कला साहित्य एवं धर्म में पुनर्जागरण के योग का निरूपण कीजिए।
अथवा
अब कला और साहित्य धार्मिक बन्धनों से मुक्त हो गए इस कथन की पुनर्जागरण के सन्दर्भ में विवेचना कीजिए।
पुनर्जागरण और कला का क्षेत्र
पुनर्जागरण के फलस्वरूप विभिन्न कलाओं की उन्नति हुई। मध्यकाल में कला की विभिन्न विद्याओं का धर्म पर अत्यधिक प्रभाव था अतः कलाकार स्वतन्त्र रूप से अपनी कलाकृति नहीं बना सकता था। इस समय कला का मूल उद्देश्य धर्म का प्रचार करना ही था किन्तु पुनर्जागरण ने कलाओं को धार्मिक बन्धनों से मुक्त कर दिया।
स्थापत्य कला:- पुनर्जागरण काल में यूनानी, रोमन तथा अरब शैलियों के समन्वय से श्रृंगार सज्जा और डिजाइन युक्त नई क्लासिक शैली का उदय हुआ। रोम का सन्त पीटर का चर्च इस युग की स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ नमूना हैं। पेरिस में लूआर का प्रासाद भी इस शैली का श्रेष्ठ नमूना हैं। राफेल, माइकल एंजेलो, पालादियोन, क्रिस्टोफर तथा इनिगों जांस इस युग के महान कलाकार थे।
मूर्तिकला:- इस काल में मूर्तिकला का भी अत्यधिक विकास हुआ। अब मूर्तिकला धर्म के बन्धनों से मुक्त हो गयी तथा साधारण मनुष्यों की मूर्तियों का निर्माण किया जाने लगा। दोनोतेल्लो ने सन्तमार्क (वेनिस में) की मूर्ति का निर्माण किया। गिवर्ती ने फ्लोरेन्स नगर के चर्च के द्वार इतने सुन्दर बनाए कि उन्हें देखकर माइकल एंजेलो ने कहा कि ये द्वार तो स्वर्ग के द्वार पर रखे जाने के योग्य हैं।
संगीत कला:- इस काल में संगीत कला के क्षेत्र में भी उन्नति हुई। संगीत पर से धार्मिक उदासी एवं नीरसता समाप्त हो गयी और अब सरस एवं स्वर वैविध्य की रचनाएं रची जाने लगी। वायलिन और पियोनो का आविष्कार हुआ। वाद्य संगीत की लोकप्रियता बढ़ी एवं आधुनिक ओपेरा का जन्म हुआ। पेलेस्ट्रीना 16वीं शताब्दी का प्रसिद्ध संगीतज्ञ था।
चित्रकला:- पुनर्जागरण काल में चित्रकला सबसे अधिक प्रभावित हुई। मध्यकालीन चित्रकला धार्मिक विषयों तक सीमित थी और इसमें प्रयुक्त उपकरणों व रंगों का चुनाव भी बहुत प्रतिबन्धित था। मध्यकालीन चित्रों जिनका विषय धार्मिक ही होता था में उदासी एवं नीरसता होती थी। उसकी जगह इस युग के चित्रकारों ने अपने विषयों का चुनाव व्यक्ति और प्रकृति से किया। तैलचित्रों की परम्परा शुरू हुई। शोध एवं चटख रंगों के व्यापक प्रयोग से चित्रों से सरसता व आकर्षण आने लगा। अब जीवन से संबंधित यथार्थवादी चित्र बनने लगे। उनमें स्वाभाविक मानवीय भावनाएं उत्कृष्ट रूप में प्रकट होने लगी।
लियोनार्दी विंसी, माइकल ऐजेंलो, राफेल, रिशियन आदि इस काल के महान् चित्रकार थे। मोनालिसा तथा लास्ट सपर जैसे विख्यात चित्र लियोनार्दो के ही हैं। लास्ट जजमेंट नामक विश्व प्रसिद्ध चित्र में एंजेलों ने भय एवं आतंक की अभिव्यक्ति कर बड़ी सजीवता से चित्रण किया हैं।
मैडोना में राफेल ने वात्सल्य एवं मातृत्व का सुन्दर चित्रण किया हैं। इनके अलावा हाइबाइन (जर्मन) एलग्रीको (स्पेनिश) हूबर्ट आइक तथा लौन आइक (डच) प्रसिद्ध चित्रकार हैं।
धर्म पर प्रभावः पुनर्जागरण का धार्मिक स्वरूप अर्थात् धर्म पर प्रभाव धर्म सुधार आंदोलन के रूप में प्रकट हुआ। चर्च का एकाधिकार टूटने लगा। जाग्रत यूरोप का आदमी प्रश्न करने लगा। उसे अब विवेक और तर्क की कसौटी मिल गयी थी जिस पर धर्म के पाखण्ड, बाह्रय आडम्बर, पादरियों और पोप के अनाचार दुराचार खरें नहीं उतरे फलतः धर्म के क्षेत्र में उद्लेन शुरू हो गया। विरोध एवं विद्रोह शुरू हुए परिणामस्वरूप कैथोलिक चर्च में तो सुधार हुए ही साथ ही साथ चर्च से टूट कर नए धार्मिक सम्प्रदाय (लूथरवाद, काल्विनवाद) अस्तित्व में आये जो अपेक्षतया अधिक उदार, आडम्बर हीन और राष्ट्रीय भावनाओं को पोषित करने वाले थे।