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कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने के विभिन्न तरीके | Different ways of aggregating factory overhead

कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने के विभिन्न तरीके | Different ways of aggregating factory overhead
कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने के विभिन्न तरीके | Different ways of aggregating factory overhead

कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने के विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिये। इनमें से कौन-से तरीके को आप सबसे वैज्ञानिक समझते हैं एवं क्यों?

कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने के विभिन्न तरीके (Different Methods of Factory Overhead Absorption) – उपरिव्ययों का लागत इकाइयों पर बंटन करना उपरिव्ययों का संविलयन या अवशोषण कहलाता है। अतः एक कारखाने के समस्त उपरिव्ययों को उत्पादन विभागों में बॉटना उपरिव्ययों का विभागीकरण कहलाता है, जबकि इस प्रकार ज्ञात विभागीय उपरिव्ययों को निर्मित इकाइयों या पूर्ण किये गये उपकार्यों पर वितरित करना उपरिव्ययों का संविलयन कहलाता है। कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने के विभिन्न तरीके निम्नलिखित हैं-

1. प्रत्यक्ष सामग्री लागत पर प्रतिशत विधि (Percentage on Direct Ma terial Cost Method)- कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने की इस विधि के अन्तर्गत उत्पादन विभाग की उपरिव्यय संविलयन दर इस सूत्र से ज्ञात की जाती है

Absorption Rate=  Departmental Factory Overhead / Departmental Direct Material Cost x 100

2. प्रत्यक्ष श्रम लागत पर प्रतिशत विधि (Percentage on Direct Wages Method)- इस विधि के अन्तर्गत उपरिव्ययों की अवशोषण दर प्रत्यक्ष श्रम लागत पर आधारित होती है। इस दर की गणना इस सूत्र से की जाती है-

Absorption Rate= Departmental Factory Overhead / Departmental Direct Wages x100

3. मूल लागत पर प्रतिशत विधि (Percentage on Prime Cost Method) – इस विधि के अन्तर्गत विभागीय उपरिव्ययों का सम्बन्ध विभागीय मूल लागत से स्थापित करके संवलियन दर ज्ञात की जाती है। मूल लागत से तात्पर्य प्रत्यक्ष सामग्री लागत, प्रत्यक्ष मजदूरी एवं अन्य प्रत्यक्ष व्ययों के योग से है। इस विधि के अन्तर्गत उपरिव्ययों की संविलयन दर की गणना इस सूत्र से की जाती है।

Absorption Rate= Departmental Factory Overhead / Departmental Prime Cost x 100

4. प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर विधि (Direct Labour Hour Rate Method)- इस विधि के अन्तर्गत कारखाना उपरिव्ययों की अवशोषण/संविलयन दर ज्ञात करने के लिए विभागीय उपरिव्ययों में विभाग के कुल कार्यशील प्रत्यक्ष श्रम घण्टों का भाग दिया जाता है। कार्यशील घण्टों का निर्धारण कुल श्रम घण्टों में से कार्यहीन घण्टों को घटाकर किया जाता है। इस विधि के अनुसार उपरिव्यय संविलयन दर, जिसे प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर कहते हैं, इस सूत्र से ज्ञात की जाती है-

Direct Labour Hour Rate= Departmental Factory overhead / Total Working Direct Labour Hour

5. मशीन घण्टा दर विधि (Machine Hour Rate Method)- कारखाना उपरिव्यय को संविलयन करने की इस विधि के अन्तर्गत उपरिव्ययों का मशीन के परिचालन घण्टों के सम्बन्ध स्थापित करके अवशोषण दर का निर्धारण किया जाता है। मशीन घण्टा दर उपरिव्ययों के अवशोषण की वह वास्तविक या पूर्ण निर्धारित दर है जो अवशोषित किये जाने वाले वास्तविक या सम्भावित उपरिव्ययों में मशीन परिचालन के वास्तविक या सम्भावित घण्टों का भाग देने से ज्ञात होती है। सूत्र रूप में-

Machine Hour Rate= Total Factory Overhead / Machine Hour

मशीन घण्टा दर प्रत्येक मशीन के लिए अलग-अलग ज्ञात की जा सकती है अथवा मशीनों के एक वर्ग के लिए ज्ञात की जा सकती है। मशीनों के वर्ग के लिए यह दर तभी ज्ञात की जाती है, जब इस वर्ग की मशीनें एक-दूसरे की पूरक हों।

6. मिश्रित मशीन घण्टा एवं प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर विधि (Combined Machine Hour and Direct Labour Hour Rate Method)- प्राय: उत्पादन विभागों में कुछ कार्य मशीनों द्वारा एवं कुछ कार्य मानव श्रम द्वारा किया जाता है। अतः इस विधि में उपरिव्ययों को संविलयन हेतु दो दरें ज्ञात की जाती हैं-

(i) एक मशीन घण्टा दर, एवं

(ii) प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर

इसके लिए विभागीय उपरिव्ययों को दो भागों में विभक्त कर लिया जाता है। मशीन से सम्बन्धित उपरिव्ययों को एक भाग में तथा अन्य उपरिव्ययों को दूसरे भाग में रखा जाता है। मशीन से सम्बन्धित उपरिव्ययों में मशीन के कार्यशील घण्टों का भाग देकर घण्टा दर तथा अन्य उपरिव्ययों के योग में प्रत्यक्ष श्रम घण्टों का भाग देकर प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर ज्ञात कर ली जाती है। किसी उपकार्य पर उपरिव्ययों का भार ज्ञात करने के लिए उस पर मशीन तथा प्रत्यक्ष श्रम द्वारा कार्य के घण्टों को क्रमशः मशीन घण्टा दर एवं प्रत्यक्ष श्रम घण्टा दर से गुणा करके जोड़ लिया जाता है। यह योग ही इस उपकार्य का कारखाना उपरिव्यय होगा।

7. प्रति उत्पादित इकाई दर विधि (Rate per Unit Production Method)- इस विधि के अन्तर्गत विभागीय उपरिव्ययों को एक निश्चित अवधि में उत्पादित इकाइयों की संख्या का भाग देकर प्रति इकाई उपरिव्यय की दर ज्ञात कर ली जाती है।

यहाँ यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि उपर्युक्त तरीकों/विधियों में कौन-सी सबसे वैज्ञानिक है एवं क्यों है? इसके प्रत्युत्तर में मशीन घण्टा दर विधि सबसे वैज्ञानिक है क्योंकि-

1. लागत लेखापाल के दृष्टिकोण से उपकार्यों पर उपरिव्यय के अवशोषण का यह क्षेत्र आधार है।

2. इससे वस्तुओं की सही लागत की गणना की जा सकती है।

3. इससे सही विक्रय मूल्य ज्ञात करना सम्भव है।

4. इस तरीके को अपनाने पर उपरिव्ययों पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है।

5. मशीन व्ययों की सभी मदों का स्वतंत्र रूप से पृथक्-पृथक् मशीन घण्टा भार ज्ञात किया जाता है। इससे प्रत्येक मद के लिए अन्तः अवधि तुलनात्मक अध्ययन में सुगमता रहती है।

6. आज के इस मशीन युग में उपरिव्ययों के संविलयन के लिए यह विधि पूर्णतः वैज्ञानिक है। इस आधार पर समय तत्व का पूर्ण ध्यान रखा जाता है। जहाँ पर मशीनों का अधिक प्रयोग होता है, वहाँ पर उपरिव्ययों का अधिक सम्बन्ध मशीन से होता है। अतः इस आधार पर उपरिव्ययों का संविलयन श्रेष्ठ रहता है।

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Anjali Yadav

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