार किया गया। इस प्रकार पुनरुत्थान औद्योगिक क्रांति का एक कारण बन गया।
(2) जनसंख्या में वृद्धिः- यूरोप की जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि भी क्रांति का एक कारण बनी थी ज्योज्यो यूरोप की जनसंख्या का विस्तार होता गया रोजी रोटी की समस्या लगातार बढ़ती गई क्योंकि अब कृषि के द्वारा बढ़ी हुई जनसंख्या को रोजगार देना संभव नहीं रह गया था अतः अधिकाधिक लोग उद्योग धन्धों की तरफ बढ़ने लगे। दूसरी बात यह थी कि जनसंख्या की वृद्धि के कारण दैनिक उपयोग की वस्तुओं की माँग भी बहुत बढ़ गयी थी। बढ़ती हुई माँग ने मनुष्य को औद्योगिक विकास के लिए प्रोत्साहन किया। इससे उद्योग धन्धों का विकास हुआ।
(3) रहन-सहन के स्तर में वृद्धिः- ज्योज्यो मनुष्य को सुविधाएँ प्राप्त होती गयी उसके रहन सहन का स्तर भी उन्नत होता गया, इससे उसकी आवश्यकताएँ भी बढी बढती हुई आवश्यकताओं से औद्योगिक विकास को बहुत बल मिला। वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि ने योग विकास की सामग्री का सृजन किया। अमीर लोग जिनके पास धन का अभाव न था अपनी शान शौकत बढ़ाने की खातिर अत्यधिक मात्रा में वैभव विलास की वस्तुएँ खरीदने लगे, इस प्रकार माँग बढ़ती गयी और माँग के साथ औद्योगिक विकास भी होता गया।
(4) फ्रांसीसी क्रान्ति का योगदान:- फ्रांसीसी क्रान्ति ने भी औद्योगिक क्रान्ति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। नेपोलियन बोनापार्ट ने अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के निमित्त सम्पूर्ण यूरोप को युद्ध की ओर धकेल दिया था। इस उलझन को सुलझाने का भार इंग्लैण्ड पर आ पड़ा था। इंग्लैण्ड को न केवल अपने सैनिकों की अपितु अपने साथी देशों के सैनिकों की आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ा। इसके लिए उत्पादन के तरीकों में भी सुधार करना आवश्यक हो गया था। युद्ध समाप्ति के बाद इंग्लैण्ड में बेकारी फैल गयी इस बेकारी को दूर करने का एकमात्र उपाय था उद्योग धन्धों का विकास करना था। इससे उत्पादन बढ़ा। अब तैयार माल को खपाने के लिए दूसरे देशों के बाजार दूढंने पड़े। कच्चे माल की मण्डियाँ ढूढंनी पड़ी। उपनिवेश बसाने पड़े। इस प्रकार एक के बाद एक समस्या आती गई जिसका हल औद्योगिक क्रान्ति से ही किया जा सकता था।
(5) व्यापारी वर्गः- पुनरूत्थान के कारण व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ। सामन्ती व्यवस्था और धार्मिक अन्ध-विश्वासों का प्रभाव समाप्त हुआ। इन सब परिवर्तनों के परिणामस्वरूप व्यापारी वर्ग का उदय हुआ। यह वर्ग पर्याप्त धनी था और अपने धन को उत्तरोतर उत्पादन और फलतः धनोपार्जन में लगाना चाहता था। इसके लिए यह आवश्यक था कि वे उन अन्वेषकों की मदद करे जो अपनी खोजो से उनके उत्पादन की मात्रा बढ़ाने में योग दे सकते थे। इस प्रकार नये-नये यन्त्रों की खोज का सिलसिला शुरू हुआ जिससे औद्योगिक क्रान्ति के विकास में बहुत सहयोग मिला।
(6) राष्ट्रीयता:- राष्ट्रीयता की भावना ने भी औद्योगिक विकास में सहयोग दिया था। प्रत्येक देश के निवासी यही चाहते थे कि उनका देश अन्य देशों की तुलना में अधिक उन्नतिशील बन जाए। उनके देश के सामाज्य का विस्तार हो परन्तु इन सबके लिए अधिक उत्पादन की आवश्यकता थी क्योंकि अब उन्नति का मार्ग बदल गया था। अब आर्थिक प्रगति के सहारे ही शक्ति सम्पन्न बना जा सकता था फलत: महान राष्ट्रों में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा हो गयी। इस दौड़ में वहीं राष्ट्र आगे बढ़ सकता था जो अधिक से अधिक उत्पादन करने में समर्थ हो । इंग्लैण्ड ने जो विशाल साम्राज्य खड़ा किया था उसकी सफलता का यही प्रमुख कारण था।